लड़ाई पीएनबी बैंक से नहीं, श्रमिक विरोधी प्रबंधन से


लड़ाई पीएनबी बैंक से नहीं, श्रमिक विरोधी प्रबंधन से

उदयपुर 13 अप्रैल 2019 पंजाब नेशनल बैंक एम्पलाइज यूनियन राजस्थान राज्य का दसवां प्रांतीय अधिवेशन आज शनिवार 13 अप्रैल को कविता स्थित स्पेक्ट्रम रिसोर्ट के एलएन भायल सभागार में आयोजित हुआ। सम्मेलन में पूरे राजस्थान प्रदेश से सैकड़ों सदस्यों ने शिरकत की। सम्मेलन में कर्मचारियों मजदूरों पर संभावित संकट और आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।

 

लड़ाई पीएनबी बैंक से नहीं, श्रमिक विरोधी प्रबंधन से

उदयपुर 13 अप्रैल 2019 पंजाब नेशनल बैंक एम्पलाइज यूनियन राजस्थान राज्य का दसवां प्रांतीय अधिवेशन आज शनिवार 13 अप्रैल को कविता स्थित स्पेक्ट्रम रिसोर्ट के एलएन भायल सभागार में आयोजित हुआ। सम्मेलन में पूरे राजस्थान प्रदेश से सैकड़ों सदस्यों ने शिरकत की। सम्मेलन में कर्मचारियों मजदूरों पर संभावित संकट और आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।

यूनियन के सम्मेलन में सभी ने एक स्वर से कहा कि हमारी लड़ाई पंजाब नेशनल बैंक से नहीं है बैंक तो हमारा है। हमारी लड़ाई उस प्रबंधन से है जो श्रमिक विरोधी कार्य करता है। सम्मेलन में यह भी विचार आए कि इस तकनीकी युग में सरकार की हठधर्मिता के कारण और उनकी श्रमिक और मजदूरों के प्रति ढुलमुल नीति के कारण आज मजदूर वर्ग बहुत ही ज्यादा पीड़ित हो रहा है। रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं और जो रोजगार में है उन्हें मजदूरी भी बहुत कम मिल रही है । इसी आर्थिक असमानता के कारण देश में मजदूर और कर्मचारी वर्ग में गौर हताशा और निराशा हैं।

सम्मेलन का प्रारंभ तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों में कॉमरेड रवि वर्मा, कामरेड सुधा चौधरी, कॉमरेड निर्मल शर्मा, कॉमरेड केवी बारोट, कामरेड टीसी, कॉमरेड पीआर मेहता, कामरेड एमपी सिंह और कॉमरेड ए के कुलकर्णी थे।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रोफेसर सुधा चौधरी ने कहा कि यह सम्मेलन वित्तीय पूंजीवाद के एक ऐसे चुनौतीपूर्ण दौर में हो रहा है जहां विपन्नता के महा समुद्र में वैभवता के टोपुओ का निर्माण कर रहा है। जिसके चलते राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व आर्थिक राजनीति की में भारी उथल-पुथल हो रही है वैश्विक आर्थिक संकट के कारण मुक्त बाजार व्यवस्था के समर्थक पूंजीवाद को अजेय श्रेष्ठ व उत्तम व्यवस्था बता रहे थे मुश्किल में आ गए हैं। और राज्य निरंतर गहराते इस आर्थिक संकट को बदहाल जनता पर डाल रहे हैं। जिसके चलते राज्य द्वारा संरक्षित समर्थित पूंजीपति वर्ग मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियां बनाकर उनके हितों पर लगातार निर्मम कुठाराघात कर रहे है।

कॉमरेड एमपी सिह ने कहा कि ट्रेड यूनियन की स्थापना आजादी से पहले 1946 में कोलकाता में हुई थी। उन्होंने इसके स्थापना काल से लेकर वर्तमान काल तक संपूर्ण क्रियाकलापों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैंक जो भी प्रॉफिट कमाता है वह सरकार की गलत नीतियों के कारण बड़े बड़े औद्योगिक घरानों के पास चला जाता है। इसके अलावा सरकार की गलत नीतियों के कारण आज लगभग 35 प्रतिशत बिजनेस प्राइवेट बैंकों के हाथों में आ चुका है।

कॉमरेड निर्मल शर्मा ने कहा कि बाजार दो विचारधारा के आधार पर चलता है। पहली आर्थिक विचारधारा और दूसरी राजनीतिक विचारधारा। इसमें भी दो अलग अलग विचारधारा होती है पहली पूंजीवादी विचारधारा और दूसरी मजदूरों की हितैषी विचारधारा। उन्होंने कहा यह विडंबना ही है कि राजनीतिक विचारधारा हमेशा पूंजीवादी सोच के साथ चलती आई है इसी कारण आज मजदूर वर्ग अपने श्रम का पूरा पैसा नहीं ले पाता है। उन्होंने दिनों दिन बढ़ती तकनीकी के आने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे मानव संसाधन का उपयोग कम होगा और रोजगार घटेगे।

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कॉमरेड वीके जैन ने कहा कि यूनियनों को या तो अर्थवाद में फंसाया जा रहा है या फूट डालो राज करो की नीति को श्रम सुधार के नाम पर खत्म किया जा रहा है । ऐसे ऐसे श्रमिक कानूनों को खत्म या जा रहा है जो कानून श्रमिकों ने बड़े ही संघर्ष से अपने हित में बनवाए थे मनुष्य से पहले मुनाफा समाज से पहले बाजार जरूरत से पहले लाभ व्यक्ति को वस्तु के विकास दर्शन पर काम कर रहा पूंजीवादी लूट तंत्र जिस विकास दर्शन को आधार बनाता है और ना केवल कर्मचारी विरोधी है।

इस अवसर पर अशोक कुलकर्णी ने कहा कि आज पंजाब नेशनल बैंक के 125 वर्ष पूर्ण हो गए। इसके प्रबंधन ने कर्मचारियों को अपमान का घूट पिलाते हुए उन्हें भेंट स्वरूप मात्र एक एक चांदी का सिक्का दिया गया जिसका कर्मचारियों ने खुलकर विरोध किया कि यह कर्मचारियों का शुद्ध रूप से अपमान है। अगर साहस नहीं है तो प्रगति भी नहीं है । जहां विरोध नहीं है वहां पर भी प्रगति नहीं है। 1 साल पहले जब पंजाब नेशनल बैंक में देश का सबसे बड़ा घोटाला हुआ था उसके ठीक 1 साल बाद कर्मचारियों ने अपनी लगन और मेहनत से फिर से इस बैक को अपने पैरों पर खड़ा किया और आज फिर से देश में नंबर वन की पोजीशन में उसे पहुंचाया। इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ कर्मचारी और मजदूरों की मेहनत का ही फल है।

इस अवसर पर कामरेड पीआर मेहता ने कहा कि अर्थव्यवस्था में जो भी बदलाव आता है उसका सीधा असर मिडल क्लास मजदूर कर्मचारी वर्ग पर ही पड़ता है आने वाले समय में जब भी बदलाव होंगे तो मजदूर और कर्मचारी वर्ग को बहुत ही कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। जिसकी तैयारियां हमें अभी से शुरू करनी होगी। उन्होंने सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार कहती है रोजगार के साधन उपलब्ध कराएंगे रोजगार देंगे काला धन वापस लाएंगे, लेकिन स्वयं सरकार ही नीतियां ऐसी बनाती है जिसके कारण यह चीजें कभी संभव नहीं हो पाती।

एक एमपी एमएलए चुनाव में करोड़ों रुपए का खर्चा कर देता है आखिर वह धन आता कहां से इन्हें बड़े बड़े उद्योग घराने धन उपलब्ध कराते हैं इसकी वजह से यह चुनाव में इतना पैसा खर्च करते हैं जबकि उस पैसे का कोई हिसाब-किताब नहीं होता है। वह काला धन होता है। उन्होंने कर्मचारियों को समझाया कि आप महिना भर नौकरी करते हैं तब जाकर के आपको पैसा मिलता है। जरा सोचिए कि बड़े बड़े औद्योगिक घराने राजनेताओ को पैसा देते हैं वह किस तरह के उल्टे काम करते होंगे यह बताने की आवश्यकता नहीं। यह सब गरीब मजदूर कर्मचारियों के ऊपर पड़ता है।

कामरेड डीसी जिलानी ने सभी का आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि इस सम्मेलन में जो भी होगा वह कर्मचारी और मजदूर के हितों में होगा। पंजाब नेशनल बैंक एम्पलाइज यूनियन द्वारा कर्मचारी हित में किया गया बहुत सारा संघर्ष उन सभी साथियों-यूनियनों के लिए प्रेरणादायक रहा है जो एक बेहतर दुनिया समाज में जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं। आशा करते हैं कि यूनियन अपने इस सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ संपूर्ण समाज में चल रहे जनवादी प्रगतिशील जन आंदोलनों का हिस्सा बनकर सामाजिक बदलाव की इस प्रक्रिया को और गति देगा । इस अवसर पर यूनियन के नरेश चावत सहित अनेक सदस्य एवं पदाधिकारी मौजूद थे।

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