भारतीय लोक कला मण्डल में ‘‘क्या यह सच है बापु’’ की प्रस्तुती

भारतीय लोक कला मण्डल में ‘‘क्या यह सच है बापु’’ की प्रस्तुती

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर आदिम एवं लोक कलाओं के क्षेत्र में कार्यरत अग्रणी संस्था है। रंगपृष्ट संस्था उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयेाजित कार्यशाला में तैयार नाटक ‘‘क्या यह सच है बापु’’ की प्रस्तुति भारत कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर की गई।

 

भारतीय लोक कला मण्डल में ‘‘क्या यह सच है बापु’’ की प्रस्तुती

उदयपुर, 14 अगस्त 2019, भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर आदिम एवं लोक कलाओं के क्षेत्र में कार्यरत अग्रणी संस्था है। रंगपृष्ट संस्था उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयेाजित कार्यशाला में तैयार नाटक ‘‘क्या यह सच है बापु’’ की प्रस्तुति भारत कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर की गई।

भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं चलचित्र अभिनेता स्वर्गीय बलराज साहनी द्वारा लिखित ये नाटक बहुत ही दिलचस्प एवं रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया। नाटक में एक स्वतंत्रता सेनानी अशोक कुमार आज़ाद जो की स्वतंत्रता के संघर्ष के समय महात्मा गाॅंधी, पण्डित जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह के साथ कार्य कर चुके है उनको एक स्थानीय दंगे में ज़ख़्मी कर दिया जाता है। जहाँ बेहोशी की हालत में उनके सहायक उनको लेकर एक निजी अस्पताल में पहुॅंचते है। वहाॅं वो सपने में एक दरवाज़ा खटखटाते नज़र आते है। उसी समय सेना के एक स्वर्गीय जवान भाग सिंह की आत्मा आकर उनसे बात करती है।

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बातों बातों में वह भाग सिंह से स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के उद्धेश्यों एवं वर्तमान हालात पर बात करते है। ऐसे में भाग सिंह अशोक कुमार आज़ाद से कहता है की वे अपने सारी समस्याऐं उन नेताओं को बताए जिनके साथ उन्होंने काम किया है। अशोक कुमार आज़ाद कहते है की वो सब तो स्वर्गवासी हो चुके है, ऐसे में उनसे किस प्रकार बात हो सकती है। भाग सिंह उन नेताओं की आत्माओं को अन्य शहिदों के शरीर में प्रवेश कराकर आज़ाद साहब के सामने प्रस्तुत करता है ओर उसके बाद अशोक कुमार आज़ाद महात्मा गाॅंधी, पण्डित जवाहर लाल नेहरू, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस शहीद-ऐ-आज़म सरदार भगत सिंह के सम्मुख अपने प्रश्न रखता है यही नही आगन्तुक आत्माओं के बीच भी एक ज़ोरदार बहस होती है। जिसे नाटक में बहुत ही रोचक तरीके से निर्देशक प्रबुद्ध पाण्डे ने प्रस्तुत किया।

नाटक के पात्रों में डाॅक्टर के रूप में चेतन, सहायक ईशान एवं यश, अशोक कुमार आज़ाद – कल्याण्जी, भाग सिंह एवं भगत सिंह – योगेश, पण्डित जवाहर लाल नेहरू – अशोक, सुभाष चन्द्र बोस- राहुल एवं महात्मा गाँधी -अभिषेक, ध्वनी – के.के ओझा, प्रकाश – मुश्ताक खान एवं प्रस्तुति सहायक- रोहित मेनारिया थे।

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