देश में सकारात्‍मक परिवर्तन के लिए युवाओं की भागीदारी आवश्‍यक

देश में सकारात्‍मक परिवर्तन के लिए युवाओं की भागीदारी आवश्‍यक

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्‍ट्रीय संगठन मन्‍त्री सुनील आम्‍बेकर ने कहा कि देश में सकारात्‍मक बदलावों के लिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी जरुरी है। उन्‍होंने कहा कि कितनी भी सरकारी योजनाएं बना ली जाए लेकिन जब तक युवाओं को ना जोडा जाए तो उनको भी पूरी सफलता नहीं मिल पाती

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देश में सकारात्‍मक परिवर्तन के लिए युवाओं की भागीदारी आवश्‍यक

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्‍ट्रीय संगठन मन्‍त्री सुनील आम्‍बेकर  ने कहा कि देश में सकारात्‍मक बदलावों के लिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी जरुरी है। उन्‍होंने कहा कि कितनी भी सरकारी योजनाएं बना ली जाए लेकिन जब तक  युवाओं को ना जोडा जाए तो उनको भी पूरी सफलता नहीं मिल पाती।

आम्‍बेकर बुधवार को यहां मोहनलाल सुखाडिया विश्‍वविद्यालय के विवेकानन्‍द सभागार में विधि संकाय के तत्‍वावधान में ‘भारत का भविष्‍य- हमारी भूमिका’ विषय पर आयोजित विस्‍तार व्‍याख्‍यान में बोल रहे थे। उन्‍होंने कहा कि हमारे देश में हुनर की कमी नहीं है, हम आगे बढ रहे है और नए आत्‍मविश्‍वास से बढ रहे है। हमे इस आत्‍मविश्‍वास को कायम रखने के लिए आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि अभी हमें देश के नए स्‍वरुप पर मन्‍थन करना है। नए स्‍वरुप को कहीं से कापी नहीं करना है बल्कि हमें इसका मौलिक स्‍वरुप तैयार करना है। इतिहास का उदाहरण पेश करते हुए आम्‍बेकर ने कहा कि बरसों से  भारतीय समाज को विदेशों में गलत तथ्‍यों के साथ पेश किया गया लेकिन अब जमाना बदल गया है। नई तकनीकी का दौर है और दुनिया अब हमारी प्रतिभाओं का लोहा मान रही है। धीरे धीरे हम खुद पावर सेन्‍टर बन रहे है। भारत को महाशक्ति बनते देख रहे दुनिया के अन्‍य देशों में बैचेनी साफ दिखाई देती है लेकिन हम संस्‍कारवान लोग है हमें कहीं भी किसी से माफी नहीं मांगनी पडती क्‍योंकि हमने कभी कुछ गलत नहीं किया।

देश में सकारात्‍मक परिवर्तन के लिए युवाओं की भागीदारी आवश्‍यक

आम्‍बेकर ने कहा कि देश में चिकित्‍सकों, अभियंताओं की कमी नहीं है यदि किसी चीज की कमी है तो सिर्फ सही और कुशल नेतृत्‍व की जिसके बल पर युवाओं को सही दिशा दी जा सके। हमे आज ऐसी लीडरशिप की आवश्‍यकता है जो हर क्षेत्र में नेतृत्‍व कर सके। भारत आईटी का हब बन रहा है। प्रगति कर रहा है लेकिन आम आदमी से जुडी समस्‍याओं का समाधान होना अभी शेष है। उन्‍होंने कहा कि न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में जस्टिस शब्‍द प्रयोग में आता है लेकिन चिन्‍ता का विषय यह है कि आम आदमी को आज भी जस्टिस की प्रतीक्षा है। हमें आज ऐसे वकीलों की आवश्‍यकता है जो आम आदमी को त्‍वरित न्‍याय दिला सके।

इस अवसर पर विधि महाविद्यालय के अधिष्‍ठाता प्रो आनन्‍द पालीवाल ने विषय प्रवर्तन किया जबकि सहायक छात्र कल्‍याण अधिष्‍ठाता डा राजश्री चौधरी ने स्‍वागत किया। धन्‍यवाद छात्रसंघ अध्‍यक्ष सोहन डांगी ने दिया।

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