उदयपुर, 7 मई 2024। नगरीय क्षेत्र के लिए लागू अमृत योजना 2.0 के तहत जल स्त्रोतों (Water Bodies) के पुनर्जीवन कार्यों के प्रस्तावों पर मंथन को लेकर महत्वपूर्ण बैठक मंगलवार सुबह कलेक्ट्रेट मिनी सभागार में जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल की अध्यक्षता में हुई। इसमें नगर निगम, उदयपुर विकास प्राधिकरण (UDA) तथा वन विभाग के अधिकारी शामिल हुए।
बैठक में जिला कलक्टर अरविन्द पोसवाल ने कहा कि झीलों से ही उदयपुर की पहचान है। झीलें यहां के पर्यावरणीय संतुलन का आधार हैं। ऐसे में झीलों के संरक्षण और संवर्धन में किसी भी प्रकार की कौताही नहीं बरती जानी चाहिए। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों को झीलों में किसी भी स्तर पर सीवरेज शामिल नहीं होना शत प्रतिशत सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही झीलों के पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने एवं पानी में ऑक्सीजन की मात्रा आदि के मूल्यांकन को लेकर स्थापित सिस्टम की समय-समय पर जांच कर रिपोर्ट से अवगत कराने को पाबंद किया।
उन्होंने कहा कि झीलों के आसपास स्थित होटल्स, रेस्टोरेंट सहित अन्य सभी व्यावसायिक परिसरों में ग्रीस चेम्बर स्थापित करना सुनिश्चित करते हुए उनसे प्रमाण पत्र प्राप्त किए जाएं तथा निर्देशों की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। बैठक में शहर की पिछोला, फतहसागर, स्वरूप सागर, गोवर्द्धनसागर सहित अन्य झीलों और जलस्त्रोतों की स्थिति और समस्याओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन को लेकर अपेक्षित प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
बैठक में युडीए आयुक्त राहुल जैन, उप वन संरक्षक अजय चित्तौड़ा, नगर निगम के उपायुक्त सुधांशु, अधीक्षण अभियंता मुकेश पुजारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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