नई तकनीक का इस्तेमाल कर निगम बिजली की छीजत पर लगाएगा लगाम


नई तकनीक का इस्तेमाल कर निगम बिजली की छीजत पर लगाएगा लगाम

31 जुलाई तक चलेगा यहाँ अभियान

 
ट्रांसफार्मर

गर्मियों में लोग अपने घरों में एयर कंडीशनर और पंखे जैसी वस्तुओं का उपयोग बहुत अधिक करते हैं । इससे उच्च लोड डिमांड होता है जो बिजली की खपत को बढ़ाता है। इसी कारण अजमेर विद्युत वितरण निगम की ओर से बिजली छीजत पर लगाम लगाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे बिजली की छीजत कम कर निगम को हो रहे नुकसान को रोका जा सके।

इसी के तहत निगम अब कंज्यूमर इंडेक्सिंग प्रोग्राम को अपनाकर बिजली की चोरी का प्रयास करेगी। गर्मियों में किस उपखंड में बिजली खपत ज्यादा और कहा कम है ? किस फीडर से कितनी बिजली सप्लाई हो रही है,और उपभोक्ता कितनी खर्च कर रहे है ? ज़िले सहित अजमेर डिस्कॉम के सभी उपखंडों में यह अभियान 31 जुलाई तक चलेगा।

नई तकनीक को अपनाने के बाद निगम अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने क्षेत्र में हो रही बिजली चोरी को रोकने के लिए ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। कंज्यूमर इंडेक्सिंग तकनीक के तहत अब निगम की ओर से जीएसएस, फीडर और 11 केवी ट्रांसफार्मर पर रीडिंग होगी। जिसके बाद निचले स्तर तक जाकर लॉसेज का पता लगाना है। एसई गिरिश जोशी ने बताया की रीडिंग से खपत का पता लगाने के बाद आगे की प्लानिंग की जाएगी। उदयपुर ज़िले के 8 उपखंड पर स्थानीय से लेकर जिला स्तर के अभियंताओं को इसकी जिम्मेदारी दी है। ज़िले के गिर्वा, खेरवाड़ा, मावली, वल्लभनगर, कोटड़ा, झाड़ोल और ऋषभदेव में कंज्यूमर इंडेक्सिंग की जाएगी।  

शहर को चाहिये 32 लाख यूनिट,सप्लाई 28 लाख 

दरअसल उदयपुर शहर में गर्मी के मौसम को देखते हुए 32 लाख यूनिट बिजली की जरुरत है । लेकिन सप्लाई महज 28  लाख यूनिट ही है। हालंकि अभी मौसम ठंडा होने से खपत में कुछ कमी आई है,परंतु गर्मियां अभी ख़त्म नही हुई है। निगम से ज़रूरत के मुताबिक बिजली नही मिल पा रही है,इसलिए सप्लाई कंट्रोल के लिए घोषित और अघोषित बिजली कटोती की जा रही है।    

उदयपुर मे 3 और अजमेर डिस्कॉम में 46 उपखंड सर्वाधिक बिजली खपत वाले

अजमेर डिस्कॉम में 46 उपखंडों की पहचान की गयी है। इसमें से उदयपुर के खेरवाड़ा, सलुम्बर और गिर्वा भी है। सबसे पहले इन तीनो उपखंडों की रीडिंग ली जाएगी। इसके बाद यह पता लगाया जाएगा की 11 केवी ट्रांसफार्मर पर कितनी सप्लाई की गई,कितनी खपत हुई,उसके बाद छोटे ट्रांसफार्मर से कितनी बिजली कहाँ सप्लाई हो रही है और वह पर कितनी खपत है। 

निगम की ओर से नई तकनीक लागू होने के बाद जीएसएस से लेकर कंज्यूमर, फीडर, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर, पोल और सर्विस पोल तक की सप्लाई का पूरा रिकॉर्ड रखा जा सकेगा। यह भी देखा जाएगा की अधिक लोड के कारण ट्रांसफार्मर पर हो रहे नुकसान का भी जायजा लिया जाएगा कही बार ओवरलोड होने से ट्रांसफार्मर में आग लगना, फ्यूज उड़ना और आयल लीक होने की परेशानियां हो जाती है। निगम के एमडी एसएन निर्वाण ने 31 जुलाई तक सभी उपखंडो की रिपोर्ट मांगी है । इसके लिए संबंधित एक्सईएन नोडल अधिकारी होंगे । 



 

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