देवास सहित सभी अधूरे कार्यों को मिलेगी गति, माही पर बनेंगी दो केनाल

देवास सहित सभी अधूरे कार्यों को मिलेगी गति, माही पर बनेंगी दो केनाल

जल संसाधन मंत्री मालवीया ने ली संभाग स्तरीय बैठक

 
minister mahendra jeet singh malviya

बांध-नहरों के निर्माण, जीर्णोद्धार के प्रस्ताव बनाने में शिथिलता न बरतें - मालवीया

उदयपुर 23 दिसंबर 2021 । जल संसाधन, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना एवं जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने कहा है कि प्रदेश के सभी जलाशयों की पानी की एक-एक बूंद का उपयोग जनहित में हो, इसके लिए विभाग के हर छोटे से बड़े कार्मिक को अगले दो साल तक पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करना होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा को पूरा करने विभागीय अधिकारी-कर्मचारी टीम भावना से कार्य करें और बांध-नहरों के निर्माण, जीर्णोद्धार के प्रस्ताव तैयार करने में किसी प्रकार की शिथिलता न बरतें।

कैबिनेट मंत्री मालवीया ने यह निर्देश गुरुवार को चेतक सर्कल स्थित जल संसाधन संभागीय कार्यालय सभागार में जल संसाधन विभाग की संभाग स्तरीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्ति किए।

माही पर दो केनाल बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता:

बैठक दौरान कैबिनेट मंत्री मालवीया ने बताया कि माही के अंदर दो बड़ी केनाल बनाने की कार्ययोजना है। इसमें एक अपर हाई लेवल केनाल व एक पीपलखूंट की केनाल है। एक केनाल 1600 करोड़ की होगी और दूसरी 800 करोड़ की। 800 करोड़ वाली केनाल पीपलखूंट से निकलकर जाखम के डाउन स्ट्रीम में नागलिया डेम तक पानी आएगा, जो वर्तमान में जाखम के पानी की सिंचित क्षेत्र है वो नई केनाल से होगा और शेष संरक्षित जल का अन्य उपयोग लिया जाएगा। यह बहुत बड़ा निर्णय है। इसके साथ ही अपर हाई लेवल केनाल जिससे पूरा गांगड़तलाई क्षेत्र, पूरा सज्जनगढ़ का क्षेत्र पानी पी रहा है और कुछ क्षेत्र बांसवाड़ा का व 11 पंचायते आनंदपुरी की, लाभान्वित होगी। इस पर करीब 1500 से 1600 करोड़ का व्यय होगा।

देवास सहित सभी अधूरे कार्यों को गति देंगे:

समीक्षा बैठक दौरान उन्होंने कहा कि पीएचईडी के सहयोग से देवास प्रोजेक्ट से संबंधित कार्यों को भी गति प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही बांसवाड़ा में हरिदेव जोशी केनाल तथा डूंगरपुर में भीखाभाई केनाल से संबंधित कार्य भी पूर्ण किए जाएंगे। विभागीय अभियंताओं से उन्होंने भीखाभाई केनाल के सागवाड़ा में लोहारिया तालाब तक हुए कार्य की प्रगति की जानकारी ली और प्रगतिरत कार्य को शीघ्रता से पूर्ण करने के निर्देश देते हुए कहा कि भीखाभाई केनाल के 120 किलोमीटर तक पानी देने की योजना को अगले वर्ष तक पूर्ण कर लिया जावें। उन्होंने माही व जयसमंद बांध की नहरों के सुदृढ़ीकरण में आ रही समस्याओं को दूर करने, 1 हेक्टेयर तक वन क्षेत्र में जलाशय निर्माण या जीर्णोद्धार के प्रस्ताव तैयार करने, कोरोना व अन्य वजहों से अन्य जिलों में जो भी कार्य अधूरे पड़े हैं उन्हें भी गति प्रदान करते हुए पूर्ण करने के निर्देश दिए।

कागदी पर इंदिरा गांधी व माही डेम पर हरिदेव जोशी की प्रतिमा लगेगी:

बैठक दौरान कैबिनेट मंत्री मालवीया ने कहा कि वागड़ अंचल की जीवन रेखा माहीडेम की सौगात देने वाले महान व्यक्तित्वों की याद को चिरस्थायी रूप देने के लिए विशाल प्रतिमाओं को स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बांसवाड़ा के कागदी पिकअप वियर पर माही की नहरों का शुभारंभ करने वाली देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की भी विशाल प्रतिमा लगाई जाएगी वहीं बांसवाड़ा को माही डैम की सौगात देने वाले विकास पुरुष पूर्व मुख्यमंत्री स्व. हरिदेव जोशी की विशाल मूर्ति भी माही की डाउन स्ट्रीम क्षेत्र में लगाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने संबंधित अभियंताओं को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

डूंगरपुर व प्रतापगढ़ विधायक ने दिए सुझाव:

समीक्षा बैठक में डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने मेवाड़ा और अपर घोड़ी बांध की नहरों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति बताते हुए इनको जल्द से जल्द दुरुस्त कराने की बात कही। घोघरा ने सोम कागदर का पानी डूंगरपुर तक पहुंचाते हुए डूंगरपुर व आसपास के क्षेत्र को सिंचित कराने का सुझाव दिया। प्रतापगढ़ विधायक रामलाल मीणा ने जाखम डेम, सोनार डैम, मोका टेक, केरिया डेम, अमृतिया आदि जलाशयों से सिंचाई की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का सुझाव दिया। इस पर केबिनेट मंत्री मालवीया ने संबंधित अभियंताओं को प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।  

काम की परिपाटी बदलो, किसान खुशहाल हो जाएगा:

मालवीया ने अधिकारियों से कहा कि किसान को जब जरूरत हो तब नहरों से पानी दिया जाए। हम पुरानी परिपाटी से बंधे हैं, जब  नहरों  से पानी छोड़ा जाता है तो टेल तक पानी पहुंचते-पहुंचते बहुत देर हो जाती है। उन्होंने अभियंताओं को लाईनिंग के काम का बहाना नहीं करने और आवश्यकतानुसार किसान को पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि माही सहित किसी भी नहर का काम बाकी न रहे, बजट की कोई कमी नहीं है, सरकार हर प्रस्ताव को प्राथमिकता से लेगी।

सोलर एनर्जी व डेम मिट्टी से खाद के लिए पायलट प्रोजेक्ट बनें:

समीक्षा बैठक दौरान मालवीया ने कहा कि क्षेत्र के बांधों पर फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाकर बिजली पैदा की जा सकती है। इसी प्रकार पुराने बांधों की मिट्टी को निकाल कर इसे ट्रीटमेंट करते हुए खाद की तरह उपयोग में लिया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने विभाग को पायलट प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए।

हर जिले पर रहा फोकस:

विभागीय समीक्षा बैठक में कैबिनेट मंत्री मालवीया ने जल संसाधन क्षेत्र सुदृढ़ करने के लिए सभी जिलों पर फोकस किया और संबंधित अभियंताओं से एक-एक कर जानकारी ली व निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिलों के बांध-नहरों की स्थिति की समीक्षा की और जल वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सातों संभाग मुख्यालयों पर इसी प्रकार की समीक्षा बैठक लेकर विभाग को सुदृढ़ बनाने की भी बात कही।  

उन्होंने संभाग में प्रगतिरत कार्यों एवं जारी प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति पर समीक्षा करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उन्होंने कहा कि आगामी वर्षों में सरकार द्वारा 100 एनीकटों का निर्माण करवाएंगे, ऐसे में क्षेत्र में नदी-नालों के माध्यम से व्यर्थ जाने वाले जल को रोककर उसका सदुपयोग करने एवं बूंद-बूंद जल को सहेजने की कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्पूर्ण क्षेत्र में पेयजल के साथ किसानों को पर्याप्त जल उपलब्ध कराने की विभागीय प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए प्रयास करने की भी बात कही।

बैठक में डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा, प्रतापगढ़ विधायक रामलाल मीणा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता भुवन भास्कर, मुख्य अभियंता केडी सांदू, ऋषभ जैन आदि मौजूद थे। बैठक दौरान मालवीया ने विभाग की समन्वय समिति द्वारा तैयार की गई पुस्तिका का भी विमोचन किया।

आरंभ में अतिरिक्त मुख्य अभियंता भुवन भास्कर ने संभाग के विभाग के समस्त कार्यों की प्रगति, लंबित परियोजनाओं और अन्य आवश्यकताओं पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से तथ्यात्मक जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने विभाग में तकनीकी कार्मिकों की भर्तियों व आवासीय कॉलोनियों के जीर्णोद्धार की आवश्यकता भी रखी।

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