विदेशों में नौकरी और अच्छे पैसे कमाने का लालच देकर कम पढ़े-लिखे लोगों से धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। ये लोग विदेशों में नौकरी पाने के लालच में फर्जी एजेंटों के जाल में फंस कर पैसा तो गंवाते ही हैं साथ में विदेशी जमीन पर फंस कर रह जाते हैं, जहां पर उनकी मदद करने वाला कोई नहीं होता। पिछले 4 साल में भारत के 649 ऐसे लोग थे जो गैर-कानूनी माध्यमों से विदेश में नौकरी के लिए गए और वहां पर जाकर फंस गए। अब केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों को एजेंटों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
साथ ही देश में सक्रिय 2 हजार से अधिक अवैध एजेंटों की पहचान सूची बनाई है। ये फर्जी एजेंट श्रमिकों से मोटी रकम वसूल कर उन्हें नौकरी के फर्जी ऑफर लेटर के साथ विदेशों में भेजते हैं। विदेशी कंपनियां फर्जी तरीके से पहुंचे इन श्रमिकों का पासपोर्ट जब्त कर शोषण करती हैं। उन्हें ऑफर लेटर से बेहद कम पेमेंट करती हैं, कुछ मामलों में तो पेमेंट ही नहीं दिया जाता है। यदि कोई श्रमिक भागना चाहता है तो उसे अवैध प्रवासी घोषित कर दिया जाता है।
क्या है ईसीआर पासपोर्ट, कैसे होता है फर्जीवाड़ा?
ईसीआर (ECR) पासपोर्ट 10वीं से कम या निरक्षर लोगों को जारी होता है। अवैध एजेंट ईसीआर पासपोर्ट वालों को टूरिस्ट बनाकर विदेश भेजते हैं। वहां किसी बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर किया जाता है। कंपनी पासपोर्ट छीन लेती है। बिना पासपोर्ट पकड़े जाना और बिना अनुमति दोनों अपराध हैं, इसलिए श्रमिक फंस कर रह जाते हैं। केंद्र ने ईसीआर पासपोर्ट (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) धारकों को अवैध तरीके से विदेश भेजने वाले 2,548 अवैध एजेंटों की सूची ई-माइग्रेट पोर्टल पर अपलोड किया है। इस मैकेनिज्म के जरिए ईसीआर पासपोर्ट धारक श्रमिक ये जांच सकेगा कि एजेंट ब्लैक लिस्टेड तो नहीं है। केंद्र सरकार ने राज्यों को भी जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
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