उदयपुर CMHO ने दिया Magnus Hospital को नोटिस


उदयपुर CMHO ने दिया Magnus Hospital को नोटिस

नवीन मरीजों की भर्ती पर लगाई रोक, पांच दिनों में नोटिस का जवाब देने के दिए निर्देश

 
Magnus Hospital

उदयपुर 8 जुलाई 2024। जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शंकरलाल बामनिया ने एक महत्वपूर्ण कार्यवाही करते हुए शहर के भुवाणा क्षेत्र के मीरा नगर स्थित Magnus Hospital के प्रबंधक को नोटिस जारी करते हुए नवीन मरीजों की भर्ती पर तत्काल प्रभाव से अस्थायी रोक लगाई है एवं जांच कमेटी की रिपोर्ट के संबंध में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शंकरलाल बामनिया ने बताया कि जिला कलक्टर एवं जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण के अध्यक्ष अरविंद पोसवाल द्वारा गत दिनों श्रीमती अपूर्वा जोशी पत्नी योगेश जोशी के पुत्र के इलाज में कथित घोर लापरवाही पर जांच कमेटी गठित की थी। इस जांच कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के संबंध में हॉस्पिटल के प्रबंधक से अपना प्रत्युत्तर प्रस्तुत करने को कहा है। 

उन्होंने बताया कि सतर्कता समिति में दर्ज शिकायत के संबंध में गठित जांच कमेटी ने प्रार्थी द्वारा अपने बच्चे के इलाज में कथित घोर लापरवाही के कारण बच्चे की दोनों आंखों की रोशनी चली जाने के संबंध में जिला कलेक्टर उदयपुर को प्रस्तुत शिकायत पत्र पर दिए निर्देशों पर कार्यवाही कर विस्तृत जांच की थी जिसमें पाया गया था कि हाॅस्पीटल के इस कृत्य से चिकित्सा विभाग की छवि धुमिल हुई है एवं आम जनता पर उनके हॉस्पिटल की कार्य प्रणाली में गैर जिम्मेदारपूर्ण रवैया एवं ईलाज में कथित घोर लापरवाही प्रदर्शित हुई है जिससे प्रार्थी एवं आमजन में विपरीत प्रभाव पड़ा है।

सीएमएचओ डाॅ. बामनिया ने जांच कमेटी द्वारा अपनी जांच में पाए गए तथ्यों पर 4 बिन्दुओं में दी गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि  जांच कमेटी के तथ्यों से ज्ञात होता है कि उनके द्वारा चिकित्सालय में मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ एवं ईलाज में गम्भीर लापरवाही की जा रही है, ऐसे में क्यों नहीं उनके विरूद्ध नैदानिक स्थापना (रजिस्ट्रीकरण और विनियम) अधिनियम 2010 के तहत कार्यवाही प्रस्तावित की जावे ?

नोटिस में कहा गया है कि इन सभी परिस्थितियों के मध्यनजर रखते हुए उनका यह कृत्य अनुचित आचरण एवं व्यावसायिक कदाचार की श्रेणी में आता है इससे आमजन में चिकित्सा व्यवसाय की पवित्रता भंग होना व छवि धूमिल होने की प्रबल संभावना है। इसके साथ ही रिकार्ड में काट-छांट व औसत से कई गुना अधिक सिजेरियन सेक्शन (प्रीटर्म बर्थ) करना दर्शाता है कि मरीज के हितों की उपेक्षा करके निजी वित्तीय हितों को प्राथमिकता दिया जाने की पुष्टि करता है अतः क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 एवं इस संबंध में समय-समय पर जारी एक्ट की गाइड लाइन अनुसार मरीजों एवं विशेष रूप से नवजात शिशुओं एवं प्रसूताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ व खतरा होने की स्थिति में संबंधित चिकित्सालय के विरुद्ध तत्काल कदम उठाना व्यापक जनहित में उचित व न्यायसंगत प्रतीत होता हैं।
 
हॉस्पिटल में नए मरीजों की भर्ती पर लगाई रोक

उन्होंने एक्ट में दिये प्रावधानों अनुसार मरीज के स्वास्थ्य के प्रति खतरा प्रतीत होने पर जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण की आगामी बैठक में अन्तिम निर्णय होने तक उनके चिकित्सालय में पूर्व में भर्ती मरीजों का इलाज जारी रखते हुए नवीन मरीजों की भर्ती पर नोटिस प्राप्ति के दिनांक से तुरंत प्रभाव से अस्थायी रोक लगायी है तथा निर्देशित किया है कि जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण द्वारा अनुमति के पश्चात ही नये रोगियों की भर्ती प्रारंभ करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस संबंध में जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण कमेटी द्वारा उक्त कृत्य के संबंध में उनके विरूद्ध विधि सम्मत कार्यवाही की जाकर उनके चिकित्सालय का नैदानिक स्थापना (रजिस्ट्रकरण एवं विनियम) अधिनियम 2010 के अन्तर्गत अस्थायी पंजीकरण निरस्त करने की कार्यवाही भी की जा सकती है। उन्होंने नोटिस में कहा है कि इस संदर्भ में यदि वे कोई जवाब रखते हो तो आगामी पांच कार्यदिवस में अपना जवाब मय दस्तावेज प्रस्तुत करें।

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