आज लगभग दो घण्टे चली मैराथन मीटिंग में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिलहाल लॉकडाउन लगाने से इंकार कर दिया। एक्सपर्ट पैनल में शामिल अधिकांश लोग एक हफ्ते से लेकर 15 दिनों के सख्त कर्फ़्यू के पक्ष में थे,लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले लॉकडाउन में आम जन को बहुत तकलीफ हुई थी, इसलिए अभी लॉकडाउन नही लगाएंगे, हमारी पूरे राजस्थान के हालातों पर पूरी नजर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वक्त को देखते हुए कड़ाई बहुत जरूरी है, लेकिन सभी की सहमति से ही फैसला लिया जाएगा। सीएम ने फिलहाल कोई इशारा नही किया कि आगे क्या कदम उठाने वाले हैं, लेकिन लोग मास्क कम लगाते हैं, अतः अब जुर्माना बढ़ाना ही पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने इससे पहले मंत्रिमंडल की भी 4 घण्टे की मीटिंग ली थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोरोना कुंभ, गुजरात और महाराष्ट्र के नागरिकों के कारण ज्यादा फैल रहा है। आज शाम होने वाली मुख्यमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस को फिलहाल रद्द कर दिया है। राज्य सरकार की अगली गाइडलाइंस क्या आती है, इसका इंतजार करना होगा
राजस्थान में कोरोना से बिगड़ते हालात को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने ओपन बैठक की। रविवार शाम 1 घंटा 53 मिनट तक अधिकारियों, राजनीतिक दलों, धर्मगुरुओं, सामाजिक संगठनों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर मंथन किया। विचार-विमर्श के बाद सीएम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे। लॉकडाउन जारी रहेगा या नहीं, इस पर कुछ नहीं बोले। उन्होंने इतना जरूर कहा- पहले भी हमने सबकी सलाह से फैसले किए हैं। आगे भी कोई फैसला सबकी सलाह से होगा। कोरोना की भयावह हालत है। सच्चाई का सामना नहीं करेंगे, तो हालात काबू नहीं कर पाएंगे। पिछली बार की तरह ही जनता सहयोग करे। इस बार भी जनता सहयोग करेगी। अगर बाहर निकलना पड़े, तो बिना मास्क न निकलें। बिना मास्क का जुर्माना बढ़ाना पड़ेगा। कोरोना बढ़ गया, तो भारत सरकार भी ऑक्सीजन और दवा की आपूर्ति नहीं कर पाएगी।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. सुभाग गर्ग ने कहा था कि- 15 दिन तक कर्फ्यू को सख्ती से लागू करें। अन्यथा हम कुछ भी कर लें, संक्रमण की गति को नहीं रोक पाएंगे। मेडिकल एक्सपर्ट्स ने भी कुछ ऐसी ही राय रखी थी। इससे पहले , आरयूएचएस कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी सहित कई मेडिकल एक्सपर्ट ने 2-3 सप्ताह का लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया। इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- पिछली बार जब लॉकडाउन लगाया गया था, तब लोगों को बहुत तकलीफ हुई थी। मजदूरों का पलायन हुआ, लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई। इसलिए लॉकडाउन का फैसला बहुत सोच-समझकर करना होगा।
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