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पार्षद नहीं जारी करें वारिस प्रमाण पत्र या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र

वारिस प्रमाण पत्र या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार केवल स्थानीय जिला न्यायालय (सिविल न्यायालय) को ही है

 

उदयपुर 11 अक्टूबर 2022 । नगर निगम विधि समिति की बैठक सोमवार को निगम कार्यालय में समिति अध्यक्षा सोनिका जैन की अध्यक्षता में आयोजित की गई इस दौरान नगर निगम उप महापौर पारस सिंघवी भी मौजूद रहे।

नगर निगम विधि समिति अध्यक्षा सोनिका जैन ने बताया कि पिछले कुछ समय से नगर निगम पार्षद द्वारा शिकायत की जा रही है कि कई बैंक के कर्मचारी अपने ग्राहकों को गुमराह करते हुए उन्हें उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पर पार्षदों के हस्ताक्षर करवाने के लिए कह रहे है। वार्ड वासियों द्वारा उन्हें उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने हेतु दबाव में लाया जाता है। 

समिति सदस्या आरती वसीटा ने तो यहां तक कह दिया कि कई बार पार्षदों को पैसे ले लो और साइन कर दो ऐसा उलाहना भी दिया जाता है। जिस पर समिति की बैठक में तय किया गया कि कोई भी पार्षद अब से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी नहीं करेगा। इतने पर भी यदि किसी पार्षद द्वारा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी किया जाता है तो होने वाली कानूनी कार्रवाई का वह स्वयं जिम्मेदार रहेगा। 

बैठक में उपस्थित नगर निगम उप महापौर पारस सिंघवी ने बताया कि ऐसी घटना पूर्व में भी पार्षदों द्वारा संज्ञान में लाई गई थी जिस पर महापौर गोविंद सिंह टाक के निर्देश पर पार्षदों को वारिस/ उत्तराधिकार प्रमाण पत्र नहीं जारी करने के निर्देश पत्र जारी किया गए थे, क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। 

समिति अध्यक्ष जैन ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी कर वारिस प्रमाण पत्र को सत्यापित बनाने हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य सरकार के आदेश अनुसार नगर निगम में महापौर, उपमहापौर, पार्षद, ग्राम पंचायतों में सरपंच, वार्ड पंच को इस प्रकार के प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है। वारिस प्रमाण पत्र या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार केवल स्थानीय जिला न्यायालय (सिविल न्यायालय) को ही है। राज्य सरकार के आदेशों के पश्चात भी यदि कोई इस प्रकार के प्रमाण पत्र जारी करते हैं तो भविष्य में किसी भी प्रकार की विधिक कार्यवाही होने पर स्वयं जारीकर्ता जिम्मेदार होगा। सभी पार्षद ऐसे प्रमाण पत्र जारी नहीं करें।

बैठक में न्यायालय में नगर निगम के लंबित विभिन्न प्रकरणों पर भी विस्तृत चर्चा हुई एवं सभी अधिवक्ताओं से निगम के पक्ष में पुरजोर पैरवी करते हुए फैसले अपने पक्ष में लाने हेतु भरसक प्रयास करने के लिए कहा गया, इसी के साथ यह भी तय किया गया कि किसी भी प्रकरण की पेशी के पूर्व ही उस प्रकरण की संपूर्ण तैयारी की जाएगी जिसमें संबंधित अधिकारी एवं अधिवक्ता आपस में चर्चा करेंगे जिससे न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से प्रस्तुत कर सके।

बैठक में नगर निगम उप महापौर, विधि समिति अध्यक्षा के अलावा समिति सदस्य मोहन गुर्जर आरती वसीटा, करण मल जारौली, मोहसीन ख़ान, भगवती डांगी, डॉ शिल्पा पामेचा, निगम अधिकारी दीपिका मेनारिया आदि उपस्थित रहे।