पुत्र नहीं होने का उलाहना देकर पत्नी को घर से निकालने वाले पति को भरण पोषण के आदेश
न्यायालय ने भरण पोषण के पांच हजार रुपए मासिक देने के भी दिए आदेश
उदयपुर 7 अक्टूबर 2022 । विवाहिता को पुत्र नहीं होने का उलाहना देकर घर से निकालने के मामले में उसकी ओर से पेश भरण पोषण वाद में न्यायालय ने ससुराल पक्ष को आदेश दिया कि वह मां-बेटी के रहने के लिए अपने मकान में एक कमरा और रसोई दें, साथ ही पति को प्रति माह पांच हजार रुपए अपनी पत्नी को देने के आदेश दिए गए।
न्यू शांतिनगर हिरणमगरी निवासी शिखा सरूपरिया पत्नी प्रशांत लोढ़ा ने अपनी अधिवक्ता नीता जैन के मार्फत न्यायालय में धारा 23 घरेलू हिंसा के तहत एक परिवाद पेश किया। इसमें बताया कि पुत्र नहीं होने से उसके पति प्रशांत लोढ़ा, सास सीतादेवी, ससुर शांतिलाल लोढ़ा, जेठ सचिन लोढ़ा, जेठानी अनीता लोढ़ा, काका ससुर सुशील लोढ़ा निवासी न्यू शांतिनगर हिरणमगरी ने उसे गर्भावस्था में परेशान किया।
खाना-पीना ढंग से नहीं देकर चोरी का आरोप लगाया और घर से निकाल दिया। परिवाद में प्रार्थिया ने भरण पोषण और आवास संबंधी समस्याएं भी बताई। दोनों पक्षों की बहस और दलीले सुनने के उपरांत पीठासीन अधिकारी ने पति प्रशांत लोढ़ा को आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी व पुत्री के रहने के लिए उनके निवास गृह में एक कमरा और एक रसोई दें, साथ ही एक अप्रेल 2021 से पांच हजार रुपए प्रति माह भरण पोषण भी अदा करें। यह राशि प्रति माह दस तारीख तक पहुंचनी चाहिए।