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म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) प्रदेश में महामारी घोषित

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक दिन पहले इसे राजस्थान की हेल्थ इंश्योरेंस चिरंजीवी योजना में शामिल किया था।

 

मरीजों की संख्या में निरन्तर वृद्धि और कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आने तथा ब्लैक फंगस एवं कोविड का एकीकृत व समन्वित रूप से उपचार किए जाने के चलते पूर्व में घोषित महामारी कोविड-19 के अन्तर्गत ही राजस्थान महामारी अधिनियम के तहत (ब्लैक फंगस) को सम्पूर्ण राज्य में महामारी तथा नोटिफाएबल बीमारी घोषित कर दी है।

प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के प्रभाव के कारण म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) को महामारी घोषित कर दिया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य  विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने बताया कि म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) मरीजों की संख्या में निरन्तर वृद्धि और कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आने तथा ब्लैक फंगस एवं कोविड का एकीकृत व समन्वित रूप से उपचार किए जाने के चलते पूर्व में घोषित महामारी कोविड-19 के अन्तर्गत ही राजस्थान महामारी अधिनियम के तहत (ब्लैक फंगस) को सम्पूर्ण राज्य में महामारी तथा नोटिफाएबल बीमारी घोषित कर दी है।

राजस्थान में ब्लैक फंगस के 400 से अधिक मामले मिलने के बाद राजस्थान सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है।  हरियाणा की तर्ज पर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने ब्लैक फंगस को नोटिफाई किया है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए लोगों में यह बीमारी फैली है। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक दिन पहले इसे राजस्थान की हेल्थ इंश्योरेंस चिरंजीवी योजना में शामिल किया था। इसके बाद अब यह कदम उठाया है। जयपुर, जोधपुर के अलावा सीकर, पाली, बाड़मेर, बीकानेर, कोटा और अन्य जिलों में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है। ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के पीछे सरकार का कहना है कि इस फैसले के बाद अब इस बीमारी की प्रभावी तरीके से मॉनिटरिंग हो सकेगी, साथ ही इलाज को लेकर भी गंभीरता बरती जा सकेगी। 

राजस्थान में जयपुर, अजमेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर समेत कई जिलों में हालांकि सरकारी आंकड़ों में ऐसे 100 ही मामले दर्ज हैं। इसके पीछे कारण है कि अब तक इस बीमारी को नोटिफाइड डिजीज घोषित नहीं किया गया था। इसलिए सरकार के पास इसके आंकड़े नहीं हैं। अब सरकार ने हरियाणा सरकार की तर्ज पर इसे भी नोटिफाइड डिजीज घोषित कर दिया है। 

वहीं राजस्थान सरकार ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर बेहद चितिंत है इसलिए इस फंगस व इन्फेक्शन को रोकने के लिए एकमात्र इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी आता है, जिसकी उपलब्धता बाजार में न के बराबर है। पीड़ित मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए इधर से उधर भटकने को मजबूर है। इसे देखते हुए सरकार ने इस इंजेक्शन की मांग केन्द्र सरकार से की है। इसके अलावा इस इंजेक्शन की खरीद के लिए सरकार ने 2500 वायल (शीशी) खरीदने के सीरम कंपनी को ऑर्डर भी दिया है।

ब्लैक फंगस क्या होता है

कोरोना पीड़ितों को संक्रमण का प्रभाव कम करने के लिए स्टोरॉयड दिया जाता है। इससे मरीज का ब्लैड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसके साइडइफेक्ट के रूप में कई लोगों में ब्लैक फंगस हो जाता है। शुरुआती तौर पर इस बीमारी में नाक खुश्क होती है। नाक की परत अंदर से सूखने लगती है। इसके बाद चेहरे और तलवे की त्वचा सुन्न हो जाती है। चेहरे पर सूजन आ जाती है। इस बीमारी से आंखों की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है, जिससे सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद हो जाता है। इस कारण कई मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है।