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बालिकाओं ने कहा खाने में कीडे आने की शिकायत करने पर वार्डन डराती धमकाती है

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर के निर्देशन में अनुदानित बालगृह जीवन ज्योति सुखेर का औचक निरीक्षण, मिली कई अनियमिताए

 

उदयपुर 1 नवंबर 2022 । एडीजे कुलदीप शर्मा ने किया अनुदानित बालगृह जीवन ज्योति सुखेर का औचक निरीक्षण किया जिसमे कई अनियमिताए पाई गई । निरीक्षण के दौरान बाल गृह के स्टॉफ रजिस्टर को भी दस्तयाब किया गया ।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर के अध्यक्ष एडीजे कुलदीप शर्मा एवं सचिव के निर्देशन में अनुदानित बालगृह जीवन ज्योति का औचक निरीक्षण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयापुर द्वारा किया गया।

कुलदीप शर्मा एडीजे एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर ने बताया कि उदयपुर जिले में संचालित सरकारी एवं अनुदानित बालगृहो में बालक-बालिकाओं को दिये जाने वाले सुबह के नाश्ते, लंच एवं डीनर के फोटोग्राफस को वाट्सएप ग्रुप में मंगवाए जा रहे है । आज दिनांक 01.11.2022 को सुबह वाट्सएप ग्रुप में पोस्ट किये गए अनुदानित गृहो के फोटोग्राफ्स की जांच करने पर यह तथ्य सामने आया कि जीवन ज्योति सुखेर द्वारा सुबह दिये गए नाश्ते के फोटोग्राफ्स ग्रुप में पोस्ट नहीं किये है । संदेह के घेरे में आने पर 11.00 बजे जीवन ज्योति अनुदानित बाल गृह का औचक निरीक्षण किया गया ।

निरीक्षण के दौरान निम्न अनियमितताएं पाई गई

  1. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि मुख्य द्वार पर चौकीदार नहीं है ।
  2. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अनुदानित बालगृह एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित छात्रावास एक ही भवन में संचालित है । जहां पर । स्वीपर की कोई व्यवस्था नहीं है । उपस्थित स्टॉफ ने बताया कि आज स्वीपर नहीं आया है । शौचालय एवं मूत्रालय की सफाई के बारे में जानकारी ली गई कि आज सफाई किसके द्वारा की गई है तो इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया ।
  3. बालको को सुबह 8.00 बजे दिये जाने वाले नाश्ते के बारे में जानकारी लेने पर पाया गया कि आज दिनांक 01.11.2022 को बच्चों को नाश्ता नहीं दिया गया है । डाइट प्लान के अनुसार सोमवार को बच्चों को सुबह दूध एवं पोहा दिया जाना चाहिए था।
  4. जीवन ज्योति अनुदानित बाल गृह है । बाल गृह में निराश्रित बच्चों को रखा जाना चाहिए । बाल गृह के बालको के उपस्थिति रजिस्टर की जांच करने पर यह तथ्य सामने आया कि जो बच्चे निराश्रित नहीं है उन्हे भी बाल गृह में रखा गया है ।
  5. निरीक्षण के समय पाया गया कि बाल गृह में 50 बालको पर 15 का स्टाफ स्वीकृत है लेकिन मौके पर केवल मात्र दो रसोईयें एवं एवं दो केयर टेकर मिले। राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक स्टॉफ के लिऐ मासिक आधार पर तनख्वाह दी जाती है जिसका दुरूपयोग किया जा रहा है ।  
  6. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के छात्रावास स्टॉफ उपस्थिति रजिस्टर की जांच करने पर पाया गया कि अगस्त 2022 के पश्चात् अनुदानित छात्रावास में स्टॉफ लगाया ही नहीं गया । रजिस्टर को दस्तियाब किया गया है। उक्त रजिस्टर जयपुर स्थित अधिकारियों को भेजा जाकर संबधित के विरूद्ध कार्यवाही हेतु लिखा जायेगा
  7. अनुदानित छात्रावास एवं अनुदानित बालगृह दोनो में मिलाकर कुल 25 का स्टॉफ होना चाहिए लेकिन दिनांक 01.11.2022 को निरीक्षण के दौरान केवल  4 कार्मिक ही मौके पर मिले । छात्रावास एवं बालगृह दोनो एक ही भवन में संचालित होना सरकारी अनुदान का दुरूपयोग है ।

मीरा निराश्रित गृह महिला मण्डल की 5 बालिकाएं परिजनो के साथ मिली बाल कल्याण समिति के कार्यालय में  एडीजे कुलदीप शर्मा के बाल कल्याण समिति, उदयपुर के कार्यालय में पहुंचते ही बालिकाओं ने शिकायतो का अंबार लगा दिया ।

अनुदानित बालगृह जीवन ज्योति में अनियमिताओं को देखते हुए  कुलदीप शर्मा एडीजे बाल कल्याण समिति, उदयपुर के कार्यालय में 11.15 बजे पंहुचे तो बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सदस्य सभी नदारद मिले। बाल कल्याण समिति उदयपुर के कार्यालय के बाहर खडी बालिकाएं एवं उनके परिजन इन्ही का इंतजार कर रहे थे । 

एडीजे कुलदीप शर्मा के बाल कल्याण समिति कार्यालय में पंहुचते ही 5 बालिकाए अपने परिजनों के साथ कार्यालय में आ गई ।अध्यक्ष एवं सदस्यों के बाल कल्याण समिति कार्यालय में नहीं मिलने पर अध्यक्ष ध्रुव कुमार कविया को फोन किया गया तो उन्होने बताया कि वह आज अवकाश पर है। आधे घण्टे तक कार्यालय में रूकने के पश्चात् बाल कल्याण समिति सदस्य सुरेश जोशी कार्यालय में उपस्थित हुए ।

कुलदीप शर्मा एडीजे से बालिकाओं ने बात की एवं बताया कि बालिकाएं दीवाली पर अपने घर गई थी। उन्हे मीरा निराश्रित अनुदानित गृह की जुही शर्मा ने बोला है कि पुनः अनुदानित गृह में रहना है तो बाल कल्याण समिति से आदेश लेकर आओं। बालिकाओं ने यह भी बताया कि पिछले 4 से 5 वर्ष से बालिकाएं अनुदानित गृह में आवासित है । बेड शीट स्वयं धोती है । खाने में कीडे आने पर शिकायत करने पर निर्मला नाम की वार्डन उन्हें डराती धमकाती है ।

अनुदानित गृहों में जो बालक-बालिकाए निराश्रित नहीं है उन्हे भी निराश्रित बनाकर रखा हुआ है ताकि उनके नाम पर सरकार से अनुदान लिया जा सके ।वास्तव में जो निराश्रित है उन्हे बालगृहों में रखा जाना सरकारी अनुदान का दुरूपयोग है। उदयपुर जिले में संचालित समस्त बालगृहो को पिछले 5 वर्षो का डेटा सहायक निदेशक बाल अधिकारित विभाग उदयपुर से मंगाया जाकर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी । जयपुर स्थित उच्चाधिकारियों को लिखते हुए अनुदान के दुरूपयोग रोका जाएगा ।