चित्तौड़गढ़ ज़िले में 45 बाल विवाह रुकवाए
जो आंकड़ा सामने आया है वह प्रशासन के लिए प्रशंसनीय कहा जा सकता है लेकिन समाज के लिए सोचनीय है आज भी बेटियों को बाल विवाह का दंश झेलना पड़ रहा है
लगातार दावे किए जा रहे हैं बचपन सुरक्षित है बेटियों के लिए अनुकूल माहौल है लेकिन बाल विवाह है कि थमने का नाम नहीं ले रहे हैं और चित्तौड़गढ़ जिला आज भी इस कुप्रथा का दंश झेल रहा है।
बाल विवाह को लेकर गंभीरता से काम किया जा रहा है लेकिन फिर भी बाल विवाह रुकवाने के जो आंकड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले है। दरअसल गत 18 अप्रैल से लेकर 2 मई तक निजी स्वयंसेवी संस्था कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन श्री आसरा विकास संस्थान पुलिस प्रशासन और विभिन्न महकमों ने मिलकर 45 बाल विवाह रुकवाया हैं। जिले के बड़ी सादड़ी बेगू डूंगला गंगरार अलग-अलग उपखंड मुख्यालय पर मिली सूचनाओं के आधार पर यह बाल विवाह रुकवाया गए हैं।
अब तक पुलिस और प्रशासन ने निजी स्वयंसेवी संस्था के साथ मिलकर लगातार कार्रवाई की है 18 मई के बाद से ही पुलिस लगातार सक्रिय हैं अलग-अलग थाने के थाना अधिकारी मौके पर पहुंचकर कार्रवाई कर रहे हैं। जिले में सर्वाधिक बाल विवाह जिले के शंभूपुरा थाना क्षेत्र में रुकवाया गए हैं यहां नौ परिवारों को बाल विवाह करने से रुकवाया गया है वही जिला मुख्यालय के सदर थाने में 6 बाल विवाह रुक गए हैं। इसके अतिरिक्त जिले के अकोला कोतवाली चंदेरिया गंगरार सहित अन्य थाना क्षेत्र में कार्रवाई की गई है पुलिस ने लगातार कार्रवाई की है।
पुलिस प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं ने पहल करते हुए नगद राशि देकर लोगों को प्रोत्साहित भी किया है। बाल विवाह रोके भी गए हैं लेकिन साफ तौर पर जाहिर होता है कि अभी जागरूकता की कमी है और जो आंकड़ा सामने आया है वह प्रशासन के लिए प्रशंसनीय कहा जा सकता है लेकिन समाज के लिए सोचनीय है आज भी बेटियों को बाल विवाह का दंश झेलना पड़ रहा है।