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धार्मिक पर्यटन विकसित करने के संबंध में सुझाव प्राप्त

विकसित राजस्थान 2047 : देवस्थान विभाग की हितधारकों के साथ राज्य स्तरीय कार्यशाला

 

उदयपुर 21 जून 2024। विकसित राजस्थान 2047 दस्तावेज तैयार करने के लिए देवस्थान विभाग की ओर से गुरुवार को राज्य स्तरीय कार्यशाला डॉ. अनुष्का विधि महाविद्यालय सभागार में हुई। कार्यशाला के मुख्य अतिथि उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत थे जबकि अध्यक्षता देवस्थान आयुक्त वासुदेव मालावत ने की।

मुख्य अतिथि सांसद रावत ने बताया कि राजस्थान का गौरवशाली अतीत धार्मिक निष्ठा एवं धर्म पालन के बलिदानों के लिये विख्यात है। विभिन्न तीर्थ स्थलों पर बने मंदिर एवं पूजा स्थल प्राचीन काल से ही धार्मिक, नैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं शैक्षणिक प्रवृतियों के केन्द्र रहे है एवं इनके माध्यम से  ज्योतिष, आयुर्वेद, कर्मकाण्ड, धर्मशास्त्र, संगीत, शिल्प, चित्रकला, मूर्तिकला, लोकगीत, भजन, नृत्य परम्परा आदि का संरक्षण, प्रसार एवं प्रशिक्षण होता रहा है एवं इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु देवस्थान विभाग का गठन किया गया। 

रावत ने विभाग को अपने मूल उद्देश्यों पर वर्तमान परिपेक्ष्य में पुनः लौटने का सुझाव दिया और मन्दिरों को ‘‘नर से नारायण’’ बनाने की प्रयोगशाला विकसित करने की दिशा में कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देवस्थान के माध्यम से मेवाड़ के जनजाति क्षेत्रों में प्रचलित लोक नृत्य गवरी आदि, लोकगीत एवं लोक भजनों के प्रचार-प्रसार एवं इनकों प्रोत्साहित करने के लिये योजना बनाई जानी चाहिए। जनजाति आस्था के केन्द्र मानगढ़ धाम एवं छोटे-छोटे देवरों (धुनियों) का विकास के साथ-साथ इनको श्रद्धालुओं से जोड़ने के लिये पद यात्राओं का आयोजन किया जाए।

वासुदेव मालावत ने स्वागत उ्द्बोधन के बाद विकसित राजस्थान /2047 विजन दस्तावेज बनवाने के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उपायुक्त सुनील मत्तड़ द्वारा देवस्थान विभाग का संक्षिप्त में परिचय दिया गया।

इन्होंने दिए सुझाव

श्रीमती मोहन देवी सोमानी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से डॉ. शैलेन्द्र सोमानी ने प्रमुख मन्दिरों से युवाओं को जोड़ने हेतु ऑडियो विडियो विजुअल के माध्यम से मन्दिरों की जानकारी देने, मन्दिरों में लाईट एण्ड साउण्ड शो आयोजित करने तथा सभी मन्दिरों को एक यूनिवर्सल एप जिसमें प्रमुख रूप से मन्दिरों का इतिहास एवं समय-सारणी, मन्दिरों के ऑनलाईन आरती दर्शन एवं पूजा कराने की व्यवस्था संबंधी सुझाव दिये। द्वारकाधीश मन्दिर प्रन्यास कांकरोली, राजसमन्द से उपस्थित अधिकारी विनित सनाढ्य ने धार्मिक पर्यटन विकसित करने के लिए राजसमन्द जिले के श्रीनाथ जी, द्वारकाधीश जी, चारभुजा जी के साथ ही उदयपुर के जगदीश मन्दिर, एकलिंगजी, बांसवाडा के त्रिपुरा सुन्दरी, चितौडगढ़ के सांवलिया जी एवं डूंगरपुर के देवसोमनाथ मन्दिर को जोड़कर धार्मिक पर्यटन सर्किट बनाने का सुझाव दिया। मन्दिर श्री सालासर बालाजी, जिला चुरू से यशोदानन्दन पुजारी ने सुझाव दिया कि छोटे गॉव में स्थित छोटे मन्दिरों की भूमियों पर विद्युत एवं नल कनेक्शन के लिये पुजारियों को अधिकार दिये जाये, देवस्थान विभाग को मन्दिरों की सेवा-पूजा के अलावा लोक सुविधा विकसित करने के क्षेत्र में भी सक्रिय योगदान होना चाहिए जिससे मन्दिरों में अधिक से अधिक जनसुविधाएं विकसित की जा सके तथा बडे प्रन्यासों एवं संस्थाओं को जनहित में छोटे मन्दिरों में सुविधाएं विकसित करने हेतु प्रेरित किया जाये।

भगवान देवनारायण के जन्म स्थल मालासेरी डूंगरी आसिन्द भीलवाड़ा से उपस्थित पुजारी हेमराज पोसवाल ने सुझाव दिया कि जिन प्रसिद्ध मंदिरों के विकास हेतु भूमि उपलब्ध नहीं है उन्हे भूमि आवंटित की जानी चाहिये । हरे कृष्ण मूवमेन्ट से श्री ऋषिकेशदास द्वारा मन्दिरों को युवाओं को केन्द्र में रखते हुए मन्दिर परिसर में वेद, पुराण, उपनिषद, भगवतगीता एवं अन्य शास्त्रों के अध्ययन हेतु एक लाईब्रेरी विकसित करने का सुझाव दिया साथ ही मन्दिर के पुजारियों को सेवा-पूजा के साथ जनचेतना को जागृत करने के लिये प्रशिक्षण देने के सुझाव दिये। 

पर्यटन विभाग की उपनिदेशक सुश्री शिखा सक्सेना ने धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ाना देना राज्य सरकार की प्राथमिकता बताते हुए धार्मिक स्थलों पर जनसुविधा जैसे विश्राम स्थल, केफेटेरिया आदि एवं अन्य सुविधाएं जैसे लाईट एण्ड साउण्ड शो आयोजन करते हुए विदेशी पर्यटकों को भी मन्दिरो से जोडने हेतु प्रयास करने, हर जिले के प्रमुख मन्दिरों की एक लघु फिल्म बनाकर पर्यटन विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने तथा सभी संभागों के प्रमुख मन्दिरों को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल करने के सुझाव दिये। कार्यशाला में राज्य के विभिन्न संभागों से लगभग 125 हितधारक उपस्थित रहे जिसमें से लगभग 28 प्रबुद्धजनों द्वारा मंच से अपने बहुमूल्य विचार साझा किए गए तथा 17 संस्थाओं द्वारा लिखित सुझाव प्रस्तुत किए गए जिनमें मुख्य रूप से मन्दिरो में गुरूकुल परम्परा को पुनः स्थापित करने, मन्दिरों में आधारभूत सुविधाएं विकसित करने, सभी मन्दिरों के लिये एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित करने, मन्दिरों की भूमि का उचित उपयोग करने एवं संस्थाओं को मन्दिरों से युवाओं को जोड़ने के सम्बन्ध में सकारात्मक विचार रखे गये। त्रिपुरासुन्दरी मंदिर बांसवाड़ा, बेणश्वर धाम डूंगरपुर, कमलेश्वर महादेव बूॅन्दी महाप्रभू मंदिर ट्रस्ट कोटा, किरायेदार संघ राजस्थान आदि से भी महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुये।  

कार्यशाला का संचालन देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त जतीन गांधी ने किया एवं आभार अतिरिक्त आयुक्त अशोक कुमार ने जताया। कार्यशाला में सहायक आयुक्त ऋषभदेव दीपिका मेघवाल, निरीक्षक सुनील मीणा एवं शिवराज सिंह राठौड़ आदि उपस्थित थे।