अब कोर्ट में महिलाओं के लिए बिनब्याही मां, हाउसवाइफ और अफेयर जैसे शब्द नहीं चलेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक रूढ़िवादिता से लड़ने के लिए लॉन्च की हैंडबुक
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक लॉन्च की। इस मौके पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि इस हैंडबुक से जजों और वकीलों को लैंगिक रुढ़िवादी शब्दों के इस्तेमाल से बचने में मदद मिलेगी। इसमें आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह किन शब्दों का इस्तेमाल किया जाए, इसके बारे में भी बताया गया है। इसमें दिए गए शब्द कोर्ट में दलील देने, आदेश देने में इस्तेमाल होंगे। इस हैंडबुक में वे शब्द हैं, जिन्हें पहले की अदालतों ने इस्तेमाल किया है।
इसका मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह जताना नहीं है, बल्कि यह बताना है कि कैसे अनजाने में लैंगिक रूढ़िवादिता की प्रथा चली आ रही है। कोर्ट में महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों के इस्तेमाल को रोकना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक आदेश में महिला को उपस्त्री कहकर संबोधित किया गया। महिलाओं के लिए कीप (रखेल) जैसे अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल हुआ है। इस हैंडबुक को कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है।
हैंडबुक में 40 रूढ़िवादी शब्दों की जगह नए शब्द
रूढ़िवादी शब्द | प्रस्तावित शब्द |
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महिला |
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वाइफ (पत्नी) |
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कपड़े / ड्रेस |
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महिला |
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महिला |
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गैर मर्द से संबंध |
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शादी के इतर रिश्ता |
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सेक्स वर्कर |
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माँ |
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अविवाहित महिला |
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महिला |
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होममेकर |