×

मोरबी ट्रेजेडी - अब तक 140 मौत का जिम्मेदार कौन ?

पुल के रखरखाव की ज़िम्मेदार कम्पनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज

 

कल रविवार शाम गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में मोरबी नगर में मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज के टूटने से समाचार लिखे जाने तक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 140 लोगो की मौत हो गई जिनमे से अब तक एनडीआरएफ टीम ने 132 शवों को नदी से बाहर निकाला है। रेस्क्यू ऑपरेशन और नदी के पेट से शवों को निकालने का कार्य जारी है। नदी के मटमैले पानी में शवों को ढूंढने में मुश्किल हो रही है। 

इस दुखांतिका का ज़िम्मेदार कौन 

मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत की गई थी। हादसे से 5 दिन पहले 25 अक्टूबर को यह ब्रिज आम लोगों के लिए खोला गया। रविवार को यहां भीड़ क्षमता से ज्यादा हो गई। हादसे की भी यही वजह बताई जा रही है।

765 फीट लंबा और महज 4.5 फीट चौड़े इस केबल सस्पेंशन ब्रिज की क्षमता के अनुसार एक समय में यह ब्रिज 100 लोगो का भार झेल सकता है।  लेकिन हादसे के वक़्त क्षमता से कहीं अधिक लोग इस ब्रिज पर मौजूद थे।  मीडिया रिपोर्ट्स में 500 या इससे भी अधिक लोग मौजूद थे। वास्तविकता में कितने लोग मौजूद थे यह कोई नहीं जानता बहरहाल इतना तय है की क्षमता से अधिक लोग वहां मौजूद थे। 

अब ऐसे में सवाल उठता है कि इतने लोग ब्रिज पर पहुंचे कैसे ? क्या वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी ? जबकि कल रविवार और गुजरात में दिवाली के बाद पांच सात दिन तक लोगो के पर्यटन स्थल पर घूमने फिरने के चलन के मद्देनज़र अधिक लोगो को पहुँचने की संभावना थी ऐसे में स्थानीय प्रशासन को ब्रिज की क्षमता को देखते हुए लोगो को नियनत्रण करने को कोई प्लान नहीं था ? क्या स्थानीय प्रशासन इस हादसे का ज़िम्मेदार नहीं ?

भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो बिना फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त किये ही इस ब्रिज पर आवागमन शुरू कर दिया गया हालाँकि उदयपुर टाइम्स इस तथ्य की पुष्टि नहीं करता लेकिन अगर बिना फिटनेस सर्टिफिकेट लिए इस पुल पर आमजन के लिए खोलना न सिर्फ कम्पनी बल्कि प्रशासन की भी घोर लापरवाही का नमूना है। इस कंपनी पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है।

अब सवाल यह है की क्या कम्पनी पर सिर्फ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया जाएगा ?  जहाँ लापरवाही के चलते वहां इतनी संख्या में लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। जबकि गैर इरादतन हत्या के केस में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है और इसे जमानती अपराध माना जाता है। यानी थाने में ही जमानत हो जाती है। हालाँकि गैरइरादतन हत्या के मामलों में आईपीसी की धारा 304 लगाने का प्रावधान है। आईपीसी की धारा 304 में 10 साल की सजा का प्रावधान है।     

उक्त ट्रेजेडी की जाँच के लिए एक कमेटी बनाई गई है, जो हादसे की जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपेगी। इससे पूर्व भी हमारे देश में कई बड़ी दुर्घटनाओं की जांच के लिए कमेटी बनाई जाती रही है।  जाँच भी हो जाती है और कमेटी रिपोर्ट भी सौंप देती है लेकिन हादसों के ज़िम्मेदार किसी भी अपराधी को सजा मिलते नहीं देखा।