वेलेंटाइन डे आखिरकार आ गया
यह मूड रिफ्रेशर है बिना किसी दवा के
वेलेंटाइन डे आखिरकार आ गया है। भारत त्योहारों का व उत्सवों का देश है, कुछ उत्सव हमारी सभ्यता व् संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है व आदिकाल से चले आ रहे है तो कुछ विदेशी सभ्यताओं व संस्कृति से भारतीय समाज में आये और चल पड़े उनमे एक है 'वेलेंटाइन डे'
शादी के साथ फेरों में सबसे बड़ी शिक्षा जो पति व् पत्नी को दी जाती है वह है आप सुख.दुःख के साथी है एवं सुख दुःख में एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारी का वहन व दुःख बाँटने हेतु सबसे पहले आवश्यकता होती है समर्पण की, लगाव की। शायद यही लगाव व् समर्पण वेलेंटाइन है अतः हमारी संस्कृति तो कहती है, हर दिन वेलेंटाइन दिवस है, हां हर दिन वैलेंटाइन डे है। लेकिन फिर अपने दैनिक जीवन की आपाधापी में साथ रह कर हम अपने प्रियजनों के प्रति अपने प्यार का इजहार करना भूल जाते हैं। अतः वैलेंटाइन डे अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन करने हेतु एक पुनः शपथ की याद दिलाता है यह दिन फिर एक जुनून को फिर से जगाता है की हमारे प्रियजनों जिसमे अर्धांगिनी ही नहीं परिवार व अन्य नजदीकी लोगों के प्रति आज हम पुनः समर्पित हों।
कुछ लोग इस दिन को लेकर संशय में हैं और पूछते है 'क्या आप इस त्योहार के मूल को जानते है? हाँ, बिलकुल यह पश्चिमी की देन है, मान्यताओं के अनुसार संत वेलेंटाइन एक पुजारी थे जिन्होंने कथित तौर पर ईसाई जोड़ों को गुप्त रूप से शादी करने में मदद की, क्योंकि सम्राट क्लॉडियस द्वितीय को विवाह की संस्था के खिलाफ माना जाता था। इस कृत्य के लिए उनका सिर कलम कर दिया गया था। रोमनों ने तीसरी शताब्दी ईस्वी में अलग.अलग वर्षों में 14 फरवरी को वेलेंटाइन नाम के दो पुरुषों को मार डाला गया था। हमारे यहां तो शादी एक पवित्र बंधन है। निर्गुण परम्परा आदर्श परिवारवाद की और ले जाती है। इस संसार में मनुष्य योनि में जन्म लिया है तो परिवार का गुजारा करने हेतु श्रम करें मैं भी भूखा न रहूं और मेहमान भी भूखा न रहे अतः परिवार के साथ समाज की चिंता भी है।
आइए उन नकारात्मक विचारों पर विचार न करें। दो साल से संसार कोविड 19 की महामारी से लड़ रहा है यह समय भी इसका अपवाद नहीं है। संक्रमण और घर घर बीमारी के इस दौर में मानवीय सहायता व् सामाजिक जिम्मे का निर्वहन सबसे बड़ा वेलेंटाइन था, प्रतिदिन वेलेंटाइन। अपने प्रियजनों, जानने पहचानने वालों की सुरक्षा के बारे में सोचना वेलेंटाइन ही था, हमारे प्रियजनों के कल्याण की कामना हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए, यह वेलेंटाइन है।
दम्पति एक दूसरे के लिए कुछ खास कर सकते हैं। अपने लिए, अपने बच्चो के लिए। पत्र लिखने के ज़माने लद गए, विज्ञानं की प्रगति ने शार्ट कट ला दिए है आप अपनों की खैर पूछे, मैसेज के जरिये ही सही। समय अनुमति देता है तो फ़ोन करके पूछे। अपनी प्रिय हेतु एक गुलदस्ता, एक गुलाब या बाजार से एकल सुन्दर साड़ी या कोई गिफ्ट। आज के दिन याद करें, अपने बचपन को, पहली मुलाकात को, किसी यात्रा को जो अद्भुत अविस्मरणीय है जो भी हो, इन बातों से कड़वाहट घटेगी, यदि कुछ है तो। यह मूड रिफ्रेशर है बिना किसी दवा के।
यदि आप कार्यालय जा रहे हैं, तो आज आधे दिन की छुट्टी ले लें और रात का भोजन साथ में लें, जो प्रायः न हो पता होगा। एक दूसरे से मिलें, बतियाएं किसी सैलानी तेवर में, जहाँ घर व् घर की चिंता कहीं दूर छूट गई हो। वर्क फ्रॉम होम चल रहा हो तो अपने साथी के पसंदीदा भोजन, दोपहर का भोजन और रात का खाना दोनों मिलकर बनायें या फिर उनकी पसंद के रेस्तरां से ऑर्डर करें। शायद स्वाद बढ़ जायेगा। आप टेबल पर लाल गुलाब के साथ कैंडल लाइट डिनर भी कर सकते हैं। सोफे पर बैठें और एल्बमों को देखकर मानस पटल पर यादों का सफर एक बार फिर ताजा करें।
आप जो भी करें, इस अवसर के लिए ड्रेस अप करें। आखिरकार, यह हर दिन नहीं है कि आपके पास यह रोमांटिक समय एक साथ हो। लाल, गुलाबी, नीला, हरा पहने। वैसे तो वेलेंटाइन डे के लिए लाल रंग रहा है क्योंकि यह मान्यता है की लाल रंग पहनना आपको अधिक आकर्षक बनाता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। हालांकि, पुरुष कोई भी रंग पहन सकता है, पर महिला का श्रृंगार किसी पौधे के फूलों से आच्छादित होने सा है।
मेवाड़ी कहावत है 'जीवणो जतरे हीवणों' अतः जीवन का क्रम तो चलता ही रहेगा, कभी अवकाश व आमोद प्रमोद के कुछ क्षण नेचुरल पैथी से है। हर दिन वेलेंटाइन डे पर आज अपने प्रियजनों के प्रति अपने प्यार और कृतज्ञता का फिर इजहार करें।