आज़ादी की महकती फ़िज़ाओं में लहरा रहा है, आज फिर तिरंगा प्यारा
स्वरचित कविता ✍️✍️ - अलमास चाचुलिया - कुवैत
आज़ादी की महकती फ़िज़ाओं में
लहरा रहा है, आज फिर तिरंगा प्यारा
नीले गगन की बुलंदी पर शान देश की बढ़ा रहा है, तिरंगा निराला
तीन रंगों में रंगा हुआ है, ये वतन हिन्दुस्तान हमारा
देकर इसको हम सलामी,
शान तिरंगे की बढ़ायेंगे
इस तिरंगे की खातिर सर्वस्व न्यौछावर कर जायेंगे
आज धूम से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस हम मनाएंगे
26 जनवरी इस दिन गणंतत्र लागू हुआ हमारा
बना गणतंत्र तो, संविधान हुआ था स्वतंत्र आज हमारा
कर्तव्य और अधिकारों को पाकर
भारत में हुआ नया सवेरा
आज के दिन लाल किले पर नेहरू जी ने फहराया तिरंगा प्यारा
लगा कर जय हिन्द का नारा
खूबसूरत है ऐसा ये हिन्दुस्तान हमारा
बसंत रंग का चोला आज फिर
भारत माता को पहना कर
भारत माता के आँचल पर आँच ना कभी हम आने देंगे
आज़ादी की खातिर दिया बलिदान जिन वीरों ने
याद में उनके श्रद्धा सुमन हम चढ़ायेगें
हिन्दु , मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
हर जाति का यहाँ बसेरा
अलग वेश है, अलग है भाषा
अनेकता में एकता की फिर, पिरोकर माला
भारत देश को हमने है सवाँरा
चाहे जिस देश में हो हमारा बसेरा
देख तिरंगे को, याद आ जाता है
हिन्दुस्तान वतन हमारा
आँखों से बह जाती है तब अश्रुओं की धारा
ना कभी छोड़ पाए इसको ऐसा हिन्दुस्तान हमारा
ना कोई तोड़ पाए इस मिट्टी से नाता ऐसा है हमारा
ना झुका है, सर तिरंगे का
ना कभी झुकने देगें हम, है यही कर्तव्य हमारा
लगा कर जय हिन्द का नारा
खूबसूरत है ऐसा ये हिन्दुस्तान हमारा
आज़ादी का है यही तिरंगा
इसको आज सलाम हमारा
जय हिन्द वन्दे मातरम्