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जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बना बिहार 

अन्य राज्यों सहित पूरे देश में उठ सकती है मांग

 

आज सोमवार को बिहार सरकार ने जातीय गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला बिहार पहला राज्य बन गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने जातीय गणना रिपोर्ट का विवरण साझा करने के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। उन्होंने राज्य की नौ पार्टियों से इस बैठक में हिस्सा लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सरकार जातीय गणना और सर्वेक्षण की विस्तृत जानकारी देगी।

बिहार की जातीय गणना के आंकड़े जारी होने के बाद अब अन्य राज्यों सहित पूरे देश में जातीय गणना की मांग उठ सकती है।  हालाँकि यह मांग वाजिब भी है इसलिए की जिस जाति की संख्या जिस जिस राज्य में है उन्हें राज्य के संसाधन में उतनी अनुपात में उचित हिस्सेदारी तय होनी चाहिए। 

बिहार की जातीय गणना में केवल जाति की आबादी की गणना ही जारी की गई जो की अधूरी है। किस जाति की राज्य के प्रशासनिक, राजनैतिक ढांचे में कितनी हिसेदारी है इसकी गणना जारी नहीं की गई है। किस जाति की कितनी प्रति व्यक्ति आय, समृद्धि, रहन सहन का स्तर आदि की गणना कर विकास में पीछे छूट गई जाति के उत्थान की योजना बनाई जाए ताकि जाति गणना की सार्थकता साबित हो सके।  नहीं तो यह धन और संसाधन की बर्बादी से ज़्यादा कुछ और नहीं है। 

बिहार की जातीय गणना के आंकड़ों के अनुसार अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36%, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27% हैं। दोनों को मिलाकर पिछड़ा वर्ग की संख्या सबसे अधिक 63% है। जबकि 14.26% यादव हैं। ब्राह्मण 3.65%, राजपूत 3.45% हैं। सबसे कम संख्या 0.60% कायस्थों की है। बिहार की आबादी में करीब 82 फीसदी हिंदू और 17.7 फीसदी मुसलमान हैं। 

बिहार की आबादी में सबसे ज्यादा अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36% है। उन्हें नौकरी में मौजूदा आरक्षण 18% दिया जा रहा है। 27% ओबीसी के लिए 12% आरक्षण दिया जा रहा है। मौजूदा समय में बिहार में ईबीसी और ओबीसी को मिलाकर 30% के आरक्षण का प्रावधान है। इसमें 18% ईबीसी को और 12% ओबीसी को आरक्षण मिल रहा है। जबकि जाति आधारित गणना के मुताबिक इनकी संख्या बढ़कर 63% हो गई है।

दो फेज में पूरी हुई जाति आधारित गणना

पहला फेज: 7 जनवरी से गणना का पहला चरण शुरू हुआ था। इस चरण में मकानों की सूचीकरण, मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था। दूसरा फेज: 15 अप्रैल से शुरू हुआ। इसे 15 मई को पूरा हो जाना था। लोगों से डेटा जुटाए गए। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए।