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इंसाफ के लिए गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ियों को भी धरना देना पड़ रहा है

अगर महिला पहलवानो के आरोप निराधार है तो उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए लेकिन अगर आरोपों में दम है तो बेटी बचाओ के नारे की सार्थकता साबित होनी चाहिए

 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे का ढोल पीटने वाले इस देश में अब बेटियों को इंसाफ पाने के लिए धरना देना पड़ रहा है। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और और उत्तरप्रदेश के गौंडा ज़िले के कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जिनमे एक मामला पोक्सो एक्ट में दर्ज किया गया जबकि दूसरा मामला वयस्क महिलाओ की शिकायत को लेकर दर्ज किया गया है। 

पहली बार 18 जनवरी, 2023 को पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचकर रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर कई गंभीर लगाए थे। तब विनेश फोगाट ने रोते हुए आरोप लगाया था कि बृजभूषण सिंह और कोच, नेशनल कैंप में महिला रेसलर्स का यौन उत्पीड़न करते हैं। 

इसके बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने खिलाड़ियों के साथ मुलाक़ात की और 23 जनवरी को आरोपों की जांच करने के लिए पांच सदस्यीय निरीक्षण समिति बनाई। दिग्गज मुक्केबाज एमसी मेरीकॉम को इस समिति का अध्यक्ष चुना गया था। समिति को चार हफ्तों के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया था। समिति ने रिपोर्ट सरकार को दे दी है लेकिन रिपोर्ट का सार्वजनिक नहीं किया गया है। 

यह सब होने के बाद 21 अप्रैल को कनॉट प्लेस थाने में बृजभूषण सिंह के खिलाफ शिकायत करने गए थे लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। मजबूरन 23 अप्रैल को दूसरी बार ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट की अगुवाई में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। 

बृजभूषण पर एफआईआर तो दर्ज हो गई लेकिन कार्यवाही आज दिनांक तक कुछ नहीं हुई। हालाँकि पूर्व में अलग अलग मामलो में उन पर कई केस दर्ज है। 1992 में उन पर गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों की कथित रूप से मदद करने के आरोप में आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी टाडा लगाया गया था और.इस मामले में उन्हें कई महीने दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था। 

बृजभूषण पर आरोप लगाने वाली महिला पहलवानो के समर्थन में कोई और नहीं बल्कि भारत के लिए कामनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेल में गोल्ड दिलवाने वाली विनेश फोगाट, ओलिंपिक में ब्रॉन्ज़ मैडल हासिल करने वाली साक्षी मलिक और ओलिंपिक और एशियाई गेम्स में परचम फहराने वाले बजरंज पुनियाँ जैसे देश के बड़े पहलवान अखाड़े में मौजूद है ।

वहीँ शुक्रवार को ओलिंपिक्स में गोल्ड जीतने वाले नीरज चोपड़ा के समर्थन के बाद इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, इरफ़ान पठान, हरभजन सिंह ने पहलवानो के समर्थन में ट्वीट किये। यह सभी पूर्व क्रिकेटर है वर्तमान किर्केटरो को अभी आईपीएल में जलवा बिखेरने से फुर्सत नहीं मिल रही है। इन पूर्व क्रिकेटरों के साथ टेनिस स्टार सानिया मिर्जा, एक्टर सोनू सूद और एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर भी रेसलर्स के समर्थन में उतर आए।

ऐसा नहीं कि इन महिला पहलवानो के साथ सिर्फ खिलाडी ही खड़े है बल्कि कई नेता भी इनके सपोर्ट में आगे आये है। लेकिन चूँकि आरोपी सत्तापक्ष से है तो नेताओ के समर्थन को राजनीती का नाम देकर पल्ला झाड़ लिया जाता है।  

सोशल मीडिया में इन खिलाड़ियों के समर्थन में जहाँ कई लोग है वहीँ राजनैतिक विचारधारा से बंधे हुए कई लोग ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी से जुड़े कई खेल जगत के लोग भी इन खिलाड़ियों पर ही दोषारोपण कर रहे है। अब इन विरोधाभास के बीच एक बार महिला पहलवानो के आरोप की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। चूँकि आरोपी रसूखदार है और अपने पद का दुरूपयोग कर सकते है। अतः जांच होने तक तो कम से कम उन्हें सभी पदों और ज़िम्मेदारियों से मुक्त करना चाहिए। 

अगर महिला पहलवानो के आरोप निराधार है तो उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए लेकिन अगर आरोपों में दम है तो बेटी बचाओ के नारे की सार्थकता साबित होनी चाहिए।