बीते को जीता रहने दे...सुर कोई अपना आलाप | Power of Individuality
हर बेहतरीन नज़्म, शेर, कविता, ग़ज़ल के पीछे उसके लिखने वाले की कई रातों की नींद और कई पलों के सुकून से चुकाई हुई मेहनत होती है, जिस मेहनत को आजकल के कुछ गीतकार एक पल में अपना बना लेते हैं... इसी बात पर मेरे खयालात - फरहत
Apr 30, 2020, 20:51 IST
by: Farhat
कलमकार की कलाकारी,
दुनिया की है रीत निराली,
समझ ना आए रीत ये सारी...
कुछ लफ़्ज़ों की कर हेराफेरी,
लिख डाली बुढ़िया की जवानी...
बुड्डा था पर गूड बहुत था,
लाली लगा कर दे डाली गाली।
बीते को जीता रहने दे,
सुर कोई अपना अलाप...
देख फिर तू उसका ताप !!
जो भी हो, तेरा अपना हो,
किसी और का सपना ना अपना हो...
छोड़ ये मिलावटी गाना,
छेड़ कोई आपना तराना।
चंद सिक्कों की झंकार की खातिर...
ऐसे तो बन ना तू माहिर !!
शायर के दिल की थी ये रुबाई,
खुद टूट कर जो थी उसने बनाई...
فرحت