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दिलचस्प हुआ राजस्थान के अंता विधानसभा का उपचुनाव 

कांग्रेस और बीजेपी दोनों के बागी भी उतरे मैदान में 

 

22 अक्टूबर 2025। बिहार विधानसभा चुनावो के साथ राजस्थान के बारां ज़िले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव 11 नवंबर को होना है। बिहार की तरह ही राजस्थान की इस सीट पर भी कुछ हद तक इस उपचुनाव में जातिवाद का बोलबाला रहने वाला है। 

साल 2008 के परिसीमन में बनी अंता विधानसभा सीट पर पहली बार चतुष्कोणीय मुकाबला हो सकता है। यदि दोनों पार्टी के बागियों ने 27 अक्टूबर तक नामांकन वापिस लेने की आखिरी तारीख तक अपना नाम वापिस नहीं लिया तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा। 

अंता विधानसभा उपचुनाव का यह मुकाबला जातिगत वोटों के आधार पर परिणाम लाएगा। जीत का सबसे बड़ा फैक्टर जाति बाहुल्य वोट बैंक है। भारतीय जनता पार्टी ने माली-सैनी समाज के वोट बैंक को देखते हुए बारां पंचायत समिति के प्रधान मोरपाल सुमन को प्रत्याशी चुना, तो कांग्रेस ने पूर्व मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया को चुनावी समर में उतरा है। वहीँ कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर मीणा बाहुल्य वोट बैंक को देखकर निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा अपने भाग्य को आजमा रहे हैं। वहीँ बीजेपी के रामपाल मेघवाल ने आखिरी दिन यानि 21 अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल कर बीजेपी और कांग्रेस के सरदर्द बढ़ा दिया है। 

अंता विधानसभा क्षेत्र में 1 अक्टूबर 2025 तक कुल 2,27,563 मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें 1,16,405 पुरुष, 1,11,154 महिलाएं और 4 अन्य मतदाता शामिल हैं। 

अंता में जाति ही जीत का सबसे बड़ा फैक्टर

अंता विधानसभा में करीब सवा दो लाख मतदाता हैं। यहां चार जातियां ऐसी हैं, जो इतनी बड़ी संख्या में हैं कि किसी भी चुनाव का नतीजा बदल सकती हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यहां जाति ही जीत का सबसे बड़ा फैक्टर है, और जिस जातिगत गठजोड़ के पक्ष में हवा चलेगी, उसी उम्मीदवार के सिर पर जीत का ताज सजेगा।

इन चार जातियों की संख्या है ज्यादा

अंता विधानसभा में माली समाज के लगभग 40 हजार के लगभग मतदाता है। दूसरे नंबर पर अनुसूचित जाति के 35 हजार के करीब और तीसरे नंबर पर मीणा समाज के 32 हजार वोटर हैं। चौथे नंबर पर यहां मुस्लिम मतदाता है, जो करीब 20 से 25 हजार के करीब है। इनके अलावा, धाकड़, ब्राह्मण, बनिया और राजपूत समाज के वोट भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसे में ये चार जातियां जिस प्रत्याशी के पक्ष में चली जाएं, जीत उसकी पक्की मानी जाती है।

इस सीट पर माली समाज बाहुल्य है। लेकिन अकेले उनके वोट से जीत आसान नहीं होती। जीत के लिए माली-मीणा-एससी वोटों का गठजोड़ और अन्य सामाजिक समीकरण अहम साबित होंगे। बीजेपी परंपरागत रूप से माली और शहरी वोटों का समर्थन पाती है। मोरपाल सुमन के जरिए पार्टी ने स्थानीय होने के साथ-साथ माली समीकरण को साधने का प्रयास किया है। वहीं कांग्रेस का भरोसा मीणा, एससी और मुस्लिम समुदाय के वोटों पर रहता है।

कांग्रेस के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा कांग्रेस और बीजेपी दोनों के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिससे मुकाबला बेहद करीबी हो गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस सीट पर जीत के लिए केवल एक जाति का वोट पर्याप्त नहीं होता। वहीँ अनुसूचित जाति से आने वाले बीजेपी के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार रामपाल मेघवाल के मैदान में ताल ठोंकने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।  

अंता सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी मानी जा रही है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कंवरलाल मीणा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया को 5000 से अधिक वोटों से हराया था। कंवरलाल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं। 

उल्लेखनीय है की यह सीट बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई है। 2005 में उप सरपंच चुनाव के दौरान कंवरलाल मीणा पर एसडीएम पर पिस्तौल तानने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट में अपील खारिज होने के बाद उन्होंने मनोहर थाना कोर्ट में आत्मसमर्पण किया, जिसके चलते 1 मई 2025 को उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई।

आपको बता दे की 2008 से अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट पर अब तक चार बार चुनाव हो चुके है जिनमे से 2008 और 2018 में कांग्रेस के टिकट  प्रमोद जैन भाया ने जीत हासिल की है जबकि 2013 में बीजेपी के टिकट पर प्रभुलाल सैनी और 2023 में बीजेपी के टिकट पर कंवरलाल मीणा ने जीत हासिल की थी।