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यह नेताजी है, इन्हे कोरोना नहीं छू सकता

जिला प्रमुख और प्रधान बनने की ख़ुशी में नेताजी भूले सोशल डिस्टेंसिंग 

 
'जब तक दवाई नहीं तब ढिलाई नहीं', सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करे और नियमित मास्क का उपयोग करे।

उदयपुर में कोरोना लगातार कहर बरपा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक 10186 लोग कोरोना का शिकार हो चुके है। वहीँ 106 लोग की जान कोरोना की भेंट चढ़ चुकी है। 106 में से 10 जाने तो पिछले दस दिनों में ही जा चुकी है। कोरोना के कारण लॉकडाउन और कर्फ्यू झेल झुकी जनता के काम धंधे लगभग ठप्प  हो चुके है। कइयों की नौकरियाँ कोरोना ने छीन ली है।  

सरकार हरमुमकिन कोरोना को रोकने की कवायद कर रही है। आमजन को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की सलाह दे रही है।  लोगो को जागरूक करते नहीं थक रही है। क्योंकि कम्बख्त कोरोना किसी को बख्श ही नहीं रहा है। लेकिन कोरोना की क्या मजाल जो नेताजी को छूकर भी दिखाए।  हालाँकि यह बात और है की कई नेताजी इसकी चपेट में आ चुके है और जान भी गँवा चुके है । लेकिन नेताजी कहाँ डरने वाले कोरोना से ? 

जी हां ! सरकार चाहे कितना भी जागरूक करती रहे लेकिन नेताजी और उनके समर्थक नहीं मानने वाले, चुनाव में जीते है तो सेलिब्रेशन तो बनता है, समर्थको का जमावड़ा और भीड़ के बीच नेताजी बेख़ौफ़ हो कर घूमते है।  आज उदयपुर के जिला प्रमुख और प्रधान के चुनाव के बाद ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला। समर्थको से घिरे नेताओ को सोशल डिस्टेंसिंग याद ही नहीं रही।  और कहीं कहीं तो जोश में कुछ अति उत्साही समर्थको ने देशहित में मास्क का ही त्याग कर डाला।  

नेताओ और उनके समर्थको पर सरकारी कार्यवाही होती तो कहीं दिखी नहीं।  प्रशासन भी शादी ब्याह में 100 लोगो की गिनती करने और 100 से अधिक लोगो के एकत्र होने पर चालान बनाने में व्यस्त है।  शादी की बात निकली तो बताते चले की लेकसिटी में कल एक 'शाही शादी' भी हुई थी जहाँ पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उडी हालाँकि वह 'शाही शादी' थी तो वहां शायद कार्यवाही होने से बच गई, कोई आमजन की होती तो शायद कार्यवाही हो सकती थी। 

खैर हम तो आपसे यही प्रार्थना करेंगे 'जब तक दवाई नहीं तब ढिलाई नहीं', सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करे और नियमित मास्क का उपयोग करे।  जय हिन्द !