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तम्बाकू का सेवन एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या : डॉ. अतुल लुहाडिया

एक मोटे अनुमान के अनुसार आज पुरे विश्व में लगभग 133 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं और प्रति वर्ष लगभग 70 लाख लोगो की तम्बाकू जनित बीमारियों से अकाल मौत हो जाती हैं

 

भारत में लगभग 27 करोड़ व्यक्ति तम्बाकू सेवन करते हैं और लगभग प्रतिवर्ष 15 लाख लोगो की तम्बाकू जनित रोगो से अकाल मृत्यु हो जाती हैं। 

उदयपुर 31 मई 2021 । आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर श्वास रोग विभाग में तम्बाकू से होने वाले खतरों पर विस्तृत चर्चा की गयी। इस सन्दर्भ में श्वास रोग विशेज्ञ डॉ. अतुल लुहाड़िया ने महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा करते हुए बताया आधुनिक जीवन शैली और बढ़ते मानसिक तनाव के कारण आज भी तम्बाकू का सेवन एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या बना हुआ हैं। 

एक मोटे अनुमान के अनुसार आज पुरे विश्व में लगभग 133 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं और प्रति वर्ष लगभग 70 लाख लोगो की तम्बाकू जनित बीमारियों से अकाल मौत हो जाती हैं। अन्य देशो के मुकाबले भारत में तम्बाकू सेवन व धूम्रपान करने वालो की संख्या बढ़ रही हैं। भारत में लगभग 27 करोड़ व्यक्ति तम्बाकू सेवन करते हैं और लगभग प्रतिवर्ष 15 लाख लोगो की तम्बाकू जनित रोगो से अकाल मृत्यु हो जाती हैं। 

तम्बाकू का सेवन मुख्यतया: धूम्रपान, गुटखा व पान के रूप में किया जाता हैं। तम्बाकू में निकोटिन व अन्य हाइड्रोकार्बन पदार्थ होते हैं जो हमारे शरीर में लगभग सभी अंगो पर प्रभाव डालते हैं। तम्बाकू जनित बिमारियों में मुख्यतया: फ़ेफ़डो व मुख का कैंसर, हार्ट अटैक, उक्त रक्तचाप, दमा, बरजरस रोग, आदि प्रमुख हैं। महिलाओं में तम्बाकू सेवन व धूम्रपान से स्तन कैंसर व नवजात शिशुओं में विकृतियाँ पैदा होने का खतरा बड़ जाता हैं। 

कुछ लोग धूम्रपान नहीं करते हैं परन्तु धूम्रपान करने वालो के संपर्क में आते हैं। विभिन्न शोध अध्ययनों ऐसा पाया गया हैं की साथ में रहने वालो व्यक्तियों में भी कैंसर, दमा, टी. बी. आदि रोग उत्पन्न होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता हैं, इसे हम पेसिव स्मोकिंग कहते हैं। 

युवाओ में धूम्रपान व तम्बाकू सेवन के प्रमुख कारण विज्ञापन, माता- पिता, गुरुओं व मित्रों द्वारा धूम्रपान या तम्बाकू सेवन या मानसिक तनाव आदि होते हैं। तम्बांकू व धूम्रपान की रोकथाम हेतु विभिन्न स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से तम्बांकू जनित हानियों व रोगों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। 

अधिक समय तक तम्बाकू सेवन से निकोटिन का एडिक्शन हो जाता हैं जिसके कारण इन्हे छोड़ना मुश्किल हो जाता हैं और कुछ लोगो में खतरनाक लक्षण जैसे घबराहट, नींद नहीं आना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, ह्रदय की गति अनियंत्रित होना आदि हो सकते हैं। 

तम्बाकू सेवन और धूम्रपान छोड़ने में स्वास्थ्य शिक्षा, परिवारजनों का सहयोग, मैडिटेशन, नियमित व्यायाम आदि सहायक होते हैं। इनके सेवन को कम  करने या छोड़ने पर विथड्राल लक्षण हो तो चिकित्सक की मदद लेनी चाहिए। आजकल बहुत सी दवाइयां जैसे निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी व कुछ खाने की गोलियां तम्बाकू या धूम्रपान छोड़ने में मददगार साबित हो रही हैं। 

नितिनिर्धारकों को ये समझना होगा कि तम्बाकू या बीड़ी-सिगरेट द्वारा राजकीय कर के रूप में जो आय होती हैं, उससे ज्यादा का खर्चा तम्बाकू व धूम्रपान जनित रोगों के उपचार पर हो जाता हैं। साथ ही तम्बाकू उत्पादन से जुड़े उद्योगों में लगे लोगो के पूनर्वास पर भी राष्ट्रीय स्तर पर भी एक स्पष्ट निति बनानी पड़ेगी।