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रेलवे ने बदली टेंडर प्रक्रिया, अब ई- नीलामी से होंगे टेंडर

टेंडरिंग में पारदर्शिता हेतु रेलवे का बड़ा कदम

 

रेलवे में टेंडर (ठेका) की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने, सरलीकरण करने,  विवादों से बचने जैसे कई फायदों वाली ई ऑक्शन यानी ई -नीलामी की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है। अब रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार अजमेर मंडल पर भी रेल प्रशासन द्वारा वाणिज्यिक आय और गैर किराया राजस्व संबंधित अनुबंधों  जैसे पार्किंग, एसएल आर लीजिंग, पब्लिसिटी आदि को ई-ऑक्शन के माध्यम से पूरा करने का निर्णय लिया गया है। 

इस ऑनलाइन व्यवस्था से वाणिज्य विभाग के इन मदों से सम्बंधित ठेके की प्रणाली अब तेज और पारदर्शी हो गई है। इसके लिए एक पोर्टल शुरू किया गया है। इंडियन रेलवे ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम (आईआरईपीएस) नामक प्रणाली के जरिए संबंधित निविदाओं की प्रक्रिया को अब ऑनलाइन नीलामी (बोली) के माध्यम से पूरा किया जायेगा। अब ये निविदाएं ऑनलाइन देखी व भरी जा सकती है। इनका मूल्यांकन व परिणाम भी ऑनलाइन संभव है । 

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विवेक रावत के अनुसार वाणिज्य विभाग के पार्किंग, एसएल आर लीजिंग, पब्लिसिटी आदि के ई-ऑक्शन से टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता बढेगी। अब कहीं भी बैठकर इनकी ई-नीलामी में भाग लिया जा सकता है। रेलवे के दफ्तर आने की भी जरूरत नहीं होगी। भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।  पेपर की बर्बादी रुकेगी, समय की बचत भी होगी। टेंडर की प्रक्रिया कम समय में पूरी हो जाती है। इसमें निविदा डालने वालों को बोली की रकम का पता चलता रहेगा जिसकी बोली अधिक होगी उसे ठेका मिलेगा। एक दूसरे को देख कर अधिक से अधिक बोली लगाई जाएगी। इससे रेलवे को राजस्व अधिक मिलेगा। 

ई- ऑक्शन की प्रक्रिया 

ई- ऑक्शन की प्रक्रिया के अंतर्गत सर्वप्रथम रेलवे की आईआरईपीएस वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा जिसके अंतर्गत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में करंट अकाउंट खुलवाना होगा और वन टाइम रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में  ₹ 10,000 इस खाते में जमा कराने होंगे। इस खाते को आईआरईपीएस से लिंक करना होगा। 

इस प्रकार एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाने पर संबंधित बोली दाता देशभर में कही से भी ई ऑक्शन में भाग ले सकेगा। ई-ऑक्शन में टेंडर डॉक्युमेंट हेतु लगने वाली फीस अब नहीं लगेगी, टेंडर नहीं मिलने पर बयाना राशि तुरंत लौटा दी जाएगी, पहले इसमें समय लगता था। समय पर टेंडर प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी।   

ई-ऑक्शन के लाभ

  • सरल व पारदर्शी प्रक्रिया

  • देशभर के बोलीदाताओं की भागीदारी

  • टेंडर प्रक्रिया में लगने वाले समय मे बचत

  • डिजिटलाइजेशन को प्रोत्साहन

  • माध्यम व लघु उद्यमियों को प्रोत्साहन

  • विवाद व भ्रष्टाचार की गुंजाइश नहीं

  • रेल राजस्व बढेगा