6 महीने से फंसे नारियल के टुकड़े को बिना ऑपरेशन सफलतापूर्वक निकाला
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर का श्वसन एवं चिकित्सा रोग विभाग सभी विश्वस्तरीय सुविधाओं से लेस है। यहाँ निरंतर रूप से जटिल से जटिल इलाज कर रोगियों को नया जीवन दिया जा रहा है। श्वसन एवं चिकित्सा रोग विभाग के डॉ. ऋषि कुमार शर्मा, डॉ. विशाल, डॉ. हमजा, डॉ. दिवाक्ष, तकनीशियन कमलेश के अथक प्रयासों से उदयपुर निवासी 55 वर्षीय रोगी को सफलतापूर्वक इलाज कर उसे खुशहाल जीवन प्रदान किया गया।
क्या था मसला:
डॉ. ऋषि ने जानकारी देते हुए बताया कि रोगी को पिछले 6 माह से निरंतर खांसी चल रही थी जिसके लिए वह एंटीबायोटिक दवाएं ले रहा था किन्तु उसे कोई आराम नही मिला। इसके पश्चात् रोगी का अस्थमा का भी इलाज चला परन्तु उससे भी कोई आराम नही मिला खांसी निरंतर चलती रही। रोगी इ.एन.टी स्पेशलिस्ट के पास गया उन्होंने रोगी का सी.टी स्कैन करवाया जिसमे फेफड़े ठीक थे परन्तु बाएं मुख्य ब्रोंकस में बाह्य धातु या फिर बलगम अटकने की आशंका लग रही थी। ऐसे में डॉक्टर द्वारा रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल के श्वसन एवं चिकित्सा रोग विभाग में भेजा गया।
रोगी की विडियो ब्रोन्कोस्कोपी की गयी एवं रोगी के बाएं मुख्य श्वास नली में बाध्य धातु होने का अंदेशा हुआ जिसे रोगी को बेहोश किये बिना बायोप्सी फोरसेप्स की मदद से निकाल दिया गया। इस प्रक्रिया में लगभग 20 मिनट का समय लगा। यह बाह्य धातु लगभग 2 सेंटीमीटर आकार का नारियल का टुकड़ा था। इसके बाहर आते ही रोगी की खांसी पूर्ण रूप से रुक गयी। रोगी ने बताया कि उसने करीब 6 माह पूर्व नारियल खाया था जिसके बाद ही उसको खांसी की समस्या शुरू हुई। रोगी अब पूर्ण रूप से स्वस्थ है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली मेडिसिटी पिछले 14 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चहुर्मुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे इलाज एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही है। गीतांजली का श्वसन एवं चिकित्सा रोग विभाग की कुशल टीम के निर्णयानुसार रोगियों का सर्वोत्तम इलाज निरंतर रूप से किया जा रहा है जो कि उत्कृष्टता का परिचायक है।