हिन्दुस्तान जिंक ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी लीडरशिप में तीन अवार्डस से सम्मानित
उदयपुर। हरित और सस्टेनेबल संचालन की ओर बढ़ने वाली अग्रणी हिन्दुस्तान जिंक को ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी लीडरशिप लेवल के तीन बडे़ अवार्ड से सम्मानित किया गया है। देश में जिंक, जस्ता और चांदी की सबसे बड़ी उत्पादक हिन्दुस्तान जिंक ने सस्टेनेबल बिजनेस ऑफ द ईयर, सस्टेनेबल वाटर मैनेजमेंट और बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड की श्रेणी में अपना परचम लहराया। पुरस्कार समारोह मुंबई में एक गैर लाभकारी संगठन वर्ल्ड सस्टेनेबिलिटी की ओर से आयोजित किया गया था। संगठन सस्टेनेबल नेतृत्व के लिए काम करता है।
हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा कि “यह पुरस्कार हमारे संचालन में सस्टेनेबिलिटी को प्रेक्टिस के रूप में शामिल करने के निरंतर प्रयास को दर्शाता हैं। हिंदुस्तान जिंक में हमने नेट जीरो 2050 प्राप्त करने की दिशा में एक रणनीतिक रोडमैप निर्धारित किया है और हमारे सभी नवाचार इसी पर आधारित हैं। हम समुचित जल प्रबंधन, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठा रहे हैं। ये सारे कार्य हमें अपने सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों 2025 को पूरा करने में और आगे ले जाते हैं।“
सस्टेनेबल माइनिंग में नेतृत्व कर रही हिन्दुस्तान जिंक अपने दूरगामी दृष्टिकोण और मूल्य आधारित विकास में एक माइल स्टोन साबित हुई है। प्राकृतिक संसाधनों का सर्वाधिक एवं सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने, सुरक्षित तरीके से काम करने और नवीकरणीय अक्षय उर्जा स्रोतों का लाभ उठाने में अग्रणी रही है। हिन्दुस्तान जिंक ने अगले पांच वर्ष में हरित की ओर बढ़ने, स्मार्ट, सुरक्षित और सस्टेनेबल कार्य संचालन के लिए एक मिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है।
कंपनी पानी के उपयोग को संतुलित करने, उसका पुनर्चक्रण करने और वापस से उपयोग में लेने के सिद्धांत में विश्वास रखती है ताकि खपत को अनुकूलता में लाया जा सके और जनता के लिए अधिक से अधिक पानी उपलब्ध कराया जा सके। लगभग दुगुनी से अधिक पानी को लेकर पॉजीटिव हिन्दुस्तान जिंक ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, ड्राई टेलिंग प्लांट जैसी अत्याधुनिक तकनीक का विकास किया है। ये सभी प्रयास कंपनी के 2025 तक सस्टेनेबिलिटी प्लान के साथ संबंद्ध है जो कंपनी को पांच गुना वाटर पॉजीटिव बनाते हैं। कंपनी लगातार कम कार्बन और कम उत्सर्जन प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि कर रही है, अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता का विस्तार कर रही है और अपने समग्र जीएचजी उत्सर्जन को कम कर रहा है।