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संभाग स्तरीय 17 दिवसीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी प्रारम्भ

खादी का संरक्षित करने हेतु सरकार कदम उठायेंः प्रो. सांरगदेवोत

 

उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ वि.वि. के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस.सांरगदेवोत ने कहा कि खादी स्वाभिमान का एक विचार है। हम आत्मनिर्भर भारत, लॉकल फॉर वॉकल एवं भारत के गौरव की बात करते है लेकिन हमें अपने ही देश के खादी एवं ग्रामोद्योग के उत्पादों को उत्पाद जन-जन तक पंहुचानें के लिये और अधिक प्रयास करने होंगे। खादी को संरक्षित करने हेतु सरकार को और अधिक कदम उठानें चाहिये।

वे आज राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड जयपुर एवं जिला उद्योग व वाणिज्य केन्द्र उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में टाउनहॉल में आयोजित की जा रही 17 दिवसीय संभाग स्तरीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी 2021 के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने देश के विकास का जो मॉडल दिया था उसमें खादी का बहुत बड़ा योगदान रहा। खादी का उपयोग वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बहुत प्रासंगिक है। तत्परता के साथ खादी को आगे बढ़़ाया जाना चाहिये। कुटीर उद्योगों के उत्पादों को संरक्षित किया जाना चाहिये।

इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान आदिम जाति सेवक संघ उदयपुर के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण पण्ड्या ने कहा की प्रतिस्पर्धा में खादी पिछड़ती जा रही है। जिसके लिये खादी को अधिक प्रचारित किये जाने की आवश्यकता है। बुनकर महिला-पुरूषों को नरेगा के माध्यम से कार्य दिया जाना चाहिये ताकि उनका जीविकोपार्जन बेहतर हो सकें।

जिला उद्योग केन्द्र के पूर्व संभाग अधिकारी एवं विशिष्ठ अतिथि प्रकाशचन्द्र गौड ने कहा कि उदयपुर में सबसे पहली खादी प्रदर्शनी 1995 में जिला उद्योग केन्द्र ने आयोजित की और तब से इस प्रकार की प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है।

प्रारम्भ में प्रदर्शनी संयोजक एवं संभाग अधिकारी (खादी ग्रामोद्योग) जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र के गुलाबसिंह गरासिया ने बताया कि इस बार प्रदर्शनी में खादी की 35 स्टॉलों के साथ कुल 73 स्टॉल लगी हुई है। राज्य सरकार द्वारा खादी पर अधिकतम 50 प्रतिशत तक की दी जा रही छूट इस प्रदर्शनी में भी लागू है। खादी प्रदर्शनी का आयोजन  

खादी संस्थाओं द्वारा उत्पादित माल को बाजार एवं ग्रामोद्योग इकाईयों को स्थापित करने हेतु बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने का एक माध्यम है। इस बार इस प्रदर्शनी से 1 करोड़ 35 लाख की बिक्री का लक्ष्य तय किया गया है।

उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में कोटिंग एवं शर्टिग, दरी फर्श, चददर, खेस, जाजम, रेजा सलवार सूट, टेबल कवर, नेपकिन, रूमाल, धोती-जोड़ा, दक्षिण भारत की सूती साड़ीयां, पानीपत एवं टोंक की रजाई कवर, गद्दे , आसन पर्दाे क्लोथ, रेडिमेड खादी वस्त्र, पट्टी, गलिचा सेट, सूती जाकेट, आदि आकर्षक उत्पाद, जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, आमेट, देवगढ़ के कम्बल, उदयपुर संभाग के उत्पादित मेरीनों, मिक्स मेरीनों, देशी कम्बल, जेन्ट्स शॉल, लेडिज शॉल, कार्डिगन, वूलन होजरी शॉलें (कशीदा, चुन्दड़ी, प्रिंट टाई डाई बंधेज, लेडीज़ एवं जेन्ट्स शॉल, लोई) जाकेट ऊनी कोट, बरडी एवं पट जैसलमेर जरकीन, स्वेटर, जर्सी, मफलर, टोपे हाथ एवं पांव के जुराब आदि के उनी उत्पाद, सिल्क (रील्ड सिल्क, टसर पेपर सिल्क, सिल्क मूंगा बाफता) सिल्क साड़ियां प्रिन्ट एवं जरी बोर्डर, रेशमी बोर्डर, प्लेन सिल्क, पोली वस्त्र तथा टेरीवूल आदि, स्टील फर्निचर, (अलमारी, पेटी, पलंग पेटी, ड्रम कोठी) दक्षिण भारत के जूट के पायदान, (डोर मेट्) महिला मण्डल के उत्पाद, अचार, मसाले, पापड़, नमकीन साबून, शेम्पू, अगरबत्ती, मोमबत्ती, शुद्ध शहद, लकड़ी के खिलौने, आयुर्वेदिक उत्पाद, प्लास्टिक उत्पाद, मेटल, बांस के आकर्षक उत्पाद, मोलेला की मिट्टी के खिलौने, बांसवाड़ा के तीर कमान मूर्तियां, वाईट मेटल रोड आयरन के उत्पाद, घरेलू उपयोग के उत्पाद, चर्म उत्पाद, फट वियर, लेदर फोम, रेगजीन बेग, लाख चुड़ी, हस्त शिल्प उत्पाद, सर्दी के स्वास्थ्य वर्धक खुराक जगल तिल्ली का शुद्ध तेल, आदि ग्रामोद्योग उत्पादकों के द्वारा प्रदर्शन एवं विपणन किया जा रहा है। 

अंत में नव निर्माण संघ के मंत्री कैलाश पालीवाल ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र सेन ने किया।