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भगवान परशुराम जयंती समारोह पूर्ण उत्साह के साथ मनाई

अखिल भारतीय ब्रह्म परिषद

 
धर्म और न्याय स्थापना हेतु भगवान परशुराम का संघर्ष सदैव प्रासंगिक है - प्रो. परमेंद्र दशोरा

अखिल भारतीय ब्रह्म परिषद द्वारा भगवान परशुराम जयंती के अवसर पर विद्वत सम्मान और व्याख्यान समारोह का आयोजन निंबार्क कॉलेज में किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ मनीष श्रीमाली ने बताया कि कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ. कुलशेखर व्यास द्वारा शांति पाठ से किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सत्यनारायण जी श्रीमाली ने नई पीढ़ी के समक्ष चुनौतियां एवं उसके समाधान हेतु वर्तमान में संगठनात्मक रूप से क्या कार्य किए जा रहे है इस पर प्रकाश डाला तथा सभी से समाज एवं राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक रूप से सहयोग करने की अपील की। 

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत संगठन के अध्यक्ष प्रो. जी. एल. मेनारिया ने किया एवम जन जागृति हेतु निरंतर ऐसे प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। विषय प्रवर्तन डॉ. सुभाष जी भार्गव ने किया।   

मुख्य वक्ता प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. श्याम सुन्दर भट्ट थे। आपने भगवान परशुराम के जीवन के विविध प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा पौराणिक महत्व बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मोदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परमेंद्र दशोरा ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया की भगवान परशुराम न्याय एवं अन्याय के संघर्ष धर्म संस्थापना हेतु प्रतिबद्ध है अतः जब भी मानव जाति संकट में आयेगी तब तब भगवान परशुराम को स्मरण किया जाता रहेगा। 

समारोह में अपने अपने क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियां अर्जित करने वाले नौ विशिष्ट लोगो का सम्मान किया गया। इनमें पदम् श्री से सम्मानित श्याम सुंदर  पालीवाल, मानव समिति के संचालक नटवर लाल शर्मा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी कैलाश बिहारी वाजपई, महाराणा प्रताप संग्रहालय के संस्थापक मोहन  श्रीमाली, ज्योतिष विद हरीश शर्मा, पूर्व कुलपति राजस्थान विद्यापीठ प्रो. दिव्य प्रभा नागर, संस्कृत विद प्रो. सुरेंद्र द्विवेदी, महाराणा भूपाल चिकित्सालय के पूर्व अधीक्षक डॉ. विनय जोशी एवं पैसिफिक विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के डीन खेल शंकर व्यास को सम्मानित किया गया।

अतिथियों को जयराज आचार्य, चैन शंकर दशोरा एवं जय किशन चौबे ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. विमल शर्मा ने दिया तथा संगठन के भावी कार्यक्रमो के बारे में सूचना भी प्रेषित की। कार्यक्रम का समापन डा. कुलशेखर व्यास द्वारा प्रस्तुत वैदिक राष्ट्रगान के साथ किया गया।