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जुमातुल विदा यानि आखिरी जुमा की नमाज़ अदा की गई 

शहर की प्रत्येक मस्जिदों में नमाजियों की खासी तादाद नज़र आई

 

उदयपुर 5 अप्रैल 2024।  देश भर में आज मुसलमानों ने रमजान महीने के आखिरी जुम्मा यानि जुमातुल विदा की नमाज अदा की और अल्लाह से सभी के लिए दुआएं मांगी। इसके चलते उदयपुर में भी नमाज के वक़्त सभी मस्जिदों में जुमातुल विदा (यानि की रमजान का आखिरी जुमा) की नमाज अदा करने की होड़ देखी गई और यही कारण था की इस मौके पर शहर की प्रत्येक मस्जिदों में नमाजियों की खासी तादाद नज़र आई। नमाजी सुबह से ही रमजान महीने के इस आखरी जुमे को अदा करने के किये घरों से नए कपडे पहन, खुशबु लगा, वुजू कर मस्जिदों में पहुँचने लगे। 

सभी मस्जिदों के इमामों ने खुत्बा पढ़ा, जुमे की नमाज पढ़ाई जिसके बाद अलविदा पढ़ रमजान महीने के आखिरी जुम्मे को रुखसती दी गई। इस मोके पर हर खासों-आम, बच्चे व बूढ़े सभी की आँखे नम हो गई। सभी ने दुआ की, की अगले साल फिर से सभी को रमजान महीने में इबादत करने और रोजा रखकर अल्लाह को राज़ी करने का मौका उनकी जिंदगी दौबारा मिले। 

शहर के मुस्लिम समुदाय के साथ दाऊदी बोहरा समुदाय के लोगो ने भी जुमातुल विदा की नमाज़ अदा की। दाऊदी बोहरा जमाअत के प्रवक्ता मंसूर अली ओड़ावाला ने बताया कि जुमातुल विदा की विशेष नमाज़ बोहरवाड़ी स्थित रसूलपुरा मस्जिद, वजीहपुरा मस्जिद, मोहियदपुरा मस्जिद, चमनपुरा मस्जिद, खानपुरा मस्जिद, खांजीपीर मस्जिद, खारोल कॉलोनी मस्जिद और पुला स्थित हॉल में अदा की गई।    

इस मौके पर मौलाना शाकिर उल कादरी ने इस महीने की एहमियत बयान करते हुए कहा "इस महीने का एक पल हर लम्हा और हर जुमा बहुत एहमियत रखता है लेकिन जो खासियत ले लैलतुल कद्र (रमजान महीने की 27वी रात) और जुमातुल विदा (रमजान महीने का आखिरी जुमा) की है वो और किसी दिन या रात को नहीं हासिल हुई। पैगंबर हज़रत रसूलल्लाह (स.अ.व) ने फ़रमाया की रमजान महीने की आने पर जो ख़ुशी मनाता है और इसके जाने पर जो गमगीन होता है अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर दिया करता है। ये महीना बड़ा ही बरकतों और रहमतों का महीना है।"

शब ए कद्र की एहमियत बताते हुए मौलाना शाकिर उल कादरी बोले " एक रात पैगंबर हज़रत रसूलल्लाह (स.अ.व ) के पास एक फरिश्ता आया कर उसने आप को अल्लाह का भेजा हुए पैगाम देते हुए कहा की या रसुल्लाह आप का जो उम्मती शब ए कद्र की रात की कद्र करेगा उसका हाल ऐसा होगा की उसे अल्लाह उस एक रात में की गई इबादतों के बदले एक हजार सालों में की गई इबादतों के बराबर सवाब (पुण्य) अता करेगा। 

मौलाना ने कहा की माहे रमजान में "अलविदा" ये रुखसती का जमा होता है इसमें सभी नमाजियों और मुसलमानों  के दिल गमगीन होते है। शब ए कद्र की रात में जो अल्लाह के बन्दे इबादत करते है , अपनी गलतियों और गुनाहों की तोबा करते हैं अल्लाह उन्हें गुनाह माफ़ कर दिया करता है।