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मण्णपुरम गोल्ड लूट कांड में दो गिरफ्तार

अन्य आरोपियों की सरगर्मी से तलाश

 

उदयपुर 21 अक्टूबर 2022 ।  उदयपुर की अब तक की सबसे बड़ी माने जाने वाली गोल्ड लूट का पुलिस ने आख़िरकार 3 महीनों के बाद खुलासा करते हुए लूट में शामिल 2 आरोपियों को शुक्रवार को निम्बाहेडा से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किये गए दोनों आरोपियों की पहचान प्रिंस कुमार (23) और फंटूश कुमार (19) निवासी बिहार के रूप में हुई है जो आपराधिक प्रवति के लोगो है और जिनके खिलाफ पूर्व में भी पुलिस ऑफिसर की हत्या जेसे गंभीर मामले दर्ज है। 

उदयपुर रेंज के आईजी प्रफ्फुल कुमार ने बताया की दरसरल उदयपुर की मण्णपुरम गोल्ड लूट की योजना की शुरुआत बिहार जेल में हुई थी जहाँ इसमें शामिल 5 आरोपी आपस में मिले थे और साथ मिलकर एक गैंग की शुरुआत की थी जिसका मास्टरमाइंड गुड्डू नमक व्यक्ति था। कुमार ने बताया की ये सभी 5 लोग आपस में एक दुसरे को कोड नामों (CODE NAME) से जाना करते थे, किसी को भी किसी का असली नाम पता नहीं था. सभी को वारदात के बाद करीब 50 लाख रूपए मिलने थे। 

कुमार ने बताया की इस से पूर्व भी इस गैंग ने उड़ीसा में ऐसी ही वारदात को अंजाम देने की कोशिश की थी लेकिन वहां अलार्म बजने से उन्हें वहां से खाली हाथ ही भागना पड़ा था। 

कुमार ने बताया की ये गैंग इन्टरनेट की मदद से देश के सभी फाइनेंस कंपनियों के बारे में जानकारी जुटाती है और फिर कोई भी एक शहर में जा कर वारदात को अंजाम देती हैं। इसी कड़ी में उदयपुर की वारदात को अंजाम देने के लिए भी उन्होंने वारदात से 15 दिन पहले शहर के डबोक इलाके में एक कमरा किराए पर लिया और खुद को छात्र बताकर झूठे आधार कार्ड्स दिखा कर वहां रहने लगे। इन दिनों उन्होंने पुरे इलाके की रेकी की और फिर 29 अगस्त की सुबह घटना को अंजाम दिया। इस दौरान इन्होने मेनेजर, और दुसरे कर्मचारियों को बंदी बनाया, एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल करके जीपीएस ट्रैकर भी डीएक्टिवेट किया और करीब 10 लाख रूपए नकद और 24 करोड़ रूपए कीमत के सोने के जेवर ले कर फरार हो गए। उन्होंने बताया की घटना को अंजाम देने के बाद सभी आरोपियों ने मुख्य रास्तों की जगह कच्चे रास्तों को चुना और फरार हो गए। 

एसपी उदयपुर विकास शर्मा ने बताया की पुलिस की 4 विशेष टीमो का गठन किया गया था जो की एडिशनल एसपी सिटी चन्द्रशील ठाकुर के नेतृत्व में रहकर और थानाधिकारी रविन्द्र चारण,थानाधिकारी दर्शन सिंह और थानाधिकारी हिरणमगरी राम सुमेर मीणा के निर्देशन में काम कर रही थी जिसमे 100 से अधिक पुलिसकर्मी देश के अलग अलग राज्यों में जाकर आरोपियों की तलाश और उनकी गिरफ़्तारी के प्रयास कर रही थी। 

इसी दौरान पुलिस टीम को पता चला की वारदात में शामिल 5 आरोपियों मे से 2 आरोपी उदयपुर के निम्बाहेडा में अपनी पहचान बदल कर रह रहे है। सूचना की पुष्टि होने पर पुलिस टीम ने रैड कर दोनों आरोपियों को पकड़ा। प्राथमिक पूछताछ में अरोपियों ने पुलिस को बताया की उदयपुर में वारदात करने के बाद वो नीमच, दिल्ली और उज्जैन गए थे जहाँ से वो सभी अलग हो गए और लूटा हुआ सारा माल लेकर गेंग का सरगना गुड्डू लेकर चला गया। उन्होंने बताया की दोनों ही महाकाल के बहुत बड़े भक्त है और वारदात के बाद वो दर्शन के लिए भी गए थे।  

एसपी विकास कुमार ने बताया की गिरफ्तार किये गए आरोपियों ने घटना में प्रयुक्त वाहन पश्चिम बंगाल से इश्यु करवाई थी और वारदात में इस्तेमाल की गाड़ी गाड़ियाँ कोटा से किराए पर लाई गई थी.शर्मा ने फाइनेंस कंपनी के इस्टाफ मेम्बेर्स की मिलीभगत की बात से इनकार किया है। 

एसपी ने कहा की बीच में गैंग द्वारा देश छोड़कर नेपाल निकल जाने की भी बात सामने आई थी लेकिन फिर गैंग 2 दो आरोपियों को पुलिस ने निम्बाहेडा से गिरफ्तार किया। इसी के साथ इसी गैंग का जयपुर और धनबाद में हुई घटना से जुड़े होने की किसी भी बात से एसपी ने फिलहाल इनकार किया है और इस मामले की जाँच करने की बात कह है। 

दूसरी ओर वारदात के मुख्य आरोपी और गेंग के सरगना गुड्डू सहित शेष 3 आरोपियों की तलाश भी जारी है।  

वारदात के मुख्य बिंदु

  • 1. यह घटना एक पेशेवर ग्रुप के द्वारा कारित की गई थी।
  • 2. गिरफ्तार शुदा व्यक्तियों की पूछताछ में सामने आया है कि इस ग्रुप द्वारा इस घटना को कारित करने से पहले इसके प्रत्येक पहलू की बारीकी से तैयारी की गई थी तथा किस जगह को घटना के लिए चयन करना है, किस तरह से घटना को अंजाम देना है, तथा घटना करने के बाद किस तरह से वहां से सुरक्षित निकल भागना है, इन सभी बिंदुओं पर इस ग्रुप द्वारा विशेष तैयारी की गई थी।
  • 3. इस ग्रुप द्वारा मणप्पुरम गोल्ड लोन कंपनी में सुरक्षा को लेकर जो इंतेजाम किए गए थे, उनके बारे में विस्तार से स्टडी की गई थी तथा किस सुरक्षा उपकरण को किस तरह से निष्प्रभावी करना है इस बारे में भी उनकी पूरी तैयारी थी। उनके द्वारा जीपीएस ट्रैकर, जैमर तथा वाईफाई कॉलिंग वायरलेस कम्युनिकेशन इस तरह के सभी साधनों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे मण्णपुरम गोल्ड लोन कंपनी द्वारा किए गए इंतेजामों को निष्प्रभावी किया जा
  • सके।
  • 4. इस ग्रुप द्वारा अपनी पहचान छुपाने के लिए सभी सदस्यों के फर्जी नाम रखे गए थे तथा वारदात में उपयोग करने हेतु फर्जी आधार कार्ड से सिम कार्ड मालदा, पश्चिम बंगाल से जारी करवाए गए थे। यहां तक कि इस ग्रुप के एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का असल नाम उसकी कोड नाम से करते थे।