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रेप का आरोप लगाकर कोर्ट में मुकरने वाली युवती को तीन महीने की सजा 

युवती के झूठे आरोपों के चलते युवक को छह महीने जेल में बिताने पड़े

 

उदयपुर 21 अप्रैल 2022 । महिला उत्पीड़न के बढ़ते मामले और विशेषकर नाबालिग बच्चियों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों को लेकर बने महिला सुरक्षा कानून और पोक्सो एक्ट बनाया गया है।  हालाँकि इस सख्त कानून का कई जगह दुरूपयोग भी किया जाता है।  कई बार देखा जाता है महिलाएं पैसो की खातिर, पारिवारिक रंजिश या अन्य किसी कारण से भी किसी निर्दोष पर दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसा देती है और बाद में समझौता करके कोर्ट में मुकर जाती है। 

ऐसे ही एक मामले में उदयपुर की पोक्सो कोर्ट ने रेप से जुड़े मामले में पीड़िता को ही सजा सुना दी। कोर्ट ने झूठी जानकारी देने और बयान से मुकरने के चलते आज गुरुवार को कोर्ट ने 19 वर्षीय युवती को झूठे आरोप में फंसाने का दोषी माना। युवती को तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई और 500 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

गत वर्ष मई 2021 में उदयपुर के अंबामाता थाना क्षेत्र के रामपुरा निवासी 19 वर्षीय पायल पुजारी ने नवीन कुमार नामक व्यक्ति पर रेप का आरोप लगाया था। युवती ने अंबामाता थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि नवीन ने कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाकर उससे रेप किया। इसके बाद उसका अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी दी। युवती ने आरोप लगाया था कि युवक उसे जबरन पत्नी बनाकर रखना चाहता था। 

पीड़िता ने पहले पुलिस और फिर कोर्ट में दिए बयानों में यह बात कही थी। बयानों के आधार पर पुलिस ने नवीन कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।मामले में विशेष लोक अभियोजक चेतन पुरी गोस्वामी ने बताया कि तीसरे बयान में युवती बयानों से मुकर गई। युवती ने कोर्ट में भी झूठा शपथ पत्र दिया। यही नहीं युवती ने पूरी कहानी का दोष पुलिस के सिर मढ़ दिया। इसी के चलते कोर्ट ने झूठे आरोप में फंसाने दोषी मानते हुए सजा सुनाई। कोर्ट ने युवती को हाईकोर्ट से जमानत लाने के लिए एक महीने का समय दिया है। अगर एक महीने के भीतर युवती ज़मानत आदेश नहीं लाती है तो उसे जेल भेज दिया जाएगा।

वहीँ उक्त मामले में आरोप के चलते नवीन कुमार को 6 महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा। गोस्वामी ने कहा कि इस तरह के मामलों में कोर्ट और पुलिस का काफी वक्त व पैसा बर्बाद होता है। बता दें युवती के बयान 12 मई 2021 को हुए थे, तब पीड़िता ने खुद को नाबालिग बताया था, इसलिए मामले की सुनवाई पोक्सो एक्ट के तहत की गई।