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लापरवाही के चलते पैर काटने की नौबत- निजी अस्पताल पर लगा लापरवाही का आरोप

ऑपरेशन भी नहीं किया और ले लिए 54 हज़ार रूपये

 

गोगुन्दा निवासी मरीज़ लक्ष्मीलाल ने अपनी शिकायत जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक तथा संभाग के आईजी को देते हुए मांग की उनके साथ इंसाफ किया जाये और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।

डॉक्टर्स को भगवान का रुप माना जाता है। वे ना सिर्फ नई जिंदगियों को दुनिया में लाते है। बल्कि लोगों की जान बचाकर उन्हें नई जिंदगी भी देते है। लेकिन कभी कभी डॉक्टर्स पैसे के खातिर ऐसा कारनामा अंजाम देते है जिससे न सिर्फ मरीज़ की जान पर बन आती है बल्कि अपने पेशे को भी बदनाम करते है। यह सुनकर आप हैरान हो गए होगें लेकिन सच है। 

दरअसल उदयपुर के गोगुंदा निवासी लक्ष्मीलाल तेली के पाव पंजे में सूजन थी। इसका उपचार कराने के लिए वो पहले उदयपुर के एक हॉस्पिटल एंड रिर्सच सेंटर में गया। जहां मरीज लक्ष्मीलाल को परिक्षण एवं एक्सरे कर बताया कि उसका पैर फ्रेक्चर नहीं है, कुछ ओर बीमारी है। और कहा गया कि वो कहीं ओर जांच कराए। 

बकौल लक्ष्मीलाल इसके बाद वह इलाज के लिए मेवाड़ हॉस्पिटल बेदला गया जहां मौजूद डॉक्टर मनीष छापरवाल ने पहले वाली हॉस्पिटल के एक्सरे और पर्ची को दरकिनार करते हुए लक्ष्मीलाल से कहा कि आपके पैर में जहरीला इन्फेक्शन हो गया है जिसे ऑपरेशन करके दूर किया जाएगा। मेवाड़ हॉस्पिटल बेदला में लक्ष्मीलाल को ऑपरेशन के लिए एडमिट कर लिया। लक्ष्मीलाल से ऑपरेशन करने के नाम पर 54000 रुपए ले लिए गए। लेकिन कोई ऑपरेशन नहीं किया। वहीं एडमिट रहने के दौरान 30 से अधिक ग्लूकोज बौतले और करीबन 25 इंजेक्शन लगाए गए। पैर की ड्रेसिंग पर ड्रेसिंग करते गए। वहीं लक्ष्मीलाल को चिरंजीवी योजना के अंतर्गत आने पर भी योजना का कोई लाभ नहीं दिया गया। 

वहीं यह सब कुछ होने के बाद लक्ष्मीलाल ने चिरंजीवी योजना के अंतर्गत आने के बाद भी योजना का लाभ नहीं मिलने पर राजस्थान सरकार की हेल्पलाइन नम्बर 181 पर शिकायत दर्ज करवाई। लक्ष्मीलाल के एडवोकेट नरेंद्र जोशी ने बताया की शिकायत दर्ज कराने पर मेवाड़ हॉस्पिटल बेदला के डॉक्टर मनीष छापरवाल ने लक्ष्मीलाल से बदतमीजी की और कहा कि देखता हुं कि उदयपुर में तुम्हारा इलाज कौन करता है। डॉक्टर की ओर से की गई लापरवाही के कारण अब यह नौबत आ गई है लक्ष्मीलाल का पैर काटना पड़ सकता है।

आज लक्ष्मीलाल तेली ने उदयपुर आकर अपनी शिकायत जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक तथा संभाग के आईजी को देते हुए मांग की उनके साथ इंसाफ किया जाये और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।