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क्या अवैध खनन के ग़ड्डो ने ली पांच मासूमो की जान ?

चित्तौड़गढ़ के मंगलवाड़ कस्बे के तालाब में कल डूबने से हुई पांच बच्चो की मौत

 

मुख्यमंत्री सहायता कोष से पीड़ित परिवारो को एक एक लाख मुआवज़े की घोषणा

उदयपुर 6 सितंबर 2021।  संभाग के चित्तौड़गढ़ जिले के मंगलवाड़ क़स्बे के तालाब में कल रविवार दोपहर को तालाब में नहाने गए सात बच्चो में से पांच बच्चो की तलाब में डूबने से मौत हो गई। मरने वाले बच्चो की उम्र 8 से 12 वर्ष के बीच थी। चार बच्चे तो एक ही परिवार से थे। 

मृतकों में मंगलवाड़ निवासी 10 वर्षीय भावेश पुत्र नारायणलाल मेघवाल, 12 वर्षीय चंद्रशेखर पुत्र ओमप्रकाश ढोली, 8 वर्षीय सुमित पुत्र भेरूलाल, 8 वर्षीय प्रिंस पुत्र विष्णु तथा 12 वर्षीय इंदोरा पुत्र सत्यनारायण शमिल है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार इन पांच बच्चो के साथ दो अन्य बच्चे भी तालाब में नहाने गए थे. लेकिन चूँकि वह उस स्थान पर नहीं गए जहाँ पानी गहरा था अतः बच गए। 

क्या तालाब में अवैध खनन से हुए गड्डो ने ली मासूमो की जान 

इस ह्रदय विदारक घटना को लेकर राजस्थान के एक प्रमुख अख़बार 'राजस्थान पत्रिका' में छपी खबरों की माने तो तालाब में कई दिनों से जेसीबी से मिटटी का अवैध खनन चल रहा है। इससे तालाब में गहरे गड्डे बन गए है। जब बच्चे नहाने के लिए पानी में उतरे तो कुछ स्थान पर कम गहराई थी लेकिन अचानक गहरा गड्डा आ जाने से बच्चे डूब गए। यदि यह तथ्य सही है तो सवाल यह है की इन मासूमो की मौत का ज़िम्मेदार कौन ? अवैध खनन कारित करने वाले खनन माफिया ? या अवैध खनन यदि झील में जारी है तो मूक दर्शक बने ज़िम्मेदार ? या जिनके ऊपर अवैध खनन रोकने और झीलों का मूलस्वरूप बनाये रखने की ज़िम्मेदारी है ?

पत्रिका में ही छपी खबर को आधार माने तो मंगलवाड़ तालाब में लंबे समय तक सिंचाई विभाग के अधीन था। तब यहाँ दो चौकीदार भी हुआ करते थे। 2010 के बाद राज्य सरकार ने अधिकांश छोटे बड़े तालाबों के रख रखाव व सुरक्षा को पंचायत समितियों के सुपुर्द कर दिए थे।

बहरहाल प्रशासन ने इसे समय दुर्घटना मानकर मृतकों के परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष से पीड़ित परिवारो को एक एक लाख मुआवज़े की घोषणा कर दी है।  लेकिन वास्तव में अवैध खनन के कारण बने गड्डो में डूबकर मासूमो की जान की क्षति हुई है तो निश्चित ही जाँच का विषय होना चाहिए और इस लापरवाही के ज़िम्मेदारो को कठघरे में खड़ा करना चाहिए।