पानरवा केस - थाने में दुष्कर्म का प्रयास या साज़िश का कुचक्र
आरोपी कांस्टेबल जितेंद्र ने कहा बच्चियों को गुजरात बेचने वाले गिरोह ने फंसाया
उदयपुर के पानरवा थाना क्षेत्र में डेया चौकी में कॉन्स्टेबल द्वारा महिला के साथ दुष्कर्म के प्रयास के बहुचर्चित मामले में नया मोड़ आ गया है। आरोपी कांस्टेबल जितेंद्र ने महिला के आरोपों को बेबुनियाद बताया। जबकि गांव की एक युवती के गायब होने पर पूछताछ के लिए जिस महिला को पुलिस चौकी लाया गया था, उस महिला ने चौकी के कांस्टेबल पर छेड़छाड़, दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाया था यही नहीं महिला ने खाना बनवाने और झूठे बर्तन साफ करवाने के आरोप लगाए थे। जिसके चलते एसपी मनोज चौधरी ने मामले में कार्रवाई करते हुए आरोपी कांस्टेबल जितेन्द्र को सस्पेंड कर दिया। दूसरे राज्य में जाने पर भी स्वीकृति नहीं लिए जाने और साथ में महिला पुलिसकर्मी को नहीं ले जाने पर एसएचओ नाथुसिंह और एएसआई राजकुमार को लाइन हाजिर कर दिया।
लेकसिटी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान आरोपी कांस्टेबल ने बताया कि ना तो महिला के साथ कोई छेड़छाड़ हुई और ना ही दुष्कर्म के प्रयास जैसी कोई बात नहीं है। पानरवा में बच्चियों को गुजरात बेचने वाला गिरोह सक्रिय है और पीड़िता के पिता भी इसी गिरोह में शामिल है। थाने में पूछताछ के दौरान पीड़िता के पिता ने खुद की बेटी को बेचने की बात भी कबूल की थी। जितेंद्र ने इसके वीडियो भी मीडिया को बताए।
आरोपी कांस्टेबल ने बताया कि पीड़िता के कुबूलनामे इस वीडियो के होने से गिरोह के अन्य सदस्यों द्वारा उसे बर्खास्त करने के लिए जानबूझकर षड्यंत्र रचा गया। जितेंद्र ने यह भी बताया कि गुमशुदा युवती की तलाश के लिए एएसआई राजकुमार के निर्देश पर ही उदयपुर से दो गाड़ियों में पीड़िता और उसके माता पिता के साथ गुमशुदा युवती का भाई गुजरात प्रान्तीस थाने के लिए रवाना हुए। उदयपुर से गुजरात और गुजरात से उदयपुर आते वक्त महिला ने सलवार सूट पहना था, जो वीडियो में साफ है। ऐसे में उसके साड़ी फाड़ने वाली बात पूरी तरह से गलत है।
जितेन्द्र ने कहा कि गुजरात के प्रान्तीस थाने के बाद वे सुबह 5:00 बजे सभी चौकी पहुंचे, जहां एक कमरे में गुमशुदा का भाई गुलजारी लाल, पीड़िता और उसके माता-पिता सोए थे। इस बात की पुष्टि गुलजारी लाल ने भी की और कहा है कि कमरे में पीड़िता के साथ दो बच्चे, उसके माता पिता और खुद गुलजारी लाल ही मौजूद थे जबकि दोनों पुलिसकर्मियों कमरे में मौजूद ही नहीं थे। गुलजारी लाल ने भी गांव में बच्चों को बेचने वाले गिरोह के सक्रिय होने की बात कही है।
दरअसल पानरवा थाना क्षेत्र में डेया चौकी में एक पुलिस कॉन्स्टेबल द्वारा महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास के गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद एसपी मनोज चौधरी ने मामले में कार्रवाई करते हुए जितेन्द्र को सस्पेंड कर दिया। दूसरे राज्य में जाने पर भी स्वीकृति नहीं लिए जाने और साथ में महिला पुलिसकर्मी को नहीं ले जाने पर एसएचओ नाथुसिंह और एएसआई राजकुमार को लाइन हाजिर कर दिया।
पांच साल पहले लापता युवती का मामला था।
चार माह पूर्व झेर निवासी राम सिंह डामोर ने पानरवा थाने में दी रिपोर्ट दी थी कि उसकी 26 वर्षीय बहन भावना पांच वर्ष पूर्व जीजा कमजी खराड़ी निवासी खारीवेरी (विजयनगर) के साथ गई थी। उसके साथ दिनेश, जयंती और हाजी कुमारी भी थे। कुछ दिन बाद जीजा से बहन के बारे में पूछा तो उसने जानकारी होने से इनकार कर दिया। तब से भावना लापता है। इसी साल जुलाई में विसनगर गई गांव की महिला ने उसे वहां देखा था। परिजनों ने महिला पर भावना को बेचने का आरोप लगाया। मामले में शक के आधार पर महिला को घर ले गए।
पुलिस पर आरोप लगा की बिना किसी वारंट, आदेश के महिला और उसके माता-पिता को घर से गए। कानूनी नियम के अनुसार अगर किसी मामले की दफ़्तीश में किसी महिला को कहीं ले जाना होता है तो साथ में महिला कॉन्स्टेबल का होना जरुरी होता है। लेकिन इस मामले महिला कॉन्स्टेबल में नहीं थी। एएसआई राजकुमार और कांस्टेबल जितेंद्र कुमार खुद ही उसे विसनगर ले गए। जिस स्कॉर्पियों में महिला को ले जाया गया, वह कांस्टेबल जितेंद्र की थी। महिला को दूसरे राज्य में ले जाने के लिए बड़े अधिकारियों से अनुमति नहीं ली गई।
इस मामले को लेकर जब सोमवार को पीड़ित एसपी मनोज कुमार के सामने पेश हुई तब परिवाद पेश करते हुए महिला ने आरोप लगाया की कोटडा डीएसपी कुशलाराम चौरडिया और थानाधिकारी नाथू सिंह ने उसकी एफआईआर बदलवा दी । परिवाद में साथ ही पीड़िता ने यह भी बताया की गाँव की युवती गुम हो गई थी उसका कोई लेना देना नहीं है । इस मामले की जानकारी जुटाने ओर पूछताछ के लिए डैया पुलिस चौकी में रात भर रखा। बल्कि महिला से खाना बनवाया और जूठे बर्तन भी साफ कराए गए ।
जिला अधीक्षक मनोज कुमार ने इस मामले की जांच का जिम्मा डीएसपी चेतना भाटी को सौंप दिया है। हालांकि पुलिस ने जो दर्ज किया उसके आधार पर पानरवा थाना में रविवार शाम दर्ज एफआईआर में पुलिस ने छेड़छाड़ (आईपीसी 354 ) और चोट पहुँचाने ( आईपीसी 323 ) जैसी धाराएं लगाई । मामले में कॉन्स्टेबल जितेंद्र को निलंबित तथा एएसआई राजकुमार व एसएचओ नाथू सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है ।
पैनी नजर से
हम यह दावा नही करते की कौन गलत कौन सही है लेकिन इन सभी पहलुओं के बीच यह घटना बहुत से सवाल खड़े करती है। दुष्कर्म के प्रयास या छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली महिला की बात यदि सत्य है तो जनता की रक्षक कहीं जाने वाली खाकी की वर्दी दागदार होती है। और यदि आरोपी कांस्टेबल की बात सत्य है तो निश्चित लड़कियां बेचने वाले गिरोह पर सख्ती से नकेल कसनी चाहिए। हालाँकि पानरवा समेत समूचे आदिवासी अंचल में लड़कियों को अगवा कर गुजरात और अन्य राज्यों में बेचने की घटना भी अक्सर सामने आती रहती है। ऐसे में इस मामले में हो रही राजनीती और ऐसे गिरोह को संरक्षण देने वालो पर भी निष्पक्षता से जाँच कर कार्यवाही होनी चाहिए।
उक्त मामले में जिला पुलिस अधीक्षक मनोज चौधरी से पूछने पर बताया की समूचे मामले की निष्पक्षता से जांच की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।