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MLSU में मलेरिया उन्मूलन पर अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

15 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन सुविवि अतिथिगृह के सभागार में आयोजित

 

एशिया पेसिफिक मलेरिया उन्मूलन नेटवर्क (एपमेन), बैंकॉक, थाईलैंड एवम मलेरिया कंसोर्शियम, लंदन, यूके तथा मोहनलाल सुखाड़िया विश्विद्यालय उदयपुर के प्राणी शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने जा रहे मलेरिया वाहक सर्वेक्षण एवम उन्मूलन विषय पर 15 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन सुविवि अतिथिगृह के सभागार में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की समन्वयक एवम विभागाध्यक्ष प्रो आरती प्रसाद ने बताया कि उद्घाटन कार्यक्रम की शुरुआत ईश वंदना एवम अतिथियों के स्वागत के साथ हुई तत्पश्चात विज्ञान महाविद्यालय अधिष्ठाता प्रो सी पी जैन ने अपने उद्बोधन द्वारा अतिथियों एवम विशेषज्ञों का स्वागत किया। प्रो सी पी जैन ने एपमेन के डॉ लियो ब्राक को प्राणी शास्त्र विभाग को इस आयोजन की जिम्मेदारी देने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया। एपमेन के सीनियर वाहक विशेषज्ञ एवम प्रशिक्षण कार्यक्रम में  एपमेन के समन्वयक डॉ लियो ब्राक ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की संक्षिप्त जानकारी देते हुए सभी प्रतिभागियों एवम अतिथियों का स्वागत किया।

 

राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण केंद्र दिल्ली के डॉ रिंकू ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर कार्यक्रम की सफलता हेतु अपनी शुभकामनाएं दी तथा मलेरिया उन्मूलन के क्षेत्र में देश मे किए जा रहे कार्यो के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। विशिष्ट अतिथि पुलिस उपाधीक्षक चेतना भाटी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं देते हुए वाहक जनित बीमारियों के नियंत्रण हेतु वाहक नियंत्रण की आवश्यकता को इंगित करते हुए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम को आज के समय की महत्ती आवश्यकता बताई।

उन्होंने कार्यक्रम के दौरान उपस्थित मलेरिया विशेषज्ञों से चर्चा के दौरान जब जाना कि पुलिस के मालखाने वाहक मच्छरों के लिए उपयुक्त प्रजनन स्थल है जहां पानी जमा हो जाता है और वहां मच्छर आसानी से प्रजनन कर सकते है क्योंकि ये मालखाने सालो तक बंद पड़े रहते है उन्होंने बताया कि वर्तमान समय मे उपजी परिस्थितियों से निपटने के तुरंत बाद वे अपने उच्चाधिकारियों से इस बारे में बात कर इन प्रजनन स्थलों को खत्म कर वाहक नियंत्रण के क्षेत्र में एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका का निर्वहन करेंगे। उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा उनके द्वारा दिया गया है। मुख्य अतिथि जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर डॉ धृति बनर्जी ने जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में हो रहे कार्यो के बारे में बताया तथा वाहक नियंत्रण के क्षेत्र में संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यो के बारे के बताया तथा गत दिनों करवाए गए दो पेटेंट की जानकारी दी।
 

डॉ बनर्जी ने बताया कि आने वाले कुछ ही महीनों में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में 574 विभिन्न पोस्ट पर भर्ती होने जा रही है जिसमे वैज्ञानिक बी सी एवम तकनीकी पोस्ट सम्मिलित है जिसके लिए MSc जूलॉजी एवम पीएचडी छात्र योग्य होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलपति प्रो आई वी त्रिवेदी ने ऑनलाइन जुड़कर विभाग को कार्यक्रम की सफ़लता हेतु शुभकामनाएं दी तथा डॉ लियो को सुविवि पर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु विश्वास जताने हेतु धन्यवाद दिया। माननीय कुलपति महोदय ने कार्यक्रम में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित न होने पर खेद जताते हुए सभी प्रतिभागियों एवम विशेषज्ञों से बहुत ही जल्दी मिलकर संवाद करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम को आज के समय की महत्ती आवश्यकता बताते हुए इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन हेतु विश्वविद्यालय की तरफ से हर स्तर पर मदद एवम सहयोग की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डॉ आर एस शर्मा ने कार्यक्रम की सफलता हेतु शुभकामनाएं प्रदान की। कार्यक्रम के अंत मे समन्वयक एवम विभागाध्यक्ष प्रो आरती प्रसाद ने सभी प्रतिभागियों एवम अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। उद्घाटन कार्यक्रम के पश्चात पहले सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के जॉइंट एक्शन ग्रुप फ़ॉर ग्लोबल वेक्टर कंट्रोल रेस्पॉन्स के अध्यक्ष डॉ राजपाल यादव ने एशिया एवम विश्व मे डेंगू की वर्तमान स्थिती एवम इसके नियंत्रण मे आ रही बाधाओं के बारे में बताया। डॉ यादव ने बताया कि डेंगू एवं अन्य वाहक जनित बीमारियों के नियंत्रण में मुख्य बाधा प्रशिक्षित किटविज्ञानियो की कमी है तथा बढ़ती हुई जनसंख्या तथा बिना योजना का होने वाला निर्माण इसके वाहक के प्रजनन हेतु उपयुक्त वातावरण का निर्माण करते है जिससे विकासशील देशों में इनका नियंत्रण मुश्किल हो जाता है।
 

दूसरे सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम की मलेरिया उन्मूलन इकाई के हैड डॉ इखन गासिमोव ने वैश्विक मलेरिया उन्मूलन की वर्तमान स्थिति एवम प्रमुख बाधाओ पर अपने ऑनलाइन व्याख्यान में बताया की बढ़ती जनसंख्या एवम कीटनाशको का अनियंत्रित उपयोग मलेरिया उन्मूलन में प्रमुख बाधा है। तीसरे सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र के मलेरिया मेडिकल ऑफिसर डॉ ऋषिन्था ने श्रीलंका द्वारा मलेरिया उन्मूलन हेतु किए गए प्रयासों एवम उसे बनाए रखने के लिए किए जा रहे कार्यो के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह से सामुदायिक भागीदारी एवम जनजागरूकता के द्वारा श्रीलंका ने मलेरिया को हराया।