आहार सम्बन्धी तथ्य एवं भ्रम में अंतर समझना ज़रूरी: डॉ.स्मिता माथुर
महाराणा प्रताप कृषि एवम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक सामुदायिक एवम व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय के मानव विकास तथा पारिवारिक अध्य्यन विभाग द्वारा आयोजित पूर्व बाल्यावस्था देखभाल एवम विकास प्रयोगशाला के बालकों के अभिभावकों हेतु “बालकों का आहार : तथ्य एवं भ्रम” विषयक खुला मंच कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रारम्भ में अधिष्ठाता डॉ.मीनू श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए भविष्य में भी ऐसे आयोजनों की मंशा जताई। आपने कहा की वर्तमान में अभिभावकों की सबसे बड़ी परेशानी बालकों के आहार सम्बन्धी है। नित नए विज्ञापनों को देख कर नन्हे बच्चे उन्हें खाने की ज़िद करते हैं ,जो स्वास्थ्य और पोषण की दृष्टि से सही नहीं है।
ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ.गायत्री तिवारी के स्वागत उद्बोधन तथा परिचयात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा की पूर्व में संयुक्त परिवारों के चलते इस प्रकार की समस्या नहीं हुआ करती थी। किन्तु वर्तमान में बालकों के पालन पोषण का जिम्मा भी सोशल मीडिया ने ले लिया है जिसके चलते आहार समबन्धी अनेक मिथ्या धारणाएं उपजने लगी हैं; उसका खामियाजा बालक को भोगना पड़ता है।
इसके मद्देनज़र पोषण विशेषज्ञों से रूबरू करवाना समय की मांग है। मुख्य वक्ता डॉ.स्मिता माथुर , आहार एवम पोषण विशेषज्ञा ने बताया की आहार समबन्धी अनेक मिथ्या अवधारणाओं का प्रचलन साधारण बात है।बहुत कम ही लोग होते हैं जो इनकी तथ्यात्मक जानकारी प्राप्त करना चाहते है।
गलतफहमियों के चलते कई बार भोजन और पोषण सम्बन्धी समस्याएं हो जाती हैं, जिनका निदान असंभव तो नहीं कठिन अवश्य होता है
विशेष रूप से छोटे बालकों का ध्यान रखना आवशयक है अन्यथा बड़े होने पर कुपोषण जैसी अपूरणीय शांति का शिकार हो जाते हैं। आपने ज़ोर देते हुए कहा की भोजन को फ़ोर्स नहीं फ़न एक्टिविटी बनाएं। बालक को नए स्वाद के लिए आहिस्ता आहिस्ता तैयार करें, एक ही दिन में अनेक नए स्वाद से परिचय ना कराएं अन्यथा बालक में भोजन के प्रति अरुचि होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
अंत में प्रश्नोत्तरी के माध्यम से शंकाओं का समाधान किया गया। धन्यवाद ज्ञापन नर्सरी टीचर श्रीमती अंजना कुमावत, तथा संयोजन विभाग की श्रीमती अरुणा व्यास, श्रीमती रेखा राठौड़ तथा श्रीमती स्नेहा जैन द्वारा किया गया.