यूरोस्कूल ने लांच किया ’सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग’
लक्ष्य है समग्र स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता व समावेशन की संस्कृति को प्रोत्साहित करना
उदयपुर। भारत के अग्रणी स्कूल नेटवर्क यूरोस्कूल ने ’सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग’ लांच किया है। इस पहल का उद्देश्य है अकादमिक शिक्षा के दायरे से परे जाकर लोकोपकार करना। यूरोस्कूल के मैनेजमेंट ने ऐक्शन प्लान के साथ एक समर्पित टीम को तैनात किया है जिसका लक्ष्य है यूरोस्कूल नेटवर्क के सभी परिसरों में अपने विद्यार्थियों, शिक्षकों, स्टाफ व प्रबंधन को भावनात्मक व मानसिक सहयोग देना।
दुनिया भर में कोविड-19 तीव्र प्रसार के कारण लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य, सामाजिक व मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर काफी असर पड़ा है।
वैलबीइंग से तात्पर्य एक ऐसी अवस्था से है जिसमें व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता का सुख पाता है। इसमें शारीरिक व मानसिक सेहत, भावनात्मक व शारीरिक सुरक्षा, जुड़ाव का ऐहसास, उद्देश्य, उपलब्धि व सफलता का बोध निहित होता है।
इस महामारी ने जीवन के कई अन्य सबकों के अलावा हमें सबसे अहम जो चीज़ सिखाई है वो है बदलाव इस संदर्भ में कठिनाईयों से तुरंत उबर आने की क्षमता। परंपरागत रूप से स्कूलों को विद्यार्थियों की अकादमिक उत्कृष्टता तथा चहुंमुखी विकास का केन्द्र माना जाता है। वर्तमान स्थिति ने स्कूलों की भूमिका को बदल दिया है, अब इनकी भूमिका पढ़ाई-लिखाई से परे तक जाती है। विद्यार्थियों का कल्याण, सजगता और तन्यकता निर्माण आदि सुनिश्चित करने के लिए भी स्कूलों का महत्व बढ़ रहा है।
यूरोस्कूल द्वारा लांच किए गए सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग के अंतर्गत कई कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है जिनका उद्देश्य स्टाफ, शिक्षकों, विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों कुशलता हेतु सहयोग देना है। स्कूल प्रबंधन द्वारा जो नैतिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय सहयोग दिया गया है उससे न्यूनतम तनाव के साथ इस कठिन वक्त से निकलने में मदद मिली है।
सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग के मूल उद्देश्य इस प्रकार हैं
- स्कूल के सभी विद्यार्थियों (विशेष जरूरतों वाले बच्चों समेत) की भलाई और उत्कृष्टता सुनिश्चित करना
- स्कूल में भावनात्मक एवं सामाजिक कल्याण में प्रमुख भूमिका निभाना
- वी केयर 2.0 प्रोग्राम के माध्यम से स्टाफ की भावनात्मक एवं मानसिक सेहत को सुनिश्चित करना
- इस पहल में शक्तिशाली सहयोगी साधन शामिल हैं जैसे एक हैल्पलाइन का लांच जिससे विद्यार्थियों और कर्मचारियों दोनों की काउंसलिंग हो सके। इसके बाद एक लीडरशिप टीम की बैठक होगी जिसमें वे अपनी-अपनी टीमों के साथ भाग लेते हैं ताकि सभी लीडर प्रत्येक टीम सदस्य के साथ कनेक्ट हो सकें और काम के अलावा सामान्य दैनिक वार्तालाप को बढ़ावा मिले। इन सत्रों के दौरान लीडर पूछते हैं कि किसी को कोई मदद तो नहीं चाहिए और कोविड ग्रस्त रोगियों की स्थिति का हाल पता करते हैं, रिमोट वर्किंग में आ रही चुनौतियों पर चर्चा करते हैं और काम के मोर्चे पर सामान्य प्रगति पर बात करते हैं।
विद्यार्थियों और अभिभावकों के स्वास्थ्य पर समर्पित फोकस के अलावा सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग के पांच प्रमुख स्तंभ हैं जिनके तहत वह विद्यार्थियों, अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन और स्टाफ को सपोर्ट करता है
- पेशेवर काउंसिंग चाहने वाले विद्यार्थियों, स्कूल स्टाफ व कर्मचारियों के लिए समर्पित हैल्पलाइन (फोन व ईमेल पर)
- सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग की लीड (समावेशी शिक्षा एवं काउंसलिंग) श्रीमती साचु रामालिंगम ने विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं स्कूल स्टाफ के लिए मानसिक स्वास्थ्य (मासिक कैलेंडर में) पर वैबिनार आयोजित किए। इन वैबिनार्स में कुछ जानेमाने मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर शामिल किए गए जैसे हरीश शेट्टी।
- यूरोस्कूल के सभी कर्मचारियों के लिए एक ऐम्पलाॅयी असिस्टेंस प्रोग्राम है जहां उन्हें कोविड-19 लक्षणों और वैक्सीन, क्या करें व क्या न करें आदि पर ज़ूम के द्वारा चिकित्सीय सलाह दी जाती है।
- मुंबई शहर में सभी कर्मचारियों के लिए समर्पित कोविड टीकाकरण अभियान का संचालन।
- मानसिक तनाव से राहत पाने के लिए 1 घंटे का नियमित वर्चुअल मैडिटेशन सत्र, जिसमें यूरोस्कूल के सभी विद्यार्थी, शिक्षक व कर्मचारी भाग ले सकते हैं।
इस पहल का लक्ष्य है की कोविड के इस दौर में विद्यार्थियों, अभिभावकों व स्टाफ को सर्वांगीण मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम मुहैया कराया जाए।
वीकेयर 2.0 के अंतर्गत यह कार्यक्रम सभी स्टेकहोल्डरों की बेहतरी के लिए काम करेगा और उन्हें विभिन्न चुनौतियों से उबरने में मददगार साबित होगा जैसे तनाव (शारीरिक व मानसिक) तथा वर्चुअल स्कूलिंग, विद्यार्थियों व शिक्षकों के बीच सकारात्मक सोच को बढ़ावा देगा। वीकेयर 2.0 प्रोग्राम के निम्नलिखित विस्तार हैं
- चिंता एवं तनाव से जूझ रहे स्टाफ और विद्यार्थियों के लिए परामर्श
- कोविड, तनाव, टीकाकरण के बारे में डाॅक्टरी सलाह
- मानसिक स्वास्थ्य और अपंगता क्षेत्र के प्रतिष्ठित वक्ताओं के साथ वैबिनार तथा अग्रणी व सफल व्यक्ति हमारे विद्यार्थियों को ध्यान केन्द्रित रखने के लिए प्रेरित करते हैं
- सभी यूरोस्कूलों के लिए स्पेशल ऐजुकेटर व काउंसलर जैसे पेशेवरों की नियुक्ति
- कोविड के पश्चात् भी एसओपी और स्पष्ट दस्तावेज़ीकरण का पालन किया जाता है
- विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए दीर्घकालिक व अल्पकालिक लक्ष्यों वाले संरचित व्यक्गित योजनाएं तथा परामर्श के जरूरतमंद अन्य बच्चों के लिए परामर्श योजना।
- सीबीएसई, आईसीएसई, आईजीसीएसई या एनआईओएस जैसे सभी बोर्ड्स के लिए करियर व विषय चयन सहायता
- विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए मोडिफाइड आईईपी ऐक्ज़ाम जो बोर्ड पाठ्यक्रम के अनुसार व्यक्तिगत शिक्षा योजना पर होते हैं
इस पहल की अगुआई श्रीमती सचु रामालिंगम करती हैं जो समावेशी शिक्षा एवं परामर्श (सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग) की प्रमुख हैं। इस कार्यक्रम के लांच के मौके पर उन्होंने कहा, ’’कई महीनों के परिश्रम और योजना के बाद यह कार्यक्रम अस्तित्व में आया है जिसकी हमें बहुत खुशी है। हमारा उद्देश्य है की जब हमारे बच्चे शिक्षा के सफर पर निकलें तो उन्हें सुरक्षित वातावरण दिया जा सके। बच्चे घरों में सुरक्षित हैं और बतौर शिक्षक यह अहम है हम उन्हें भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक तौर पर ’सुरक्षित’ अनुभव कराएं ताकि वे सकारात्मक व प्रसन्न व्यक्ति के रूप में विकसित हों। यह कार्यक्रम सभी स्टेकहोल्डरों को विकल्पों की एक विस्तृत रेंज मुहैया कराएगा जिनमें मैडिटेशन, काउंसलिंग और स्ट्रैस-फ्री अनाॅनिमस काॅलिंग हैल्पलाइन शामिल हैं। हमारा यह कदम इमोशनल इंटेलीजेंस, अडेप्टिबिलिटी और माइंडफुलनेस निर्मित करने की दिशा में है।’’
यूरोस्कूल के सीईओ राहुल देशपांडे ने कहा, ’’दुनिया कोविड-19 के असर से उबरने की कोशिश में है और हम दूर रह कर काम जारी रखे हुए हैं, ऐसे में मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य बेहद महत्वपूर्ण है। जब हमारा मन सकारात्मक एवं राहत की अवस्था में होता है तो हम न केवल तनाव से मुकाबला कर सकते हैं बल्कि बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं और अच्छा काम कर सकते हैं। इस बात के ध्यान में रखते हुए हमने सेंटर ऑफ़ वैलबीइंग एवं वीकेयर 2.0 लांच करने का फैसला किया। ये ऐसी पहलें हैं जिनमें विद्यार्थी, शिक्षक और हमारे मुख्यालय के कर्मचारी सभी शामिल हैं। हमारे पास सर्वश्रेष्ठ परामर्शक एवं संरक्षक हैं तथा ऐसी प्रबंधन टीम है जिस तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। ये सभी यह सुनिश्चित करने के लिए हैं की यूरोस्कूल परिवार सकारात्मक, प्रेरित एवं तनाव मुक्त है। मेरा विश्वास है की सकारात्मक सोच के साथ ही एक स्वस्थ समाज का निर्माण होता है जिसमें शिक्षक अहम भूमिका निभाते हैं। यदि शिक्षक और स्कूल लीडरों को पर्याप्त सहयोग मिले और वे प्रेरित हों तो इसका असर विद्यार्थियों के मन पर भी पड़ता है। हमें आशा है की हमारा यह विनम्र प्रयास यूरोस्कूल के विद्यार्थियों के भविष्य को आकार देने में मददगार साबित होगा और वे इस चुनौतीपूर्ण समय से उबर जाएंगे।’’