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जनजातीय मंत्रालय और CBSE ने EMRS और CBSE शिक्षकों के लिए प्रायोगिक शिक्षा पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया

प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम से नई शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शिक्षकों में क्षमता निर्माण होगा

 

आजादी का अमृत महोत्सव के समारोह के एक भाग के रूप में आज 20 नवंबर को जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अध्यक्ष श्री मनोज आहूजा ने संयुक्त रूप से सीबीएसई और एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के शिक्षकों के लिए 21 वीं सदी हेतु प्रायोगिक शिक्षा पर टाटा ट्रस्ट, शिक्षक शिक्षा में उत्कृष्टता केंद्र, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (सीईटीई, टीआईएसएस), मुंबई और महात्मा गांधी इंटरनेशनल स्कूल एमजीआईएस (एमजीआईएस), अहमदाबाद के सहयोग से एक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (सर्टिफिकेट कोर्स) का शुभारंभ किया।

यह कार्यक्रम 6 राज्यों में 350 शिक्षकों के लिए शुरू किया जाएगा। इस कार्यक्रम में जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन,जनजातीय विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय सिक्षा समिति (नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स –एनईएसटीएस) के आयुक्त श्री असित गोपाल, जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. नवल जीत कपूर और टाटा ट्रस्ट के श्री आर पवित्रा कुमार इस अवसर पर उपस्थित थे।

"प्रायोगिक शिक्षा में आदिवासी छात्रों को उनके अपने संदर्भों और वास्तविक जीवन के अनुभवों से जोड़ने में मदद करने के लिए शिक्षकों को सक्षम बनाने की परिकल्पना को वास्तविकता में बदलने का प्रावधान किया गया है। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले आदिवासी छात्र हालांकि पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं, उसके बाद भी उनमें रचनात्मकता अन्तर्निहित है। रचनात्मकता, उद्यम, जोखिम उठाना कुछ ऐसे गुण हैं जो स्वाभाविक रूप से उनके जीवन-काल के दौरान सामने आते हैं। यह कार्यक्रम आदिवासी शिक्षा के विकास के लिए एक बहुत बड़ा प्रयास  होगा जिसके अंतर्गत ईएमआरएस स्कूल आने वाले समय में आदर्श स्कूलों के रूप में उभर कर सामने आएँगे।" - अनिल कुमार झा; सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय

प्रायोगिक शिक्षा कार्यक्रम को शिक्षकों, स्कूल प्रमुखों और प्रधानाध्यापकों के लिए शुरू किया गया है। आवेदन करने वाले 650 शिक्षकों में से 350 का चयन डिजिटल साक्षरता के मानदंड, अंग्रेजी में सहजता और नई शिक्षा पद्यति सीखने की उनकी आकांक्षा के आधार पर किया गया है। प्रशिक्षण 20 नवंबर 2021 से सभी चयनित शिक्षकों और प्राचार्यों को निःशुल्क प्रदान किया जा रहा है।

"सीखना मानव स्वभाव का अभिन्न अंग है। बच्चे स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु होते हैं और मनुष्य की शिक्षा हमेशा आगे बढ़ने वाली होती है। इसका उद्देश्य बच्चों की आजीविका, पर्यावरण और दिन-प्रतिदिन के जीवन पर ध्यान केंद्रित करके उनके अनुभवों के लिए शिक्षा को फिर से नई दिशा में मोड़ना है। एक ऐसे इकोसिस्टम के निर्माण की आवश्यकता है, जहां बच्चों की जिज्ञासाएं और अनुभव एक अभियान या परिवर्तन की ओर ले जाते हैं।" - मनोज आहूजा, अध्यक्ष, CBSE

21वीं सदी के कार्यक्रम के लिए प्रायोगिक शिक्षा का उद्देश्य है :

  • छात्रों के शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक कल्याण पर विशेष ध्यान देने के साथ शिक्षकों को बहु-संवेदी शैक्षणिक अनुभवों के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाना।
  • शिक्षकों को अपने छात्रों में 21वीं सदी के कौशल और दक्षताओं को विकसित करने के लिए वैकल्पिक रणनीतियों का निर्माण करने में सक्षम बनाना।
  • अवधारणाओं और दक्षताओं के लिए सीखने के अनुभवों का मानचित्रण करने के लिए शिक्षकों का मार्गदर्शन करना।
  • शिक्षकों के समुदाय में अंशदान करते हुए ऐसे शिक्षकों को सक्रिय सदस्यों के रूप में बदलना।
  • शिक्षक-नेताओं के रूप में शिक्षकों के कौशल विकास में सहायता करना।