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गिट्स में 3डी प्रिन्टिग टेक्नोलोजी एण्ड रोबोटिक्स पर चल रही 05 दिवसीय एफ.डी.पी. का समापन

फेकल्टी मेंबर्स को 3डी प्रिटिंग डिजाइन, केलीब्रेशन, रोबोटिक, हेण्ड फर्मवेयर प्रोग्रामिंग तथा रोबोटिक्स प्रोग्रामिंग के गुण सिखाये

 

गीतांजली इन्स्टिटियूट ऑफ टेक्नीकल स्टडीज डबोक उदयपुर (गिट्स), में मैकेनिकल इन्जिनियरिंग के तत्वाधान में 3डी प्रिन्टिग टेक्नोलोजी एण्ड रोबोटिक्स पर चल रही 05 दिवसीय फेकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम का समापन हो गया। 

संस्थान के निदेशक डॉ. एन. एस. राठौड ने समापन के दौरान सम्बोधन करते हुए कहा कि आज तकनीक हर क्षेत्र में अपनी विजयी पताका फहरा रही हैं। तकनीक की मदद से बडे-बडे काम आसानी से हो जा रहे हैं। जिस काम को करने में महिने लगते थे अब वह काम तकनीक की मदद से घण्टों में हो जाता हैं। 

उन्होंने बताया कि 3डी प्रिन्टिग टेक्नोलोजी इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। 3डी प्रिन्टिग का घरेलु उपकरणों से लेकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसका व्यापक उपयोग हो रहा हैं। खासकर सुरक्षा और ऐरोस्पेस के क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी उपकरणों के विभिन्न भागों के मरम्मत करने तथा विभिन्न घटकों के निर्माण में किया जा रहा हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में 3डी प्रिन्टिग प्रिंटीग का उपयोग उतक, प्रोस्टेथिक एवं हार्ट के अंगो के निर्माण में किया जा रहा हैं। 

डॉ एन. एस. राठौड ने  बताया कि सिविल इन्जिनियरिंग में 3डी प्रिन्टिग ने तो भूचाल ला दिया हैं। जिस घर को बनाने में 01 से 1.5 वर्ष लगते थे अब वह घर इस नवीनतम तकनीक की मदद से 12 से 24 घण्टों में तैयार हो जाता हैं। फेकल्टी मेंबर्स को 3डी प्रिन्टिग टेक्नोलोजी के उपयोगी गुणों से अवगत कराने के लिए इस 05 दिवसीय फेकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम का कार्यक्रम रखा गया। इस प्रोग्राम के अन्तर्गत एक नया 3डी प्रिंटर, एक स्केरा रोबोट तथा रोबोटिक आर्म तैयार कर हेण्ड्स ऑन ट्रेनिंग प्रदान की गई।

मैकेनिकल इन्जिनियरिंग विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक पालीवाल के अनुसार 3डी प्रिन्टिग टेक्नोलोजी से कम से कम समय में मनचाही डिजाइन तैयार की जा सकती हैं। इस फेकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम में रिसोर्स पर्सन के रूप में शार्पस के फाउण्डर अभय सिंह गहलोत तथा योर 3डी इनोवेशन के फाउण्डर पंकज पोरवाल ने भाग लेकर फेकल्टी मेंबर्स को 3डी प्रिटिंग डिजाइन, केलीब्रेशन, रोबोटिक, हेण्ड फर्मवेयर प्रोग्रामिंग तथा रोबोटिक्स प्रोग्रामिंग के गुण सिखाये। इस कार्यक्रम को सफल बनाने असिस्टेंट प्रो. अभिषेक जोशी, दिप्ती मेहता और सुरभी मिश्रा का विशेष योगदान रहा।