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मछली पालन से स्वरोजगार का सुअवसर - डाॅ. कौशिक

 मत्स्य विभाग, हैदराबाद मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित की गयी

 

जन-जन तक पहुचाने व मत्स्य पालन को अपनाने का आह्वान किया

उदयपुर, 25 नवम्बर 2021 महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संगठक मात्स्यकी महाविद्यालय में गुरूवार 25 नवम्बर 2021 को मीठे पानी की पालने योग्य मछलियाँ एवं पालन पद्धति पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। इस प्रकार के 8 प्रशिक्षणों की यह कार्यक्रम श्रृंखला राष्ट्रीय मात्स्यकी विकास बोर्ड, मत्स्य विभाग, हैदराबाद मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित की गयी है। उद्घाटन कार्यक्रम, प्रसार शिक्षा निदेशालय के निदेशक डाॅ. आर. ए. कौशिक के मुख्य आतिथ्य एवं डाॅ. बी. के. शर्मा अधिष्ठाता मात्स्यकी महाविद्यालय की अध्यक्षता, विशिष्ट अतिथि डाॅ. एस. के. शर्मा पूर्व अधिष्ठाता एवं डाॅ. एम.एल. ओझा की उपस्थिति में हुआ।

कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. बी. के. शर्मा ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की योजनाएं एवं प्रशिक्षण की उपयोगिता पर प्रशिक्षणार्थियों को विस्तृत जानकारी प्रदान की। डाॅ. शर्मा ने मत्स्य प्रशिक्षण कार्यक्रम की एन.एफ.डी.बी. द्वारा स्वीकृति में मत्स्य विभाग, राजस्थान सरकार की अहम भूमिका पर आभार व्यक्त किया। प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर डाॅ. शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को समूह बनाकर आगे बढ़ने की सलाह दी जिससे जनजाति क्षेत्र के किसान अपना जीवनस्तर सुधार सकें। डाॅ. बी.के. शर्मा ने कार्यक्रम के दौरान प्राप्त जानकारी को जन-जन तक पहुचाने व मत्स्य पालन को अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. आर.ए. कौशिक, निदेशक प्रसार शिक्षा ने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों के लिए मत्स्य पालन के क्षेत्र से जुड़कर अपना व्यवसाय शुरू करने का यह सुअवसर है इससे वे दूसरे लोगों को भी रोजगार प्रदान कर सकते हैं। डाॅ. कौशिक ने प्रशिक्षणार्थियों से मत्स्य पालन कौशल के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए आह्वान किया कि दक्षिणी राजस्थाना में विपुल जल संसाधन उपलब्ध है। जिनमें आप थोड़ी सी पूंजी एंव समय लगाकर अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं और अपना जीवनस्तर उंचा उठा सकते हैं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं मात्स्यकी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डाॅ. एस. के. शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को मत्स्य पालन की सांख्यिकी एवं भारत के इस क्षेत्र में बढ़ते हुए योगदान व भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना एवं अलग से स्थापित किए गए मंत्रालय की जानकारी, प्रशिक्षणार्थियों को प्रदान की। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डाॅ. एम.एल. ओझा ने दिया।

उद्घाटन सत्र के पश्चात डाॅ. एम.एल. ओझा ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रजनन योग्य मछलियों की पहचान एवं उनका रख-रखाव और कार्प मछलियों के बीजोत्पादन के लिये चायनीज सर्कुलर हेचरी की विस्तृत प्रायोगिक जानकारी प्रदान की। साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को महाविद्यालय के मत्स्य फार्म पर मत्स्य बीज को तालाब से निकालना एंव उनके परिवहन हेतु प्रायोगिक कार्य करवाया। सभी प्रशिक्षणार्थियों ने इसमे बढ़-चढ़कर भाग लिया।

दूसरे सत्र में महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डाॅ. एल.एल. शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को मत्स्य बीज पालन हेतु नर्सरी, संवर्धन व संग्रहण तालाबों की विस्तृत जानकारी एवं मत्स्य पालन तालाबों में पाई जाने वाली जलीय खरपतवार एवं परभक्षी मछलियों और जलीय कीटों के नियंत्रण की चलचित्रों के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रदान की। महाविद्यालय के प्रो. सुबोध कुमार शर्मा ने मीठे पानी के तालाब में पालने योग्य मत्स्य प्रजातियों एवं मछली पालन के लिये तालाब के निर्माण पर प्रशिक्षणार्थियों को अपना उद्बोधन दिया।