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साइंस फेस्टिवल में गिट्स के छात्रों को तीसरा स्थान

गोवा में हुआ आई.आई.एस.एफ. 2021 साईंस फेस्टिवल

 

इण्डिया इंटरनेशनल साईंस फेस्टिवल (आई.आई.एस.एफ. 2021) गोवा में होने वाले साईंस, फूड एवं एग्रीकल्चर आधारित साईंस फेस्टिवल में कम्प्यूटर सांईस इन्जिनियरिंग विभाग के विद्यार्थियो ने ‘‘सेल्फ पावर्ड इन्ट्रुशन डिटेक्शन एवं प्रिवेंटेंशन’’ मशीन बनाकर पूरे भारत में तीसरा व राजस्थान राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया हैं।  

संस्थान के निदेशक डाॅ. विकास मिश्र ने बताया कि आई.आई.एस.एफ. 2021 समृद्ध भारत के लिए विज्ञान प्रोद्यौगिकी एवं नवाचार में रचनात्मकता का उत्सव हैं। इसमें होने वाले सभी कार्यक्रम भारत सरकार के आजादी का अमृत महोत्सव की भावना एवं विचार को प्रतिबिम्बित करते हैं। वर्ष 2015 से शुरू हुआ यह उत्सव एक वार्षिक कार्यक्रम हैं जिससे देश का सबसे बडा मंच माना जाता हैं। यह विश्व कि छात्रों, जनता, शोधकर्ताओं, नव प्रवर्तककर्ताओं और कलाकारों को विज्ञान का अभूतपूर्व अनुभव प्राप्त करने के लिए एक साथ लाता हैं। 

इसी मंच पर गिट्स के कम्प्यूटर साईंस के विद्यार्थी सौरभ श्रीवास्तव, मिलिन्द डी जैन, विशाल जैन, हर्षिता जैन, अमिषा सोनी, गौतम आनन्द, हर्षल जैन और जतिन सुथार ने प्रो. लतीफ़ खान एवं डाॅ. मयंक पटेल के निर्देशन में किसानों के लिए कृषि फसल सुरक्षा सम्बन्धित मशीन बनाकर यह सफलता हासिल की। 

प्रो. लतीफ़ खान के अनुसार इस सांईंस फेस्टिवल में शुरूआत में पूरे भारत से 17000 से अधिक इनोवेटिव आईडियाज आये थें। जो दूसरे चरण में मूल्यांकन के बाद 200 रह गये, तीसरे चरण में गिट्स अपना स्थान बनाने में सफल रहा।

कम्प्यूटर साईंस के विभागाध्यक्ष डाॅ. मयंक पटेल ने बताया कि विज्ञान भारती के सहयोग से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय जो प्रोद्योगिकी विभाग एवं विज्ञान तथा औद्योगिक विज्ञान परिषद के संयुक्त रूप से प्रायोजित कार्यक्रम में कम्प्यूटर साईंस इन्जिनियरिंग के विद्यार्थियों ने अपने कौशल का परिचय देते हुए इस विजय पताका को लहराया।

निदेशक आई.क्यू.ए.सी. डाॅ. सुधाकर जिंदल ने बताया कि इस प्रतियोगिता में 1100 आईडियाज चयनित हुए जिसमे विभिन्न चरणों से गुजरते हुए एग्रीकल्चर थीम ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर वित्त नियंत्रक बी.एल. जांगिड ने कहा कि उपलब्धि विद्यार्थियों को 15000 रूपये का नकद पुरस्कार प्राप्त हुआ इससे विद्यार्थियों की शोध के प्रति उनकी रूचि बढेगी, जिससे वे देश व समाज के लिए अच्छे शोध कर पायेंगे।