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प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए एस्पायर फिनीलूप प्लास्टिक वेस्ट लैब के साथ गिट्स का करार

प्लास्टिक कचरे के व्यवसायिक उपयोग पर प्रकाश डाला
 

आज प्लास्टिक से उत्पन्न प्रदूषण एक राष्ट्रीय मुद्दा होकर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा बन गया हैं। जिधर नजर उठाओं उधर नालियां, नाले व नदियां आदि सब प्लास्टिक कचरे से भरे पडे हैं। जो हमारी भूमि, भूमिगत जल तथा वातारण को जहरीला बनाता जा रहा हैं। प्लास्टिक कचरों के खतरों से बचने तथा इसका उचित प्रबन्धन के लिए एस्पायर फिनीलूप प्लास्टिक वेस्ट लैब एवं गीतांजली इन्स्टिटियूट ऑफ टेक्नीकल स्टडीज डबोक उदयपुर (गिट्स), के बीच करार पर हस्ताक्षर हुआ। यह करार समझौता प्रपत्रों के आदान प्रदान के द्वारा किया गया। 

संस्थान के निदेशक डॉ. एन. एस. राठौड ने भारत में हर दिन तकरीबन 26 हजार टन प्लास्टिक कूडा प्रतिदिन निकलता हैं। जिसमें से 13 हजार टन केवल दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता एवं बैंगलूरू जैसे महानगरों से निकलता हैं। इन प्लास्टिक कूडे में से 10376 टन कूडा एकत्रित नहीं होकर खुले मैदानों में जहां तहां फैलता रहता हैं। जो हमारे खेतों, नदी, नालों व समूद्री जल के साथ-साथ समूद्र में रहने वाले जीव जन्तुओं को नुकसान पहुंचा रहा हैं। मैदानों और खेतों में फैला हुआ प्लास्टिक कुछ अन्तराल के बाद धीरे-धीरे जमीन के अन्दर दबता चला जाता हैं। जो कि बाद में जमीन के अन्दर प्लास्टिक की एक लेयर बना देता हैं। जिससे वर्षा का जल ठीक प्रकार से जमीन के अन्दर नहीं पहुंच पाता हैं। जो पहुंचता भी है उसमें माइक्रो प्लास्टिक के कण पाये जाने लगे हैं। जो हमारी भूमि की ऊर्वरा शक्ति को क्षीण करती हैं साथ ही मानव जीवन को भी प्रभावित करती हैं। 

उदयपुर में प्लास्टिक कचरे के उचित प्रबन्धन, प्लास्टिक रिसाइकलिन एवं प्लास्टिक आधारित व्यवसाय को बढावा देने तथा आने वाली पीढी को कचरों से उत्पन्न खतरों से अवगत कराने के लिए एस्पायर फिनीलूप प्लास्टिक वेस्ट लैब के साथ यह करार किया गया।

कार्यक्रम के संयोजक एवं मैकेनिकल इन्जिनियरिंग विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक पालीवाल के अनुसार एस्पायर फिनीलूप प्लास्टिक वेस्ट लैब के इन्जिनियर कपिल अग्रवाल ने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के साथ-साथ उसका व्यवसायिक रूप देना तथा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में स्टार्टअप पर विद्यार्थियों के साथ अपने ज्ञान को साझा किया। साथ ही प्लास्टिक कचरे के व्यवसायिक उपयोग पर प्रकाश डाला। जिसका उद्देश्य नवाचार को बढावा देने के साथ-साथ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबन्धन के क्षेत्र में नये अवसर पैदा करना था। 

कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रो. सुरभि मिश्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर वित्त नियंत्रक बी.एल. जांगिड सहित पूरा गीतांजली परिवार इस करार के मौके पर मौजुद था।