GITS में ऑटोमोटिव रडार में नवीनतम प्रगति पर व्याख्यान
गीतांजलि इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्निकल स्टडीज डबोक उदयपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के तत्वाधान मे ऑटोमोटिव रडार में नवीनतम प्रगति पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान में आधुनिक राडार सिस्टम में हो रहे बदलाव व उसके विभिन्न क्षेत्रो में हो रहे उपयोग के बारे ने विद्यार्थियों के साथ संवाद स्थापित किया गया।
इस अवसर पर कैंपस निदेशक डॉ एन एस राठौड़ ने बताया कि रडार, सोनार और लिडार जैसी तकनीकें आधुनिक वाहनों को आटोमेटिक एवं ड्राइवर लेस बनाने में सहायक बनाने में सिद्ध हो रही हैं। ऑटोमोटिव रडार आज के वाहनों को न केवल चालक रहित बनाने में मदद कर रहे हैं बल्कि सड़क पर सुरक्षा के नए मानक स्थापित करने में भी योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन तकनीकों का इस्तेमाल करके वाहनों के आसपास की वस्तुओं की पहचान, दूरी का निर्धारण और गति का अनुमान लगाना आसान हो जाता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम होती है। आज की तकनीकी दुनिया में सुरक्षा और बचाव के क्षेत्र में ये सभी तकनीकें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी एवं आर ऍफ़ चिप डिज़ाइन में हो रहे बदलावों पर महत्वपूर्ण जानकारी विद्यार्थियों को प्रदान करने हेतु मुख्य वक्ता के रूप में टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स के वरिष्ठ आरएफ वेव आईसी डिज़ाइन इंजीनियर एवं 2011 बैच के अलुमनी डॉ. पुष्टवर्धन सोनी ने ऑटोमोटिव रडार में नवीनतम प्रगति विषय पर अपना विशेषज्ञ विचार साझा किया।
एलेक्ट्रॉनिस एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप के अनुसार छात्रों के लिए यह सत्र अत्यंत प्रेरणादायक साबित हुआ। छात्रों ने उत्सुकता से विभिन्न प्रश्न पूछे और डॉ. सोनी से नए शोध और करियर के अवसरों पर विचार-विमर्श किया। इस तरह के आयोजनों से छात्रों को नवीनतम तकनीकी विकास के बारे में जानकारी मिलती है और वे उद्योग विशेषज्ञों से सीधे मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर वित्त नियंत्रक बी एल जांगीड़ ने कहा कि आज का युग ऐसे नवाचारों की ओर बढ़ रहा है, जिनमें रडार, सोनार और लिडार का उपयोग ऑटोनोमस इंडस्ट्री वाहनों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और अन्य सुरक्षा व इमेजिंग अनुप्रयोगों में बढ़ रहा है। जो छात्रों का करियर सुरक्षित भविष्य की तरफ ले जायेगा। धन्यवाद ज्ञापन असिस्टेंट प्रोफेसर सुनील शर्मा द्वारा एवं संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर शैलजा राणावत द्वारा किया गया।