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सुविवि का 29 वां दीक्षांत समारोह, 105 स्वर्ण पदक और 180 पीएचडी डिग्रियां प्रदान 

सूचना तकनीक और डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल ने खोले नई शिक्षण विधाओं के द्वार- राज्यपाल

 

दीक्षांत रजिस्टर शुरू करने वाला पहला विश्वविद्यालय बना

मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 29 वां दीक्षांत समारोह बुधवार को विवेकानंद सभागार में भव्य और विभिन्न नवाचारों के साथ आयोजित किया गया। इसमें कुलाधिपति और राज्यपाल कलराज मिश्र ने 105 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 180 को पीएचडी डिग्रियां प्रदान की। नवाचारों से युक्त इस दीक्षांत समारोह में कई नई चीजों की पहल की गई है, जिसमें स्वर्ण पदक विजेताओं का कार्यक्रम के पश्चात माननीय कुलाधिपति के साथ समूह फोटो करवाया गया। समूह फोटो की परंपरा पहली बार शुरू की गई है।

इसके साथ ही पहली बार दीक्षांत रजिस्टर की शुरुआत भी की गई जिसमें दीक्षांत अवसर पर दी गई डिग्रियों एवं स्वर्ण पदक विजेताओं की सूचना दर्ज की गई, जिस पर माननीय कुलाधिपति ने अपनी टिप्पणी अंकित की। यह पहली बार हुआ कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान ने दीक्षांत भाषण दिया। इसके साथ ही प्रबंध मंडल के सदस्यों को पहली बार मंच पर स्थान दिया गया। यह अपनी तरह की पहल करने वाला पहला विश्वविद्यालय है। इसके साथ ही ऑडिटोरियम के प्रांगण में हस्तशिल्प, लोक कलाओं और पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई जो कि मुख्य आकर्षण का केंद्र रही। दीक्षांत समारोह के लिए पूरे सभागार को भव्य तरीके से सुसज्जित किया गया।

सूचना तकनीक और डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल ने खोले नई शिक्षण विधाओं के द्वार- राज्यपाल

दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कुलाधिपति एवम *राज्यपाल कलराज मिश्र* ने कहा कि दीक्षांत समारोह शिक्षा जगत का सर्वाधिक गौरवशाली क्षण होता है। विद्यार्थी के जीवन का भी यह ऐसा महत्त्वपूर्ण अवसर है जब सीखे हुए ज्ञान की पूर्णता के उपरान्त अब उसे व्यावहारिक जीवन में उतारने के लिए स्वयं को प्रस्तुत करना होता है। मैं चाहता हूँ, यहाँ से दीक्षित विद्यार्थी जीवन के हर मोड़ और पड़ाव पर समस्त चुनौतियों का सामना करते हुए लोक कल्याण के लिए अपने ज्ञान और सर्वोपरि क्षमताओं को समर्पित करें। 

उन्होंने कहा कि यह समय ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी सूचनाओं के विस्फोट का है इसलिए ऐसी शिक्षा का प्रसार आप लोग करें जो विद्यार्थी को सभी दृष्टि से ज्ञान समर्थ बनाएँ। उन्होंने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति हमारी प्राचीन भारतीय शिक्षा-पद्धति से प्रेरित है। इसमें विद्यार्थी को अपने विषय के साथ बहुत से अन्य विषयों के ज्ञान का अवसर देने का उदात्त दृष्टिकोण है। मैंनेे नई शिक्षा नीति का गहराई से अध्ययन किया है और यह पाया है कि बहुत सोच-विचार कर इसे विद्यार्थी हित में इस तरह से तैयार किया गया है कि विद्यार्थियों का इससे चहुँमुखी विकास हो। राज्यपाल ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों के अंतर्गत इस तरह के अद्यतन नवाचार किए जाएँ जिनसे विद्यार्थी सभी स्तरों पर ज्ञान के किसी एक आयाम से नहीं बल्कि अनेक आयामों से लाभान्वित हो सके।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि हमारे यहाँ शिक्षा का परिदृश्य तेजी से बदलता जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान सूचना तकनीकी की जो भूमिका सामने आई है, उसने परम्परागत शिक्षण प्रविधियों के समानान्तर एक नया मार्ग खोल दिया है। उच्च शिक्षा जगत में भी उसका बखूबी उपयोग किया जा रहा है किन्तु डिजिटल माध्यम से शिक्षण-कौशल और ज्ञानार्जन दोनों की प्रक्रिया और उसका निरपेक्ष मूल्यांकन करना भी अपेक्षित है। विश्वविद्यालयों को मैं हमारी संस्कृति और ज्ञान-परंपरा की पीठ मानता हूँ इसलिए यह जरूरी है कि यहाँ पर संविधान के हमारे आदर्शों की भी शिक्षा सभी स्तरों पर प्रदान की जाए।

उन्होंने कहा कि दीक्षान्त समारोह के इस अवसर पर मैं चाहता हूँ कि सुखाड़िया विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का उत्कृष्ट केन्द्र बने। निश्चित ही इसके लिए यहाँ ऐसे विषयों पर शोध की परम्परा विकसित की जानी चाहिए, जिनका दायरा व्यापक हो। मैं यह मानता हूँ कि किसी भी विषय में हम शोध करें तो उसका लक्ष्य यह होना चाहिए कि वह शोध मानव-कल्याण के लिए उपयोगी हो। शिक्षा में पाठ्यक्रम को निंरतर अपडेट किए जाने की भी बहुत अधिक जरूरत है।  विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे अपने पाठ्यक्रम समय-समय पर अपडेट करें।

अपने पुस्तकालयों में नवीनतम ज्ञान की पुस्तकों का समावेश करें। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभाग अपने यहाँ विद्वानों के ऐसे संवाद आयोजित करें, जिनसे विद्यार्थियों को विषय से जुड़े गहन ज्ञान में रुचि पैदा हो। मैं चाहता हूँ, विश्वविद्यालय ज्ञान के ऐसे आलोक केन्द्र बनें जिनसे निकलकर विद्यार्थी समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए कार्य करें। स्वर्ण पदक में छात्राओं की संख्या को देखते हुए उन्होंने कहा कि छात्राएं छात्रों से आगे निकल रही है यह बालिका शिक्षा के लिए शुभ संकेत है।

राजस्थान सरकार उच्च शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाने की दिशा में सदैव प्रयासरत-उच्च शिक्षा मंत्री

समारोह के विशिष्ट अतिथि *उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव* ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा जितनी महत्वपूर्ण होती उतनी ही महत्वपूर्ण विश्वविद्यालयी शिक्षा भी होती है क्योंकि यही हमारे जीवन की दिशा और दशा का निर्धारण करते हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे हैं जो अपनी रूचि के विषय के अनुरूप शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते या मनचाहे विषयों के जरिए मनचाहा रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते है लेकिन अब समय परिवर्तित हो गया है। नई शिक्षा नीति के जरिए शिक्षा के नवीन सोपान तय किए गए हैं। रूचि के अनुसार विषयों का चयन और रोजगार प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं बनाई गई है।

राजस्थान सरकार पिछले ढाई वर्षो में उच्च शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाने की दिशा में सदैव प्रयासरत रही है। नए कॉलेज खोलने का विषय हो या जरूरतमंद बच्चों को छात्रवृत्ति देने का मुद्दा। नए शिक्षकों की नियुक्ति हो या संसाधन विकास करने का विषय हर क्षेत्र में सरकार ने उच्च शिक्षा को मजबूती देने के लिए अथक प्रयास किए हैं। सरकार नए पदों का सृजन कर रही है और भर्ती की प्रकिया भी शीघ्र शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री के नाते मैं भी पूरा प्रयास करूंगा कि राजस्थान के हर क्षेत्र में निवास करने वाले बच्चों को उच्च शिक्षा के संपूर्ण अवसर प्राप्त हो।

उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति को शिक्षा और शोध की दिशा में शानदार कार्य करने पर बधाई दी। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि भविष्य में शैक्षिक चुनौतियों से निपटने के लिए विश्वविद्यालय तकनीकी सहयोग के जरिए नवाचार युक्त तैयारी करें ताकि रोजगार की नई संभावनाएं पैदा की जा सके। स्वर्ण पदक में छात्राओं की अधिक संख्या को देखते हुए उन्होंने छात्रों को कहा कि यह  चेतावनी की घंटी है। अगर समय रहते छात्रों ने अपने अध्ययन कार्य को नहीं सुधारा तो छात्राएं बाजी मार ले जाएगी। उन्होंने छात्राओं के प्रदर्शन पर संतोष जताते हुए बधाई दी।

शिक्षा को अपनी महानतम क्षमताओं के विकास के साधन के रूप में सोचें विद्यार्थी-डॉ. फ्रैंक एफ. इस्लाम

इस अवसर पर ऑनलाइन जुड़े उच्च शिक्षा संस्थान मैरीलैंड, यूएसए के सलाहकार *डॉ. फ्रैंक एफ. इस्लाम* ने दीक्षांत उद्धबोधन में अपनी भारत से लेकर अमेरिका तक कि यात्रा के सबक साझा करते हुए कहा कि भारत मेरे जीवन का एक अमिट हिस्सा है।  मैं भारत से प्यार करता हूं क्योंकि मैं यहां पैदा हुआ था और इसकी कला, इतिहास, संगीत, संस्कृति और रीति-रिवाजों के कारण।  लेकिन सबसे बढ़कर, मैं भारत से प्यार करता हूं क्योंकि यह लोकतंत्र, विविधता और शांति स्थापना के अंतरराष्ट्रीय प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ा है।

उन्होंने कहा कि हम शिक्षा को अपनी महानतम क्षमताओं के विकास के साधन के रूप में सोचें, क्योंकि हम में से प्रत्येक में एक निजी आशा और सपना है, जिसे पूरा किया जा सकता है, सभी के लिए लाभ और हमारे राष्ट्र के लिए बड़ी ताकत में अनुवाद किया जा सकता है। मैं आप सभी स्नातकों से पूछता हूं कि आपकी निजी आशा और सपना क्या है?  बड़ा सोचो छोटा नहीं।  मैं आपसे इस बारे में सोचने के लिए कहता हूं कि आप उस व्यक्तिगत आशा और सपने को किसी ऐसी चीज में बदलने के लिए क्या कर सकते हैं जिससे लोगों को लाभ हो और एक राष्ट्र के रूप में भारत की अधिक ताकत हो।

उन्होंने कहा कि हमारी विविधता ही हमारी ताकत है।  भारत आपसी सद्भाव और सद्भाव की ओर अपनी यात्रा पर जारी है।  उस यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसे आप स्नातकों की सहायता की आवश्यकता है।  मुझे विश्वास है कि यदि आप अपनी यात्रा को दिल में से एक बनाते हैं, जिसमें आप आशा, सहानुभूति, वास्तविकता, लचीलापन और विश्वास बढ़ाते हैं, तो आप और भारत मंजिल तक पहुंचेंगे। यह एक अतिशयोक्ति की तरह लग सकता है, लेकिन मैं आपको यह सोचने का अनुरोध करते हुए कि कुछ भी असंभव नहीं है, मैं आपको बता दूं कि मैं ऐसा क्यों नहीं मानता।  कोई भी आशा आपके लिए पर्याप्त नहीं होनी चाहिए और कोई भी सपना इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि आप उसे प्राप्त कर सकें। 

यदि आप इसकी कल्पना करते हैं, तो आप इस पर विश्वास करते हैं और आप इसे प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी कहानी इस बात की गवाही है कि अगर आप इसे अपनी यात्रा बना लें तो कुछ भी संभव है।  मुझे विश्वास है कि आपके लिए भी यही सच होगा। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ने रचनात्मकता, करुणा और प्रतिबद्धता को विकसित करने में मदद की है जो आर्थिक सीढ़ी को मजबूत बनाने, उस पर और अधिक कदम रखने और अधिक लोगों को उस पर चढ़ने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि मैं आपसे यह सोचने के लिए कहता हूं कि कुछ भी असंभव नहीं है।  आप असंभव को संभव कर सकते हैं।  आपके सबसे अच्छे दिन आपके आगे हैं।  

भारत संभावनाओं और आशाओं का देश-भार्गव

इस अवसर पर ऑनलाइन जुड़े भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव ने कहा कि भारत संभावनाओं और आशाओ का देश है जहाँ सर्वाधिक युवा है। उन्होंने कहा कि बीते एक साल से कोविड ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा लेकिन भारत सरकार और राज्य सरकारों ने कोरोना से निपटने के समुचित उपाय किये। हमारे कोविड प्रबन्धन को पूरे विश्व में सराहा गया। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को सभ्य और नम्र बनाती है हम सभी को अपनी शिक्षा को देश के नव निर्माण और समाज के उन्नयन में लगाना चाहिए।

सुविवि को विश्व स्तरीय बनाना ही लक्ष्य- कुलपति

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए पिछले एक वर्ष में अर्जित उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने पिछले 1 वर्ष में किए गए विभिन्न शोध, पेटेंट, नवाचारों, नए पाठ्यक्रमों, नए संकाय एवं शिक्षकों को प्राप्त विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों की जानकारी देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि नाथद्वारा के पास चित्र बिलोदा गांव में विश्वविद्यालय का नया केंपस बनाया जा रहा है जो कि अगले शिक्षा सत्र से शुरू हो जाएगा। यह उच्च शिक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

105 स्वर्ण पदक, 180 पीएचडी डिग्री

इस बार दीक्षांत समारोह में कुल 105 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए जिसमें कुल 51 छात्राओं ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इनमें 8 विद्यार्थियों को चांसलर मेडल था  जिसमे 4 छात्राएं थीं। इसके अलावा 89 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक और 8 विद्यार्थियों को प्रायोजित मेडल प्रदान किए गए। इसमें 74 विद्यार्थियो ने स्वयं उपस्थित होकर पदक प्राप्त किया।

दीक्षांत समारोह में 180 पीएचडी उपाधि धारकों को डिग्री प्रदान की गई। इसमें विज्ञान संकाय में 28(11 छात्राएं), वाणिज्य संकाय 22(8 छात्राएं), विधि संकाय में 3(1 छात्रा), पृथ्वी पृथ्वी विज्ञान संकाय में 17(3 छात्राएं), सामाजिक विज्ञान संकाय में 36(19 छात्राएं), शिक्षा संकाय में 22(15 छात्राएं), प्रबंध अध्ययन संकाय में 13(2 छात्राएं), मानविकी संकाय में 39 (20 छात्राएं),को डिग्री प्रदान की गई। इसमें 149 विद्यार्थी ने स्वयं उपस्थित होकर अपनी पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।

इसके साथ ही गत शैक्षणिक सत्र में उत्तीर्ण हुए 45861 स्नातक एवं 13132 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान करने का अनुमोदन कुलाधिपति द्वारा किया गया। इसमें विज्ञान संकाय में 4382 स्नातक 866 स्नातकोत्तर, वाणिज्य संकाय में 5573 स्नातक 3361 स्नातकोत्तर, विधि संकाय में 1131 स्नातक 121 स्नातकोत्तर, कला संकाय में 27108 स्नातक 8499 स्नातकोत्तर, शिक्षा संकाय में 7667 स्नातक 39 स्नातकोत्तर तथा प्रबंध अध्ययन संकाय में 246 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर की डिग्री का अनुमोदन किया गया।

दीक्षांत समारोह से पूर्व राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद विधिवत अकादमिक यात्रा सभी डीन, डायरेक्टर्स और बॉम सदस्यों के साथ सभागार में पहुंची। दीक्षांत समारोह का अकादमिक संचालन रजिस्ट्रार सीआर देवासी ने किया।