फीस को लेकर नगर निगम के टाउन हॉल में अभिभावकों ने ऱखी मिटिंग
राज्य सरकार से मांग की जाएगी कि जल्द से जल्द फीस को लेकर निर्णय लिया है उसमें परिवर्तन किया जाए
कोरोना काल में स्कूलों की फीस नहीं भरने वाले अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के बाद भी अभिभावकों को पूरी - पूरी स्कूल फीस जमा करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर उदयपुर में अभिभावक संघ की ओर से मिटिंग रखी गई। जिसमें सभी अभिभावक नगर निगम के टाउन हॉल में मौजूद रहे। अभिभावकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को का फैसला बहुत गलत है कोरोना जैसी महामारी में जब तमाम काम - धंधे बंदे हो गए थे हजारों - लाखों बेरोजगार हो गए थे। ऐसे में 100 प्रतिशत फीस का भुगतान करना बेहद मुश्किल है।
हरीश सुहालका का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले 70 प्रतिशत फीस लेने का फैसला किया था लेकिन अब पुरी फीस चुकाना हमारे लिए मुश्किल बन गई है। इसको लेकर मिटिंग रखी गई है जिसमें फैसला लिया गया है कि सरकार से मांग उठाई जाएगी कि यह फैसला राजस्थान सरकार का नही है सभी अभिभावक इसमें शामिल है राज्य सरकार से मांग की जाएगी कि जल्द से जल्द फीस को लेकर निर्णय लिया है उसमें परिवर्तन किया जाए।
अभिभावक नम्रता भंडारी ने कहा की कोविड की वजह से किसी के पास काम नहीं था। 70 प्रतिशत फीस भरना ही अभिभावको के लिए मुश्किल था ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने 100 प्रतिशत फीस निर्णय से सभी पेरेंट्स पर और बोझ बढ़ गया है।
वामपंथी पार्टी से जुड़े सौरभ नरुका ने कहा की राज्य सरकार से मांग की जाएगी कि लोकतंत्र का सही से उपयोग किया जाए। जब स्कूल की ओर से कोई खर्चा नहीं हुआ है तो किस बात की फीस दी जाए। दूसरा फैसला यह है कि जिस तरह स्कूलों की दादागीरी चल रही है और पैसों की जिस तरह से लूट चल रही है उस पर राज्य सरकार की ओर से रोक लगाई जाए। इसके साथ ही सभी अभिभावकों की ओर से कोशिश की जा रही है सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगे। स्कूलों की ओर से खर्च के मुताबिक फीस ली जाए।