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एमपीयूएटी के 27 विद्यार्थियों का दल न्यूयॉर्क व बैंकॉक रवाना

मेरिट के आधार पर किया विद्यार्थियों का चयन, प्रोजेक्ट पर 90 लाख रूपए होंगे खर्च

 

उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के विद्यार्थियों के दल खेती में हाईटेक तकनीक को सीखने के लिए शनिवार को न्यूयॉर्क व बैंकॉक के लिए रवाना हुए। इन दलों में विद्यार्थियों का चयन मेरिट के आधार पर किया गया है। इस दौरान वह डिजिटल टेक्नोलॉजी, हाईटेक कल्टीवेशन एवं हॉर्टिकल्चर संबंधित तकनीकों को सीखेंगे। इनमें 17 छात्रों का दल ब्रोंक्स कम्युनिटी कॉलेज न्यूयॉर्क और 10 छात्रों का दल एशियाई प्रौद्योगिकी संस्थान बैंकॉक के लिए रवाना हुआ।

ये छात्र न्यूयॉर्क में 14 अगस्त से 27 सितंबर तक प्रशिक्षण लेंगे।

          ब्रोंक्स कम्युनिटी कॉलेज न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुए दल में
                    राजस्थान कृषि महाविद्यालय के 6,
                    कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के 7
                    कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा के 2
        कॉलेज ऑफ कम्युनिटी एंड एप्लाइड साइंसेज के 2 विद्यार्थी शामिल हैं।

           एशियाई प्रौद्योगिकी संस्थान बैंकॉक के लिए रवाना हुए दल में
                           राजस्थान कृषि महाविद्यालय के 3
        डेयरी और खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के 7 विद्यार्थी शामिल हैं।

 ये छात्र 14 अगस्त से 7 सितंबर तक प्रशिक्षण लेंगे।

विवि को मिलेगा यह फायदा

विदेश से कृषि में आधुनिक तकनीकों को सीखने के बाद विद्यार्थी विवि में इन पर रिसर्च करेंगे। इससे विदेशी तकनीकी यहां भी लागू हो सकेगी। इससे यहां के किसानों को भी फायदा मिलेगा। विदेशों में कम जमीन और कम पानी के साथ बेहतर मैनजेमेंट के साथ खेती की जा रही है। 

परियोजना प्रभारी डॉ. पीके सिंह ने बताया की अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थी ब्रोंक्स कम्युनिटी कॉलेज न्यूयॉर्क में जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में सतत कृषि विकास के लिए स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकियों पर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। एशियाई प्रौद्योगिकी संस्थान बैंकॉक में हवा, पानी, मिट्टी के विश्लेषण के लिए अत्याधुनिक उपकरणों के उपयोग पर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। बता दें कि इन सभी विद्यार्थियों का चयन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अंतर्गत संस्थागत विकास योजना में विद्यार्थी विकास कार्यक्रम के तहत किया गया है। 

इस प्रशिक्षण पर विश्वविद्यालय की ओर से करीब 90 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें एनएएचईपी विश्व बैंक और भारत सरकार की ओर से 50-50 प्रतिशत का सहयोग किया जाएगा।