"बिज़नेस मोड़ पर करना होगा मछली पालन" - डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संगठक मात्स्यकी महाविद्यालय में शनिवार 27 नवम्बर को मीठे पानी की पालने योग्य मछलियाँ एवं पालन पद्धति पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। यह कार्यक्रम मात्स्यकी विकास बोर्ड, मत्स्य विभाग, हैदराबाद मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति एमपीयूएटी डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों के लिए मत्स्य पालन के क्षेत्र अपना कर स्वयं का बिजनैस शुरू करने का यह सुअवसर है। डॉ. राठौड़ ने देश के प्रगतिशील मछली उत्पादकों का उदाहरण देकर मत्स्य पालन कौशल विकास की बात कहीं। उन्होनें बताया कि थोड़ी सी पूंजी एंव समय लगाकर मछली पालन में अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं। उन्होनें प्रशिक्षणार्थियों को आत्मविश्वास, ज्ञानार्जन, नवाचार, व्यापार सीखने की ललक व नेतृत्व की भावना से कार्य करने की प्रेरणा दी।
विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध सरोवर विज्ञानी प्रो. वी. एस. धुर्वे ने प्रशिक्षण में युवाओं की भागीदारी पर हर्ष प्रकट किया। तथा इस विद्या को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार अपनाने व निरन्तर अपने ज्ञान में बढ़ोतरी करते रहने की सलाह दी।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं मात्स्यकी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. एल. एल. शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को मत्स्य पालन के विभिन्न आयामों एवं इस विद्या के महत्व की बात कही। उन्होनें कहा कि माननीय कुलपति विशिष्ट प्रतिभा के धनी है आपने मात्स्यकी महाविद्यालय के विकास की नींव रखी है जिससे यह महाविद्यालय उतरोतर प्रगति करता रहेगा।
इस अवसर पर सफलता पूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिए गए।
कार्यक्रम समन्वयक एवं अधिष्ठाता डॉ. बी. के. शर्मा ने प्रशिक्षण की उपयोगिता पर प्रशिक्षणार्थियों को विस्तृत जानकारी प्रदान की। डॉ. शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को प्राप्त ज्ञान के आधार पर स्वरोजगार अपनाने की सलाह दी, जिससे जनजाति क्षेत्र के किसान अपना जीवनस्तर सुधार सकें। डॉ. बी. के. शर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण की इस श्रृंखला में मछली पालन, बहुरंगी मछली पालन एवं मत्स्य मूल्य संवर्धन एवं उत्पाद विकास पर आगामी प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन पूर्व अधिष्ठाता डॉ. सुबोध शर्मा ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. एम.एल. ओझा ने दिया।