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पीयूष मिश्रा के लिखे और कंपोज गीत 'आरंभ है प्रचंड...' जैसे गीतों से प्रभावी बनी प्रस्तुति

थिएटरवुड कंपनी के दो वर्ष पूर्ण के उपलक्ष्य में नाटक "ऐसा तो होता है"... में दिखाई महानगरों के बेरोजगार युवाओं की स्थिति

 

उदयपुर। 25 अगस्त, 2024: उदयपुर शहर की थिएटरवुड कंपनी के रंगमंच की दुनिया में दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर रविवार की शाम को थिएटरवुड कंपनी के अभ्यास स्थल पर नाट्य संध्या का आयोजन किया गया। यह नाटक थिएटरवुड कंपनी के संस्थापक अशफाक नूर खान पठान द्वारा लिखित एवं निर्देशित एक म्यूजिकल प्ले है जिसका नाम है 'ऐसा तो... होता है!'

इस नाटक में पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित व कम्पोज किए गए प्रसिद्ध एवं प्रचलित गाने - उठ जा भाउ, हुस्ना, आरंभ है प्रचंड, बस छल कपट, आबरू आदि लगभग 15 गानों को नाटक में सम्मलित किया गया।

कहानी किसी महानगर में रहने वाले युवाओं की स्थिति और उनकी परेशानियों के इर्द-गिर्द घूमती है। महंगाई और बेरोजगारी के अहम मुद्दे के साथ कलाकार अपने अभिनय से देश के उन हालात को उजागर करता है, जिसमें धर्म, जाति, रंग, समाज, शहर आदि को मुद्दा बनाकर खौफ का माहौल बनाया जाता है। इसी का फायदा उठाकर सभी अपनी-अपनी दुकान चलाने लगते हैं।

छह दोस्त अलग-अलग शहर से किसी महानगर में आए हैं। घर-परिवार से दूर ये सभी किरदार रोजगार व नौकरी के लिए इस शहर में अपना आशियाना डाले हैं। ये एक साथ किराये के एक कमरे में रह रहे हैं।

कमरा काफी खर्चीला होने से 3 लोगों के किराए में 5 लड़कों के अलावा एक लड़की मकान मालिक से छिपकर रह रही है। समय गुजरने के साथ ही इनमें काफी गहरी दोस्ती हो चुकी है। इनकी दोस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक लड़के के पास नौकरी नहीं होने पर भी बाकी के 5 दोस्त उसका खर्च उठा रहे हैं। दूसरा लड़का अपने कमरे में रह रही लड़की से प्यार करने लगता है, पर उसे कहने की हिम्मत नहीं कर पाता। सभी दोस्त एक-दूसरे से प्यार भी करते है और टांग भी खींचते हैं। एक रोज जब सभी दोस्त अपने-अपने ऑफिस के लिए ट्रेन में सवार होते हैं, तभी एकाएक शहर दंगे शुरू हो जाते हैं और ये सब ट्रेन में फंस जाते हैं। सूरज ढलते-ढलते दंगों के साथ दंगाई और ज्यादा क्रूर हो जाते हैं। नाटक में बड़े ही संवेदनात्मक ढंग से यह दर्शाया गया है कि कैसे एक आम आदमी कुछ सियासी एवं राजनैतिक दांव-पेचों की वजह से अपनी जिंदगी और सपने खो बैठता है। साथ ही साथ ऐसे समय मे जब किसी वजह से माहोल खराब होने लगता है तब सभी नागरिक आपस मे सौहार्द्र और भाईचारे के साथ मिलकर कैसे एक दूसरे का सहयोग कर सकते है और भेद भाव को मिटा कर अपने दोस्त, परिवार और देश की प्रगति मे अपना योगदान दे सकते हैं, इसको भी भावनात्मक तरीके से दर्शाया गया है।

नाटक के कलाकारों मे क्रमश: अगस्त्य हार्दिक नागदा, उर्वशी कंवरानी, यश जैन, दिव्यांश डाबी, अरशद कुरेशी एंव यश शाकद्वीपीय ने अपने अभिनय की चाप छोड़ी।

मंच पार्श्व मे प्रकाश संयोजन अशफाक नूर खान पठान, संगीत संचालन हर्षिता शर्मा, मंच प्रबंधन मोहम्मद रिज़वान और मंच सहायक मे अमित श्रीमाली, रेखा सिसोदिया और हर्ष दुबे ने सहयोग किया।

गौरतलब है की थिएटरवुड कंपनी ने पिछले दो सालो मे क्रमश: पागलखाना, हेशटेग लव, श्यामकली का जादु, पानी रे पानी, ऐसा तो होता है आदि नाटकों के 14 मंचन किए गए है और रेगुलर ऐक्टिंग क्लास व कार्यशालाओं का भी आयोजन किया।